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व्यापमं प्रकरण में चार आरोपियों को जेल - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us पूर्ववर्ती व्यापमं की 2013 की मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 द्वितीय में दो परीक्षाथियों और उनकी जगह परीक्षा देने वाले दो फर्जी अभ्यर्थियों को कोर्ट ने दोषी पाया है। शुक्रवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने प्रकरण में आरोपियों को सात-सात वर्ष का कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। सीबीआई के लोक अभियोजक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि व्यापमं द्वारा वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 द्वितीय आयोजित की गई थी। इसमें परीक्षार्थी कृष्णकांत शर्मा और राधामोहन शर्मा ने अपने स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए डमी परीक्षार्थी मनीष शर्मा उर्फ मनीष कटारे और रवि शर्मा को बैठाया। इससे कृष्णकांत शर्मा और राधामोहन शर्मा ने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। कृष्णकांत शर्मा ने अपने स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए मध्यस्थ आदेश शर्मा से बात की थी। इसके बाद डमी मनीष शर्मा उर्फ मनीष कटारे ने परीक्षार्थी कृष्णकांत शर्मा के स्थान पर परीक्षा दी थी। इस मामले में कोर्ट ने दोनों परीक्षार्थियों और दोनों प्रतिरूपकों यानी डमी को दोषी पाया। उक्त चारों आरोपियों को कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने, छल और अपराधिक षड्यंत्र के लिए भारतीय दंड विधान की धारा 419, 420, 467, 468, एवं 471 सहपठित धारा 120 बी भादंवि तथा मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत दोषी पाया। इसके अनुसार कोर्ट ने दोषियों को सात-सात वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। कोर्ट ने मध्यस्थ आदेश शर्मा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

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व्यापमं प्रकरण में चार आरोपियों को जेल – फोटो : सोशल मीडिया

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पूर्ववर्ती व्यापमं की 2013 की मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 द्वितीय में दो परीक्षाथियों और उनकी जगह परीक्षा देने वाले दो फर्जी अभ्यर्थियों को कोर्ट ने दोषी पाया है। शुक्रवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने प्रकरण में आरोपियों को सात-सात वर्ष का कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।

सीबीआई के लोक अभियोजक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि व्यापमं द्वारा वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 द्वितीय आयोजित की गई थी। इसमें परीक्षार्थी कृष्णकांत शर्मा और राधामोहन शर्मा ने अपने स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए डमी परीक्षार्थी मनीष शर्मा उर्फ मनीष कटारे और रवि शर्मा को बैठाया। इससे कृष्णकांत शर्मा और राधामोहन शर्मा ने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। कृष्णकांत शर्मा ने अपने स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए मध्यस्थ आदेश शर्मा से बात की थी। इसके बाद डमी मनीष शर्मा उर्फ मनीष कटारे ने परीक्षार्थी कृष्णकांत शर्मा के स्थान पर परीक्षा दी थी।

इस मामले में कोर्ट ने दोनों परीक्षार्थियों और दोनों प्रतिरूपकों यानी डमी को दोषी पाया। उक्त चारों आरोपियों को कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने, छल और अपराधिक षड्यंत्र के लिए भारतीय दंड विधान की धारा 419, 420, 467, 468, एवं 471 सहपठित धारा 120 बी भादंवि तथा मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत दोषी पाया। इसके अनुसार कोर्ट ने दोषियों को सात-सात वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। कोर्ट ने मध्यस्थ आदेश शर्मा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

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