न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Thu, 27 Jun 2024 06: 43 PM IST
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत प्रदेश के प्रथम तीन आवेदकों को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा। इसमें दो पाकिस्तान और एक बांग्लोदश से भारत आए थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश के प्रथम तीन आवेदकों को गुरुवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र सौंपे। इसमें समीर सेलवानी और संजना अपने पिता के साथ पाकिस्तान से 2012 में भारत आए थे। तीसरी आवेदक राखी दास बांग्लादश से भारत आई थीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सीएए से हमारे परिवार के लोग हमारे पास आ रहे हैं। ये अपने धर्म को बचाने के लिए अपने मूल देश में आ रहे हैं। अगर वहां ये धर्म बदल लेते तो वहीं रह सकते थे। डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने बड़ा काम किया। मध्य प्रदेश में जो भी आएगा उन सभी का स्वागत करेंगे। मध्य प्रदेश शासन द्वारा इनकी जो जरूरतें होंगी, उसमें शासन पूरी मदद करेगा।
हम सभी की रक्षा और चिंता करेंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संबंधी कठिनाई का निराकरण कर, एक ऐसा रिश्ता पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया, जो अखंड भारत की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि 1947 के पहले तत्कालीन सरकार ने जो निर्णय किया गया था कि हम अपने देश में सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा और उनकी चिंता करेंगे।
ये अखंड भारत का हिस्सा थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भरोसे से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी भारत के पूर्व हिस्से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह गए थे। काल के प्रवाह में उनको भारत में आने से मना कर दिया गया। उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया और इन्हें विदेशी माना गया। जबकि ये मूल रूप से विदेशी नहीं थे। ये उस अखंड भारत के हिस्सा थे। ये सिर्फ तत्कालीन सरकार के भरोसे से वहां गए थे। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सरकारें उनको सुरक्षा उपलब्ध नहीं करा पा रही थी।
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