सुरखी से पूर्व विधायक पारुल साहू और उनकी बहन सोनिया ने एवरेस्ट बेस कैम्प तक चढ़ाई की। – फोटो : अमर उजाला
विस्तार सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक पारुल साहू ने माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प पर तिरंगा फहराया है। उन्होंने यह कठिन ट्रैक दो से 17 अप्रैल की यात्रा के बाद पूरा किया। उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व वाले 14 सदस्यीय दल के साथ यह सफलता हासिल की। उनके साथ उनकी बहन सोनिया भी एवरेस्ट बेस कैम्प तक गई हैं। लगातार 15 दिन पैदल चलने के बाद टीम ने माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प पर पहुंचने में सफलता पाई।
पारुल साहू ने बताया कि पहले दिन टीम काठमांडू से रामचेप होते हुए लुकला पहुंची। इसके बाद अगले दिन छह घंटे निरंतर चलते हुए मोनजो पहुंचे। तीसरे दिन दुर्गम रास्ते पर लगातार 11 घंटे चलने के बाद टीम नामचे पहुंची। अगले दिन टीम ने चार घंटे का अभ्यास बाक नामचे से एवरेस्टव्यू की ओर किया। फिर नामचे में रुके। प्रैक्टिस वॉक अपने आपको तापमान के अनुरूप कम आक्सीजन में शरीर को ढालने के लिए किया जाता हैं। छठे दिन टीम नौ घंटे निरंतर चलते हुये देबुचे पहुंची। अगले दिन छह घंटे दुर्गम रास्तों से निरंतर चलते हुए दिगंबुचे पहुंची। इसके बाद एक दिन उसी ट्रैक पर टीम ने अपने आपको मौसम के अनुरूप ढालने के लिए चार घंटे का अभ्यास वॉक किया। टीम नौवें दिन दिगंबुचे से बहुत ही ठंडे तापमान में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर तेज हवाओं का सामना करते हुए निर्धारित आठ घंटे लगातार चलते हुए लोबुचे पहुंची। दसवें दिन का सफर सबसे चुनौतीपूर्ण था। अब टीम को 13 घंटे लगातार चलते हुए 5,170 मीटर की ऊंचाई को छूना था। टीम ने आधी रात में इस ट्रेक की शुरुआत की लेकिन आधे रास्ते में चार सदस्यों की तबियत बिगड़ गई। टीम को कुछ समय के लिए रुकना पड़ा। शेरपाओं ने उन चार सदस्यों को आगे के रास्ते में सहारा दिया। बाकी की टीम अपने साथियों के साथ कुछ देर गोरकछेप में आराम करने के बाद फिर से इस दुर्गम ट्रेक पर आगे बढ़ी और सफलतापूर्वक एवरेस्ट बेस कैम्प फतह किया। टीम के चार सदस्यों को ऑक्सीजन लेने में कठिनाई हो रही थी। निरंतर उल्टियां भी हो रही थी। इस वजह से बाकी सदस्य एवरेस्ट बेस कैम्प से वापस काला पत्थर पहुंचे, जहां सेबीमार सदस्यों को हेलीकाप्टर की मदद से काठमान्डू भेजा गया। अगले दिन टीम के बाकी सदस्य पैदल ट्रेक डाउन करते हुए फेरीचे पहुंचे और रात्रि विश्राम किया।
20 साल से पर्वतारोहण कर रही हैं पारुल
पारुल साहू भी 20 साल से पर्वतारोहण कर रही हैं। पूर्व में उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटीमाउंट क्लीमनजारो पर चढ़ाई की है। इसके अलावा माउंट थेलु केदारडोम, कामेत माउंट, अबी गमीन, के साथ-साथ सियाचीन ग्लेशियर और हिमालय की कई चोटियों एवं दर्रो पर तिरंगा लहराया है। उनकी बहन सोनिया भी भागीरथी एवं शिवलिंग चोटी पर सफलता चढ़ाई कर चुकी हैं। सिक्मिम की डफेवीर दर्रा भी ट्रेक कर चुकी हैं। टीम में अन्य सदस्य दिल्ली से सपना, मयंक, सम्यक और रशिम जैन, कोलकता से विनीत, हैदराबाद से प्रशांत, गुवाहाटी से प्रणव एवं शैलेष बैंगलोर से श्री एवं सुधा तथा अमेरिका से नीरज ने भागीदारी की।
प्रेमलता अग्रवाल की टीम की सदस्य थीं
पारुल साहू ने यह ट्रैकिंग प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व वाली टीम के सदस्य के तौर पर की। प्रेमलता अग्रवाल ने दुनिया के सभी उप-महाद्वीपों की सबसे ऊंची सातों चोटियों पर तिरंगा फहराया है। 48 वर्ष की उम्र में वे माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला हैं। उन्हें उनकी सफलताओं की वजह से भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है।
भाजपा से रही हैं विधायक, अब कांग्रेस में हैं पारुल साहू
सुरखी से भाजपा की विधायक रही पारुल साहू ने तीन साल पहले कांग्रेस की सदस्यता ली थी। 2013 के चुनाव में पारुल ने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को 141 वोट से हराया था। इसके बाद भी पार्टी ने 2018 में उनका टिकट काट दिया था। 2020 में राजपूत ने भाजपा की सदस्यता ली और उपचुनाव लड़कर जीत हासिल की और इस समय शिवराज सरकार में मंत्री हैं। वहीं, पारुल साहू कांग्रेस की सदस्य हैं।
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