मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 2004 से बंद की गई पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की कोई योजना नहीं है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने एक प्रश्न के उत्तर में मप्र विधानसभा में बुधवार को यह साफ शब्दों में कहा। उनका जवाब सुनते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी विधायकों ने जानना चाहा कि सरकारी कर्मचारी संगठनों द्वारा वित्त मंत्री से लेकर सरकार को जो आवेदन व प्रस्ताव दिए हैं, उनको लेकर क्या निर्णय लिया गया? वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है और न ही पुरानी पेंशन योजना लागू करने की राज्य सरकार की कोई योजना है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने बहिर्गमन कर दिया। पुरानी पेंशन को लेकर जारी सियासत के बीच सदन के बाहर कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो हम इस पर पुरानी पेंशन लागू करेंगे। बजट सत्र में आठ दिन के अंदर पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर दूसरी बार प्रश्नकाल में हंगामा हुआ। बुधवार को कांग्रेस विधायक सज्जन वर्मा ने प्रश्नकाल में जानना चाहा कि वर्ष 2004 में प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। पुरानी पेंशन योजना को प्रदेश में दोबारा लागू किया जाएगा या नहीं? प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की कोई योजना नहीं है और न ही इस प्रकार की कोई योजना शासन स्तर पर विचाराधीन है। इस पर वर्मा ने कहा कि प्रदेश में पांच लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। एक लाख कर्मचारी वर्तमान में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन कर्मचारियों की बातें नहीं सुन रही है। कर्मचारी हितैषी सरकार होने का दावा करने वाली यह सरकार कर्मचारियों के साथ दोहरा व्यवहार कर रही है। कर्मचारियों को बरगला रही सरकार सज्जन वर्मा ने पूरक प्रश्न करते हुए मंत्री से पूछा कि आपके पास या सरकार के पास कितने कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए आवेदन या प्रस्ताव दिया है? मंत्री ने फिर कहा कि कोई प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है। इस पर कांग्रेस विधायक ने उत्तेजित होते हुए कहा कि यह सरकार कर्मचारी विरोधी सरकार है। कर्मचारी संगठनों द्वारा दिए गए आवेदनों को अधिकारी रद्दी की टोकरी में डाल रहे हैं। उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। सज्जन वर्मा के साथ अन्य विधायकों ने भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने का पक्ष लिया। वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार के कर्मचारी संगठनों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों, धरना-प्रदर्शन में मंत्री जाते हैं और उन्हें बरगलाते हैं कि सरकार आप लोगों को पुरानी पेंशन का लाभ देगी, लेकिन हकीकत में सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना ही नहीं चाहती। कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है। चीतों के लिए 300 करोड़, कर्मचारियों को कुछ नहीं सरकार के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार के पास चीतों के लिए 300 करोड़ रुपये, विकास यात्रा के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए रुपये नहीं है। कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात कर रही है। सरकार के जवाब में हम संतुष्ट नहीं हैं और बहिर्गमन करते हैं। इसके बाद कांग्रेस विधायक बहिर्गमन कर गए। संजय यादव असमंजस में रहे जिस प्रश्न के उत्तर के बाद विपक्ष ने बहिर्गमन किया, उसके बाद कांग्रेस विधायक संजय यादव का स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न था। संजय यादव अपना प्रश्न पढ़ने लगे तो विधानसभा अध्यक्ष ने पूछा कि आप बहिर्गमन में शामिल हो तो प्रश्न न पढ़ो, नहीं तो बोलो कि हम बहिर्गमन के साथ नहीं है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस विधायक संजय यादव असमंजस में पड़ गए। वे चंद कदम चले और वापस अपनी सीट पर आ गए। तब तक प्रश्नकाल आगे बढ़ गया, हालांकि अध्यक्ष ने उनको दोबारा समय दिया। कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की, पर कर दिया भवन स्वीकृत विधायक संजय यादव ने कहा कि जबलपुर के बरगी में 10 बिस्तर के अस्पताल को 30 बिस्तर में उन्नयन कराकर उसके लिए एक करोड़ रुपये के उपकरण की स्वीकृति कमलनाथ सरकार में कराई थी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से कर्मचारियों के पद स्वीकृत कर पदस्थापना संबंधी प्रश्न किया था। यादव ने कहा कि मैंने पद स्वीकृत करने को कहा तो सरकार ने दोबारा भवन स्वीकृत कर दिया, जबकि वहां डेढ़ वर्ष पहले ही भवन बन चुका है। एक करोड़ रुपये के उपकरण खरीदी का लिखित उत्तर दिया गया है, लेकिन उपकरण कहां हैं, किसी को पता नहीं? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बजट में 263 स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए पदों को मंजूरी दी गई है। पदों की स्वीकृति वित्त विभाग से होती ही पदों को भर दिया जाएगा। कांग्रेस विधायक यादव ने आरोप लगाया कि अधिकारियों को कुछ पता नहीं, एक करोड़ के उपकरण में भ्रष्टाचार व लीपापोती की जा रही है, उपकरण कहां हैं कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। नाथ बोले- सरकार कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही  बर्हिगमन कर जब कांग्रेस विधायक सदन के बाहर पहुंचे तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हर सरकार कर्मचारियों से चलती है। अगर कर्मचारियों के साथ सरकार ही अन्याय करेगी तो यह सरकार कैसे चलेगी। सज्जन वर्मा के प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह घोर अन्याय है। सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम यह निर्णय करेंगे।  वर्मा बोले- केंद्र की वजह से नहीं मिला अतिरिक्त मुआवजा   इधर सज्जन वर्मा ने शून्यकाल में कहा, भोपाल में गैस पीड़ितों की बड़ी आबादी है। इनके मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और यह कहा है कि 8000 करोड़ का मुआवजा केंद्र सरकार अपनी तरफ से दे। वर्मा का आरोप है कि केंद्र सरकार ने समय पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिस कारण गैस पीडि़तों को अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।

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मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) – फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 2004 से बंद की गई पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की कोई योजना नहीं है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने एक प्रश्न के उत्तर में मप्र विधानसभा में बुधवार को यह साफ शब्दों में कहा। उनका जवाब सुनते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी विधायकों ने जानना चाहा कि सरकारी कर्मचारी संगठनों द्वारा वित्त मंत्री से लेकर सरकार को जो आवेदन व प्रस्ताव दिए हैं, उनको लेकर क्या निर्णय लिया गया? वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है और न ही पुरानी पेंशन योजना लागू करने की राज्य सरकार की कोई योजना है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने बहिर्गमन कर दिया।

पुरानी पेंशन को लेकर जारी सियासत के बीच सदन के बाहर कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो हम इस पर पुरानी पेंशन लागू करेंगे। बजट सत्र में आठ दिन के अंदर पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर दूसरी बार प्रश्नकाल में हंगामा हुआ।

बुधवार को कांग्रेस विधायक सज्जन वर्मा ने प्रश्नकाल में जानना चाहा कि वर्ष 2004 में प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। पुरानी पेंशन योजना को प्रदेश में दोबारा लागू किया जाएगा या नहीं? प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की कोई योजना नहीं है और न ही इस प्रकार की कोई योजना शासन स्तर पर विचाराधीन है। इस पर वर्मा ने कहा कि प्रदेश में पांच लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। एक लाख कर्मचारी वर्तमान में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन कर्मचारियों की बातें नहीं सुन रही है। कर्मचारी हितैषी सरकार होने का दावा करने वाली यह सरकार कर्मचारियों के साथ दोहरा व्यवहार कर रही है।

कर्मचारियों को बरगला रही सरकार
सज्जन वर्मा ने पूरक प्रश्न करते हुए मंत्री से पूछा कि आपके पास या सरकार के पास कितने कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए आवेदन या प्रस्ताव दिया है? मंत्री ने फिर कहा कि कोई प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है। इस पर कांग्रेस विधायक ने उत्तेजित होते हुए कहा कि यह सरकार कर्मचारी विरोधी सरकार है। कर्मचारी संगठनों द्वारा दिए गए आवेदनों को अधिकारी रद्दी की टोकरी में डाल रहे हैं। उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। सज्जन वर्मा के साथ अन्य विधायकों ने भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने का पक्ष लिया। वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार के कर्मचारी संगठनों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों, धरना-प्रदर्शन में मंत्री जाते हैं और उन्हें बरगलाते हैं कि सरकार आप लोगों को पुरानी पेंशन का लाभ देगी, लेकिन हकीकत में सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना ही नहीं चाहती। कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है।

चीतों के लिए 300 करोड़, कर्मचारियों को कुछ नहीं
सरकार के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार के पास चीतों के लिए 300 करोड़ रुपये, विकास यात्रा के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए रुपये नहीं है। कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात कर रही है। सरकार के जवाब में हम संतुष्ट नहीं हैं और बहिर्गमन करते हैं। इसके बाद कांग्रेस विधायक बहिर्गमन कर गए।

संजय यादव असमंजस में रहे
जिस प्रश्न के उत्तर के बाद विपक्ष ने बहिर्गमन किया, उसके बाद कांग्रेस विधायक संजय यादव का स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न था। संजय यादव अपना प्रश्न पढ़ने लगे तो विधानसभा अध्यक्ष ने पूछा कि आप बहिर्गमन में शामिल हो तो प्रश्न न पढ़ो, नहीं तो बोलो कि हम बहिर्गमन के साथ नहीं है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस विधायक संजय यादव असमंजस में पड़ गए। वे चंद कदम चले और वापस अपनी सीट पर आ गए। तब तक प्रश्नकाल आगे बढ़ गया, हालांकि अध्यक्ष ने उनको दोबारा समय दिया।

कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की, पर कर दिया भवन स्वीकृत
विधायक संजय यादव ने कहा कि जबलपुर के बरगी में 10 बिस्तर के अस्पताल को 30 बिस्तर में उन्नयन कराकर उसके लिए एक करोड़ रुपये के उपकरण की स्वीकृति कमलनाथ सरकार में कराई थी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से कर्मचारियों के पद स्वीकृत कर पदस्थापना संबंधी प्रश्न किया था। यादव ने कहा कि मैंने पद स्वीकृत करने को कहा तो सरकार ने दोबारा भवन स्वीकृत कर दिया, जबकि वहां डेढ़ वर्ष पहले ही भवन बन चुका है। एक करोड़ रुपये के उपकरण खरीदी का लिखित उत्तर दिया गया है, लेकिन उपकरण कहां हैं, किसी को पता नहीं? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बजट में 263 स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए पदों को मंजूरी दी गई है। पदों की स्वीकृति वित्त विभाग से होती ही पदों को भर दिया जाएगा। कांग्रेस विधायक यादव ने आरोप लगाया कि अधिकारियों को कुछ पता नहीं, एक करोड़ के उपकरण में भ्रष्टाचार व लीपापोती की जा रही है, उपकरण कहां हैं कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।

नाथ बोले- सरकार कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही 
बर्हिगमन कर जब कांग्रेस विधायक सदन के बाहर पहुंचे तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हर सरकार कर्मचारियों से चलती है। अगर कर्मचारियों के साथ सरकार ही अन्याय करेगी तो यह सरकार कैसे चलेगी। सज्जन वर्मा के प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह घोर अन्याय है। सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम यह निर्णय करेंगे। 

वर्मा बोले- केंद्र की वजह से नहीं मिला अतिरिक्त मुआवजा  
इधर सज्जन वर्मा ने शून्यकाल में कहा, भोपाल में गैस पीड़ितों की बड़ी आबादी है। इनके मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और यह कहा है कि 8000 करोड़ का मुआवजा केंद्र सरकार अपनी तरफ से दे। वर्मा का आरोप है कि केंद्र सरकार ने समय पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिस कारण गैस पीडि़तों को अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।

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