mp-news: -मुख्यमंत्री-ने-पहली-बार-लिया-किसी-जिले-का-प्रभार-लिया,-कद्दावर-मंत्रियों-पर 'कैंची'-चली-क्या?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 13 Aug 2024 05: 23 PM IST मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों को आठ महीने बाद जिलों का प्रभार सौंपा गया है। इस बार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है। यह पहली बार है जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किसी जिले का प्रभार अपने पास रखा है। साथ ही, सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार देने से सवाल खड़े हो गए हैं। पहली बार के मंत्रियों को बड़े जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (फाइल फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार रात मंत्रियों को जिलों के प्रभार की सूची जारी की। प्रदेश में 55 जिले और 32 मंत्री हैं। कई वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभार दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है, जबकि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे बड़े नेताओं को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है, इसे लेकर राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि यह कदम मुख्यमंत्री की ओर से मंत्रियों को संदेश देने और उनके साथ मिलकर काम करने की मंशा को दर्शाता है। इसके अलावा इंदौर राज्य की आर्थिक राजधानी है। मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन से इसकी सीमा लगती है। यादव इंदौर और उज्जैन के बीच विकास की योजना बना रहे हैं, जिसे वह शीघ्रता से पूरा करना चाहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इंदौर का प्रभार अपने पास रखकर संकेत दिया है कि वे मंत्रियों को प्रेरित करते हुए उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहते हैं। जब मुख्यमंत्री खुद जिले का प्रभार संभालेंगे और नियमित रूप से बैठकें लेंगे, तो अन्य मंत्रियों को भी अपने प्रभार वाले जिलों में सक्रिय होना पड़ेगा। वरिष्ठ मंत्रियों को छोटे जिले, नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी  इस बार वरिष्ठ मंत्रियों को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार देकर राजनीतिक पंडितों ने विभिन्न अनुमान लगाए हैं। इंदौर के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार का प्रभार मिला, जबकि प्रहलाद पटेल को भिंड और रीवा जिलों का प्रभार दिया गया है। राकेश सिंह को छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम का प्रभार सौंपा गया है। इसके विपरीत पहली बार के मंत्रियों को बड़े संभाग वाले जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। सबसे ताकतवर चेहरे: उपमुख्यमंत्री और सिंधिया खेमा  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को बड़े संभाग वाले जिलों का प्रभार दिया है। देवड़ा को जबलपुर और देवास का प्रभार मिला, जबकि राजेंद्र शुक्ल को सागर और शहडोल का जिम्मा सौंपा गया। सिंधिया खेमे के मंत्री तुलसी सिलावट को ग्वालियर और बुरहानपुर जिलों का प्रभार दिया गया है, जबकि गोविंद सिंह राजपूत को गुना का प्रभार मिला है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 13 Aug 2024 05: 23 PM IST

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों को आठ महीने बाद जिलों का प्रभार सौंपा गया है। इस बार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है। यह पहली बार है जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किसी जिले का प्रभार अपने पास रखा है। साथ ही, सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार देने से सवाल खड़े हो गए हैं। पहली बार के मंत्रियों को बड़े जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (फाइल फोटो) – फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार Follow Us

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार रात मंत्रियों को जिलों के प्रभार की सूची जारी की। प्रदेश में 55 जिले और 32 मंत्री हैं। कई वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभार दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है, जबकि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे बड़े नेताओं को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है, इसे लेकर राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि यह कदम मुख्यमंत्री की ओर से मंत्रियों को संदेश देने और उनके साथ मिलकर काम करने की मंशा को दर्शाता है। इसके अलावा इंदौर राज्य की आर्थिक राजधानी है। मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन से इसकी सीमा लगती है। यादव इंदौर और उज्जैन के बीच विकास की योजना बना रहे हैं, जिसे वह शीघ्रता से पूरा करना चाहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इंदौर का प्रभार अपने पास रखकर संकेत दिया है कि वे मंत्रियों को प्रेरित करते हुए उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहते हैं। जब मुख्यमंत्री खुद जिले का प्रभार संभालेंगे और नियमित रूप से बैठकें लेंगे, तो अन्य मंत्रियों को भी अपने प्रभार वाले जिलों में सक्रिय होना पड़ेगा।

वरिष्ठ मंत्रियों को छोटे जिले, नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी 
इस बार वरिष्ठ मंत्रियों को अपेक्षाकृत छोटे जिलों का प्रभार देकर राजनीतिक पंडितों ने विभिन्न अनुमान लगाए हैं। इंदौर के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार का प्रभार मिला, जबकि प्रहलाद पटेल को भिंड और रीवा जिलों का प्रभार दिया गया है। राकेश सिंह को छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम का प्रभार सौंपा गया है। इसके विपरीत पहली बार के मंत्रियों को बड़े संभाग वाले जिलों की जिम्मेदारी दी गई है।

सबसे ताकतवर चेहरे: उपमुख्यमंत्री और सिंधिया खेमा 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को बड़े संभाग वाले जिलों का प्रभार दिया है। देवड़ा को जबलपुर और देवास का प्रभार मिला, जबकि राजेंद्र शुक्ल को सागर और शहडोल का जिम्मा सौंपा गया। सिंधिया खेमे के मंत्री तुलसी सिलावट को ग्वालियर और बुरहानपुर जिलों का प्रभार दिया गया है, जबकि गोविंद सिंह राजपूत को गुना का प्रभार मिला है।

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