न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Thu, 25 Jul 2024 07: 12 PM IST
मध्य प्रदेश में हो रही तेज बारिश में सरकारी स्कूलों की छतें टपकने लगी है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकारी स्कूलों को लेकर कहा है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है पीसीसी चीफ जीतू पटवारी – फोटो : social media
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प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते कई सरकारी स्कूलों में पानी भर गया है, वहीं, कई स्कूलों की छतें टपक रही हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश के प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की व्यवस्था को लेकर कहा कि प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां बारिश होने के कारण स्कूलों की छते टपक रही हैं। स्कूलों में लबालब पानी भरा हुआ है और इस कारण प्रदेश भर में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। इतना ही नहीं मप्र के हजारों स्कूलों के 90 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल ही नहीं जा रहे हैं और जो बचे हुए 10 प्रतिशत बच्चे जैसे-तैसे स्कूल जा रहे हैं तो उन्हें बैठक के लिए स्कूलों में कमरे तक नहीं है, वे शेड के नीचे बैठ कर पढ़ाई करने के लिए विवश हैं। स्कूलों का आलम यह है कि एक ही कमरे में पांच-पांच कक्षाएं संचालित हो रही है।
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सीएम राइज स्कूल की छत गिरी, 10 बच्चे घायल
पटवारी ने कहा कि बारिश के कारण नरसिंहपुर जिले में स्थित एक सीएम राइज स्कूल की छत गिर गई, जिसमें 10 बच्चे घायल हो गए। यह स्थिति केवल नरसिंहपुर नहीं, प्रदेश के विभिन्न जिलों की है जहां स्कूलों की छतें जर्जर अवस्था में है और 7500 स्कूलों की बिल्डिंग टूटी हुई हैं, इससे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन अपनी सुख सुविधाओं के साधन जुटाने में लगी सरकार की नजर इन स्कूलों पर नहीं पड़ रही है। पटवारी ने कहा कि छिंदवाड़ा, दमोह, भोपाल, जबलपुर, सागर, शिवपुरी, उज्जैन, विदिशा सहित प्रदेश के 38 जिलों के 355 स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक तो पदस्थ हैं, पर स्कूलों में पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं। मप्र में 50 हजार से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं और 2621 स्कूल ऐसे भी हैं, जिसमें एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है। इतना ही नहीं सैकड़ों हाई सेकंडरी स्कूल मप्र में ऐसे हैं, जहां गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, इंग्लिश लेटरेचर के शिक्षक ही नहीं हैं, 15,500 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें केवल एक ही शिक्षक हैं।
शैक्षणिक परिसर की संस्कृति महज ढांचा बनकर रह गई
पटवारी ने कहा कि भाजपा राज में मप्र में शिक्षा की गुणवत्ता, उत्कृष्टता, अनुशासन और शैक्षणिक परिसर की संस्कृति महज ढांचा बनकर रह गई है। क्या होगा भविष्य के इन शिल्पकारों का, जिनसे प्रदेश और देश के भविष्य को संवारने की अनमोल अपेक्षाएं रहती है, प्रदेश के एक-एक बच्चे, युवा और नागरिक के लिए यह बेहद चिंता का विषय है। बच्चों के भविष्य को लेकर लच्छेदार और बड़ी-बड़ी बातें करने वाली प्रदेश की सरकार ने अपने मुंह पर ताला क्यों लगा रखा है? प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी बताएं कि आखिर किस आधार पर आप विकसित राष्ट्र का ढिंढ़ोरा पीटते हैं?
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