mp-news:-मुआवजे-के-लिए-अफसरों-ने-भी-खेत-में-बना-दिए-मकान,-अब-प्रशासन-करेगा-कार्रवाई
सिंगरौली-प्रयागराज नेशनल हाईवे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश के सिंगरौली में निर्माणाधीन प्रयागराज हाईवे पर मुआवजे का खेल शुरू हो गया है। यहां पिछले कुछ दिनों में करीब ढाई हजार मकान बन गए हैं। ज्यादातर घर अधूरे बने हैं। यह मकान उस जगह बने हैं, जहां से हाईवे को गुजरना है। खेत के बजाय मकान पर मुआवजा अधिक मिलता है, इस वजह से अफसरों ने भी खाली जगहों पर अधूरे मकान बना दिए हैं। मुआवजे के खेल का पता चलते ही जिला प्रशासन भी सख्त हो गया है। उसने कार्रवाई की बात कही है।  मामला सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का है। इस हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले में आता है। इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद ही अधिक मुआवजा दिलाने के लिए दलालों का रैकेट सक्रिय हो गया और कुछ ही महीनों में 2,500 मकान बन गए। लोगों का कहना है कि हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद यहां की जमीन खरीदने वालों में नेता और अफसर भी पीछे नहीं रहे। जमीन मालिक मकान बनवाने के लिए सौदे भी कर रहे हैं। यह बात सामने आने के बाद पूरे जिले में हड़कम्प मचा है।  33 गांवों को जोड़ेगा हाईवे सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले की चितरंगी और दुधमनिया तहसील से होकर गुजरता है। 740 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में इन दोनों तहसीलों के 33 गांवों की जमीन आ रही है। अधिग्रहण की कार्यवाही मार्च में शुरू हुई। सर्वे शुरू होने के साथ ही यहां मकान बनाने पर रोक लग गई थी। जमीन की खरीद-फरोख्त भी नहीं हो सकती। प्रशासन ने इस संबंध में अनाउंसमेंट किए। नोटिस तक लगाए। इसके बाद भी किसानों ने मुआवजे के लिए नए फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया है।     यह बना है मुआवजे का फॉर्मूला मुआवजे के लिए खेतों में बने मकान आधे-अधूरे हैं। किसी में सिर्फ ईटें रखी गई हैं तो किसी में कच्चा मकान बनाया गया है। कुछ तो सिर्फ शेड बने हैं। इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो बाहरी राज्यों के लोगों से स्टाम्प पेपर पर सौदे भी कर लिए हैं। इसके मुताबिक आवास से जो भी मुआवजा मिलेगा, उसमें से 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत का बंटवारा होगा। यानी मुआवजे की बढ़ी हुई राशि का 80 प्रतिशत मकान बनाने वाले को और 20 प्रतिशत राशि जमीन मालिक को मिलेगी।  केंद्र के पास गई शिकायतें नेशनल हाईवे बनाने वाली केंद्रीय एजेंसी नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और राज्य के लोक निर्माण विभाग (PWD) को भी शिकायतें पहुंची हैं। इसमें कहा गया है कि लोग मुआवजे के लिए घर बना रहे हैं। चितरंगी एसडीएम सुरेश जाधव का कहना है कि सर्वे हुआ तो सिर्फ 500 घर ही आ रहे थे। अब हाईवे की जमीन पर 2,500 मकान बन चुके हैं। सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं दिया जाएगा।  10 गुना तक बढ़ गई जमीन की कीमत  हाईवे के सर्वे से पहले इस इलाके में जमीन का रेट आठ हजार रुपये प्रति डेसिमल था, जो बढ़कर 80 हजार रुपये हो चुका है। मकान बनाने के बाद एक्सपर्ट से उसका वैल्युएशन कराया जाता है। उसके आधार पर मुआवजे की मांग की जाती है। मकान से लेकर बोर तक के पैसे मिलते हैं। सरकार का साफ कहना है कि सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके बाद भी दलाल सक्रिय है और मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन मालिकों और अन्य लोगों को फंसा रहे हैं। यदि मुआवजा नहीं मिला तो जमीन पर मकान बनाने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

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सिंगरौली-प्रयागराज नेशनल हाईवे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश के सिंगरौली में निर्माणाधीन प्रयागराज हाईवे पर मुआवजे का खेल शुरू हो गया है। यहां पिछले कुछ दिनों में करीब ढाई हजार मकान बन गए हैं। ज्यादातर घर अधूरे बने हैं। यह मकान उस जगह बने हैं, जहां से हाईवे को गुजरना है। खेत के बजाय मकान पर मुआवजा अधिक मिलता है, इस वजह से अफसरों ने भी खाली जगहों पर अधूरे मकान बना दिए हैं। मुआवजे के खेल का पता चलते ही जिला प्रशासन भी सख्त हो गया है। उसने कार्रवाई की बात कही है। 

मामला सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का है। इस हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले में आता है। इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद ही अधिक मुआवजा दिलाने के लिए दलालों का रैकेट सक्रिय हो गया और कुछ ही महीनों में 2,500 मकान बन गए। लोगों का कहना है कि हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद यहां की जमीन खरीदने वालों में नेता और अफसर भी पीछे नहीं रहे। जमीन मालिक मकान बनवाने के लिए सौदे भी कर रहे हैं। यह बात सामने आने के बाद पूरे जिले में हड़कम्प मचा है। 

33 गांवों को जोड़ेगा हाईवे
सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले की चितरंगी और दुधमनिया तहसील से होकर गुजरता है। 740 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में इन दोनों तहसीलों के 33 गांवों की जमीन आ रही है। अधिग्रहण की कार्यवाही मार्च में शुरू हुई। सर्वे शुरू होने के साथ ही यहां मकान बनाने पर रोक लग गई थी। जमीन की खरीद-फरोख्त भी नहीं हो सकती। प्रशासन ने इस संबंध में अनाउंसमेंट किए। नोटिस तक लगाए। इसके बाद भी किसानों ने मुआवजे के लिए नए फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया है।    

यह बना है मुआवजे का फॉर्मूला
मुआवजे के लिए खेतों में बने मकान आधे-अधूरे हैं। किसी में सिर्फ ईटें रखी गई हैं तो किसी में कच्चा मकान बनाया गया है। कुछ तो सिर्फ शेड बने हैं। इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो बाहरी राज्यों के लोगों से स्टाम्प पेपर पर सौदे भी कर लिए हैं। इसके मुताबिक आवास से जो भी मुआवजा मिलेगा, उसमें से 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत का बंटवारा होगा। यानी मुआवजे की बढ़ी हुई राशि का 80 प्रतिशत मकान बनाने वाले को और 20 प्रतिशत राशि जमीन मालिक को मिलेगी। 

केंद्र के पास गई शिकायतें
नेशनल हाईवे बनाने वाली केंद्रीय एजेंसी नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और राज्य के लोक निर्माण विभाग (PWD) को भी शिकायतें पहुंची हैं। इसमें कहा गया है कि लोग मुआवजे के लिए घर बना रहे हैं। चितरंगी एसडीएम सुरेश जाधव का कहना है कि सर्वे हुआ तो सिर्फ 500 घर ही आ रहे थे। अब हाईवे की जमीन पर 2,500 मकान बन चुके हैं। सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं दिया जाएगा। 

10 गुना तक बढ़ गई जमीन की कीमत 
हाईवे के सर्वे से पहले इस इलाके में जमीन का रेट आठ हजार रुपये प्रति डेसिमल था, जो बढ़कर 80 हजार रुपये हो चुका है। मकान बनाने के बाद एक्सपर्ट से उसका वैल्युएशन कराया जाता है। उसके आधार पर मुआवजे की मांग की जाती है। मकान से लेकर बोर तक के पैसे मिलते हैं। सरकार का साफ कहना है कि सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके बाद भी दलाल सक्रिय है और मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन मालिकों और अन्य लोगों को फंसा रहे हैं। यदि मुआवजा नहीं मिला तो जमीन पर मकान बनाने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

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