न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sun, 18 Aug 2024 06: 38 PM IST
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जरिए 45 पदों पर नियुक्ति होनी है लेकिन इसमें आरक्षण नहीं है। जीतू पटवारी ने आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार और आरएसएस के एजेंडे में आरक्षण समाप्त करना प्राथमिकता के पहले पायदान पर है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी – फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार और आरएसएस के एजेंडे में आरक्षण समाप्त करना प्राथमिकता के पहले पायदान पर है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जरिए 45 पदों पर नियुक्ति होनी है लेकिन इसमें आरक्षण नहीं है। एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया गया है।
आरक्षण विरोधी है बीजेपी सरकार
जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा- सच यह है कि @BJP4India आरक्षण विरोधी है! सच यह भी है कि @RSSorg के एजेंडे में आरक्षण समाप्त करना प्राथमिकता के पहले पायदान पर है!यही कारण है कि @narendramodi सत्ता बाबा साहेब के संविधान और आरक्षण के साथ खिलवाड़ करती रहती है! बार-बार माफी मांगती है, बार-बार हरकतें भी करती हैं! कथनी-करनी का एक और अंतर फिर सामने आया है! 𝐔𝐏𝐒𝐂 ने लैटरल एंट्री के ज़रिए सीधे 𝟒𝟓 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली हैं, लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है!समझा जा सकता है 𝐔𝐏𝐒𝐂 सिविल सेवा परीक्षा के जरिए यदि 𝟒𝟓 𝐈𝐀𝐒 की नियुक्ति होती तो 𝐒𝐂/𝐒𝐓/𝐎𝐁𝐂 को आरक्षण देना पड़ता! तब 𝟒𝟓 में से 𝟐𝟐-𝟐𝟑 अभ्यर्थी दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों से चयनित होते!
यह है पूरा मामला
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी 𝐔𝐏𝐒𝐂 ने लैटरल एंट्री के जरिए सीधे 𝟒𝟓 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की वैकेंसी निकाली हैं। इसका नोटिफिकेशन 17 अगस्त को जारी किया गया है। इसके अनुसार जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी की 10 पोस्ट होम मिनिस्ट्री, फाइनेंस और स्टील मिनिस्ट्री में हैं।एग्रीकल्चर एवं किसान कल्याण, नागरिक उड्डयन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों में डायरेक्टर, डेप्युटी सेक्रेटरी लेवल की 35 पोस्ट भरी जाएंगी।
सरकारी संगठनों में विशेषज्ञों की नियुक्ति
लैटरल एंट्री शब्द का संबंध सरकारी संगठनों में विशेषज्ञों की नियुक्ति से है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर निजी क्षेत्र से आने वाले विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए किया जाता है। मोदी सरकार ने इस प्रणाली की शुरुआत 2018 में की थी। सरकार राजस्व, वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि, सहयोग और किसान कल्याण, सड़क परिवहन और राजमार्ग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों की प्रत्यक्ष भर्ती के लिए लेटरल एंट्री प्रणाली का इस्तेमाल करती है। लैटरल एंट्री के जरिए जो पद भरे जाते हैं, वे पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) जैसे दूसरे ग्रुप-ए के अधिकारियों को दिए जाते थे। लेटरल एंट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने के कारण पहले भी विपक्षी दल सरकार को इस पहल के लिए घेर चुके हैं।
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