जीएमसी में हड़ताल करते इंटर्न चिकित्सक – फोटो : अमर उजाला
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राजधानी भोपाल के जीएमसी मेडिकल कॉलेज के इंटर्न चिकित्सक स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर गुरुवार प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इंटर्न चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से अस्पताल में भर्ती मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। बता दें कि हॉस्पिटल में यह इंटर्न डॉक्टर माइनर मरीजों का ट्रीटमेंट तो करते हैं, इसके अलावा सीनियर डॉक्टर्स और पीजी को असिस्ट भी करते हैं। इसके अलावा ओपीडी में भी यह इंटर्न काम करते हैं।
स्टाइपेंड बढ़ाकर 30 हजार रुपए प्रतिमाह की मांग
इंटर्न डॉक्टर्स ने सरकार से मांग की है कि स्टाइपेंड बढ़ाकर 30 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाए। अभी उन्हें महज 13 हजार 928 रुपए का स्टाइपेंड दिया जा रहा है। इससे पहले बुधवार को काली पट्टी बांधकर काम किया। बता दें कि प्रदेश भर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में करीब 3 हजार से अधिक छात्र काम कर रहे हैं वहीं हमीदिया अस्पताल में इनकी संख्या 180 से अधिक है। इस बारे में डीन कविता एन सिंह ने बताया कि फिलहाल मरीजों को किसी तरह की कोई दिक्कत सामने नहीं आई है, इंटर्न ने सुबह काम करने गए थे
वार्षिक फीस 50 हजार से बढ़कर एक लाख हुई
हड़ताल पर बैठे इंटर्न चिकित्सकों का कहना है कि 2018 में हमारी वार्षिक फीस 50 हजार रुपए होती थी, मगर इसको बढ़ाकर 1 लाख कर दी गई है। जबकि मासिक स्टाइपेंड वहीं दिया जा रहा है जो कि 2018 के बैच को दिया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना जिस तरह से फीस में वृद्धि की जा रही है इस तरह हमारे स्टाइपेंड में भी बढ़ोतरी की जाए जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा।
असम जैसे छोटे राज्यों में भी इंटर्न को मिलते हैं 36 हजार
इन चिकित्सकों का कहना है कि मध्य प्रदेश काफी बड़ा और समृद्ध प्रदेश है, जबकि असम जैसे छोटे राज्यों में भी इंटर्न छात्रों को 36,200 मेघायल में 30,000 रुपए प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जा रहा है। इंटर्न का तर्क है कि 2019 बैच के प्रदेश में 3 हजार से ज्यादा इंटर्न डॉक्टर्स है। जो 1 अप्रैल 2024 से लगातार बिना किसी छुट्टी के काम करते आ रहें हैं। वे 6 घंटे की रेगुलर ड्यूटी के साथ नाइट ड्यूटी भी रहती है। इन लोगों ने साढ़े 4 साल तक मेहनत कर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। इंटर्न डॉक्टर्स ने बताया कि मध्य प्रदेश में स्टाइपेंड के मामले में देश में 26वें नंबर पर है।
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