गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में होने वाली प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया में चिकित्सा शिक्षा विभाग 10 साल की छूट देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने जीएडी को प्रस्ताव भी भेजा है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग सकती है। मेडिकल कॉलेजों में अब 50 साल की उम्र तक असिस्टेंड प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो सकेगी। अभी तक अधिकतम आयु 40 वर्ष थी।
पढ़ाई करते-करते ही 32 पर हो जाती है उम्र
मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि एमडी-एमएस की पढ़ाई पूरी करने में ही डॉक्टरों की उम्र 32 पार हो जाती है। इसके बाद उसे बांड अवधि भी पूरी करनी होती है। वहीं, यदि डॉक्टर का चयन सुपर स्पेशियलिटी में हो गया तो इसमें चार साल और लग जाते हैं। इसके बाद एक साल सीनियर रेजिडेंट के पद पर रहने के बाद ही डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का पात्र होता है। इस पूरी प्रक्रिया में डॉक्टर की उम्र 40 साल पहुंच जाती है और भर्ती होने से उम्र सीमा पार होने से असिस्टेंड प्रोफेसर नहीं बन पाते।
पहले भी भेजा जा चुका है प्रस्ताव
अधिकारियों ने बताया कि एक पहले भी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंड प्रोफेसरों की नियुक्ति की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन तब जीएडी ने यह कहते हुए प्रस्ताव को वापस कर दिया था, कि किसी एक विभाग के लिए उम्र सीमा में बदलाव नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इस बार चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इसे विशेष प्रकरण बताकर जीएडी को भेजा है। इसके बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा।
इन मेडिकल कॉलेज में नियम नहीं होगा लागू
इस प्रस्ताव में स्पष्ट तौर बताया गया है कि यह निजी मेडिकल कॉलेजों में लागू नहीं होगा। निजी कॉलेज अपने हिसाब से असिस्टेंट प्रोफेसरों की आयु सीमा तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बता दें, कि अब तक शासकीय मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए 40 साल की आयु सीमा तय की गई है। वहीं, आरक्षित वर्ग को इसमें 5 साल की छूट देते हुए 45 वर्ष तय की गई है। सरकार के आधीन अभी सिंगरौली और श्योपुर मेडिकल कॉलेज में इस साल भर्ती प्रक्रिया शुरु होगी। मंडला, बुधनी और राजगढ़ मेडिकल कॉलेज में आगे साल से सत्र प्रारंभ होगा। इन कॉलेजों में नए नियमों के तहत ही भर्ती होगी।
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