न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: शबाहत हुसैन Updated Sun, 18 Aug 2024 07: 12 PM IST
MP News: नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि रक्षाबंधन का चंद्रमा ‘सुपरब्लूमून’ होगा। उन्होंने आगे बताया कि चंद्रमा माह में एक दिन पृथ्वी से सबसे दूर होता है इसे अपोजी कहते हैं। तो एक दिन पास के बिंदु पर आ जाता है, इसे पेरिजी कहते हैं। खगोलवैज्ञानिक सारिका घारू – फोटो : अमर उजाला
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रक्षाबंधन की शाम को और अधिक चमकदार बनाने पूर्णिमा का चंद्रमा सुपरमून के रूप में दिखने जा रहा है। यह आम पूर्णिमा के चंद्रमा से ज्यादा बड़ा और अधिक चमकदार होगा। इसकी खगोलवैज्ञानिक जानकारी देते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार पथ में परिक्रमा करता पूर्णिमा का चंद्रमा पास के बिंदु पर होता है तो चंद्रमा बड़ा और चमकदार दिखता है, इसे सुपरमून कहते हैं। आज चंद्रमा 3 लाख 61 हजार 969 किमी की दूरी पर रहते हुये पृथ्वी से नजदीक होगा।
सारिका ने बताया कि चंद्रमा माह में एक दिन पृथ्वी से सबसे दूर होता है इसे अपोजी कहते हैं। तो एक दिन पास के बिंदु पर आ जाता है, इसे पेरिजी कहते हैं। आज के इस सुपरमून को ब्लूमून भी नाम दिया गया है, क्योंकि 21 जून से 22 सितंबर के खगोलीय सीजन में पड़ने वाले चार पूर्णिमा में से यह तीसरी पूर्णिमा का चांद है। सारिका ने बताया कि ब्लूमून सिर्फ नामरकण है। चांद का रंग तो बाकी पूर्णिमा की ही तरह होगा। आज चंद्रमा सुबह की स्थिति में श्रवण नक्षत्र में स्थित रहेगा। पूर्णिमा के चंद्रमा के नक्षत्र के नाम के आधार पर ही इस महीने का नाम सावन रखा गया है।
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