mp-news:-मुंबई-के-प्राचीन-बाबुलनाथ-शिवलिंग-में-दरार,-जानिए-महाकाल-मंदिर-में-कैसे-होता-है-शिवलिंग-का-संरक्षण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Sun, 26 Mar 2023 10: 22 PM IST पिछले महीने मुंबई के 350 साल पुराने शिवलिंग में दिखी दरार के कारण और बचाव के कई तरीके सामने आए हैं। उज्जैन के महाकाल में बाबा महाकाल के शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए पुजारी कई जतन करते आ रहे हैं। यहां एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन किया जाता है। मंदिर में बाबा महाकाल को सिर्फ आरओ का जल ही चढ़ाया जाता है और इस जल को भी श्रद्धालुओं को मंदिर समिति उपलब्ध करवाती है। बता दें कि बीते महीने मुंबई के 350 साल पुराने शिवलिंग में दिखी क्षति के बाद मंदिर के अधिकारियों ने आईआईटी-बॉम्बे से विशेषज्ञ मार्गदर्शन मांगा था। इसके बाद पता चला था कि पूजन के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री जैसे दूध, राख, गुलाल, चंदन, अत्तर और अन्य सामग्री मिलावटी है, जिसके बाद मंदिर में दूध, गंगाजल, शहद, गन्ने का रस चढ़ाने और बेलपत्र, फूल, मिठाई और फल चढ़ाने पर रोक लगाने वाला बोर्ड लगा दिया गया था। आईआईटी-बॉम्बे की रिपोर्ट में अब शिवलिंग के संरक्षण और दीर्घायु के लिए कुछ सुझाव दिए गए थे, जिसमें मुख्य रूप से, यह सिफारिश की गई है कि मूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे पदार्थ जिनमें मिलावट की जा सकती है उनका प्रयोग मंदिर के पूजन में न करने की हिदायत दी गई थी। इस बोर्ड ने शिवलिंग पर केवल जल अभिषेक की अनुमति दी है। ये मामला सामने आने के बाद हमने विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर के जिम्मेदारों के साथ ही यहां के पंडितों और पुजारियों से यह जानने की कोशिश की कि यहां शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए आखिर क्या किया जाता है। बताया गया कि वर्ष 2016 में बाबा महाकाल के शिवलिंग के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआई और जीएसआई की टीम महाकाल मंदिर पहुंची थी, जिन्होंने एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को निर्देश दिए थे कि आप बाबा महाकाल को आरओ का जल अर्पित करें साथ ही जो भी पूजन सामग्री अर्पित की जाती है उसकी भी पहले पुष्टि कर ली जाए कि यह कहीं मिलावटी ना हो।   श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन किया जाता है मंदिर में बाबा महाकाल को सिर्फ आरओ का जल ही चढ़ाया जाता है और इस जल को भी श्रद्धालुओं को मंदिर समिति उपलब्ध करवाती है। जिसकी जांच करने एएसआई और जीएसआई की टीम समय-समय पर महाकाल मंदिर आती है। पंचामृत पूजन बंद श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश पुजारी ने बताया कि प्रतिमाओं का संरक्षण आवश्यक है। पुजारी व प्रबंध समिति का दायित्व है कि वह ऐसे प्रयास करें जिससे कि यदि प्रतिमाओं का क्षरण होता है तो उसे रोका जा सके। मुंबई के बाबुलनाथ शिव मंदिर में यदि प्रतिमा में कोई दरार आई है या इसका क्षरण हो रहा है तो कुछ नियमों का पालन कर इस क्षरण को रोका जा सकता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी कुछ वर्षों बाबा महाकाल की प्रतिमा का संरक्षण करने के लिए एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन कर मंदिर में विधिवत पूजन-अर्चन किया जा रहा है। वर्तमान में पूजन सामग्रियों में भी मिलावट हो रही है। इसीलिए भगवान के परंपरागत पूजन में सिर्फ उन्हें शुद्ध सामग्री ही अर्पित की जाना चाहिए। मंदिर में अधिक भगवान पर जल अर्पित करने पर रोक लगाई गई है तो उसमें अभी भगवान को सिर्फ आरओ युक्त जल अर्पित किया जा सकता है। महाकाल मंदिर में भी न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए प्रबंध समिति और पुजारी एवं पुरोहितों ने पूजन सामग्री में मिलावट के कारण ही पंचामृत पूजन करना बंद कर दिया है। 2 सितंबर 2020 को सुनाया गया था फैसला बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय जस्टिस मिश्रा ने मंदिर प्रशासन को 8 सुझाव पर अमल करने की हरी झंडी देते हुए कहा था कि श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग पर 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल अर्पित ना किया जाए। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूती कपड़े से पूरा ढंका जाए। बाबा महाकाल को आरओ का जल चढ़ाने के साथ ही शिवलिंग पर मिलावटी चीनी, घी, चीनी पाउडर ना चढ़ाया जाए। साथ ही बाबा महाकाल का शिवलिंग सूखा रहे इसीलिए गर्भगृह में ड्रायर व पंखे भी लगाने के आदेश दिए गए थे।   2021 में जांची गई थी शिवलिंग की गोलाई-ऊंचाई महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के लिए वर्ष 2021 में शिवलिंग की जांच के लिए एएसआई (आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) और जीएसआई की टीम आई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आठ सदस्यीय दल ने शिवलिंग की गोलाई, ऊंचाई नापने के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैम्पल लिया था। मंदिर परिसर में स्थित ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी जायजा लिया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और जीएसआई की टीम ने इसकी पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर प्रवीण कुमार ने डायरेक्टर साइंस राम निगम, जीएसआई से तपन पाल डायरेक्टर, जीएसआई के वीपी गौर सहित अन्य टीम के सदस्यों ने महाकाल मंदिर का स्ट्रक्चर देखकर इसकी रिपोर्ट तैयार की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हर साल शिवलिंग और महाकाल मंदिर के ढांचे की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए। 2018 में आया था आदेश बाबा महाकाल को चढ़ेगा सिर्फ आरओ का पानी महाकाल मंदिर से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में आदेश दिया था कि शिवलिंग पर केवल आरओ का पानी ही चढ़ाया जाएगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में किस तरह से पूजा-अर्चना हो यह तय करना हमारा काम नहीं है। हम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए चिंतित हैं। याद रहे कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरओ के पानी से महाकाल शिवलिंग का अभिषेक किया जाना चाहिए। इससे पहले इस पर फैसला होना था कि अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, शहद, शकर और घी) से अभिषेक हो या नहीं और कितनी मात्रा में हो। दरअसल, चढ़ावे से शिवलिंग के आकार का छोटा (क्षरण) होने के चलते कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसके बाद जांच के लिए एएसआई और जीएसआई की कमेटी सर्वे के लिए गई थी।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Sun, 26 Mar 2023 10: 22 PM IST

पिछले महीने मुंबई के 350 साल पुराने शिवलिंग में दिखी दरार के कारण और बचाव के कई तरीके सामने आए हैं। उज्जैन के महाकाल में बाबा महाकाल के शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए पुजारी कई जतन करते आ रहे हैं। यहां एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन किया जाता है। मंदिर में बाबा महाकाल को सिर्फ आरओ का जल ही चढ़ाया जाता है और इस जल को भी श्रद्धालुओं को मंदिर समिति उपलब्ध करवाती है।

बता दें कि बीते महीने मुंबई के 350 साल पुराने शिवलिंग में दिखी क्षति के बाद मंदिर के अधिकारियों ने आईआईटी-बॉम्बे से विशेषज्ञ मार्गदर्शन मांगा था। इसके बाद पता चला था कि पूजन के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री जैसे दूध, राख, गुलाल, चंदन, अत्तर और अन्य सामग्री मिलावटी है, जिसके बाद मंदिर में दूध, गंगाजल, शहद, गन्ने का रस चढ़ाने और बेलपत्र, फूल, मिठाई और फल चढ़ाने पर रोक लगाने वाला बोर्ड लगा दिया गया था। आईआईटी-बॉम्बे की रिपोर्ट में अब शिवलिंग के संरक्षण और दीर्घायु के लिए कुछ सुझाव दिए गए थे, जिसमें मुख्य रूप से, यह सिफारिश की गई है कि मूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे पदार्थ जिनमें मिलावट की जा सकती है उनका प्रयोग मंदिर के पूजन में न करने की हिदायत दी गई थी। इस बोर्ड ने शिवलिंग पर केवल जल अभिषेक की अनुमति दी है।

ये मामला सामने आने के बाद हमने विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर के जिम्मेदारों के साथ ही यहां के पंडितों और पुजारियों से यह जानने की कोशिश की कि यहां शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए आखिर क्या किया जाता है। बताया गया कि वर्ष 2016 में बाबा महाकाल के शिवलिंग के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआई और जीएसआई की टीम महाकाल मंदिर पहुंची थी, जिन्होंने एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को निर्देश दिए थे कि आप बाबा महाकाल को आरओ का जल अर्पित करें साथ ही जो भी पूजन सामग्री अर्पित की जाती है उसकी भी पहले पुष्टि कर ली जाए कि यह कहीं मिलावटी ना हो।
 

श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन किया जाता है मंदिर में बाबा महाकाल को सिर्फ आरओ का जल ही चढ़ाया जाता है और इस जल को भी श्रद्धालुओं को मंदिर समिति उपलब्ध करवाती है। जिसकी जांच करने एएसआई और जीएसआई की टीम समय-समय पर महाकाल मंदिर आती है।

पंचामृत पूजन बंद
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश पुजारी ने बताया कि प्रतिमाओं का संरक्षण आवश्यक है। पुजारी व प्रबंध समिति का दायित्व है कि वह ऐसे प्रयास करें जिससे कि यदि प्रतिमाओं का क्षरण होता है तो उसे रोका जा सके। मुंबई के बाबुलनाथ शिव मंदिर में यदि प्रतिमा में कोई दरार आई है या इसका क्षरण हो रहा है तो कुछ नियमों का पालन कर इस क्षरण को रोका जा सकता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी कुछ वर्षों बाबा महाकाल की प्रतिमा का संरक्षण करने के लिए एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का पालन कर मंदिर में विधिवत पूजन-अर्चन किया जा रहा है। वर्तमान में पूजन सामग्रियों में भी मिलावट हो रही है। इसीलिए भगवान के परंपरागत पूजन में सिर्फ उन्हें शुद्ध सामग्री ही अर्पित की जाना चाहिए। मंदिर में अधिक भगवान पर जल अर्पित करने पर रोक लगाई गई है तो उसमें अभी भगवान को सिर्फ आरओ युक्त जल अर्पित किया जा सकता है। महाकाल मंदिर में भी न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए प्रबंध समिति और पुजारी एवं पुरोहितों ने पूजन सामग्री में मिलावट के कारण ही पंचामृत पूजन करना बंद कर दिया है।

2 सितंबर 2020 को सुनाया गया था फैसला
बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय जस्टिस मिश्रा ने मंदिर प्रशासन को 8 सुझाव पर अमल करने की हरी झंडी देते हुए कहा था कि श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग पर 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल अर्पित ना किया जाए। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूती कपड़े से पूरा ढंका जाए। बाबा महाकाल को आरओ का जल चढ़ाने के साथ ही शिवलिंग पर मिलावटी चीनी, घी, चीनी पाउडर ना चढ़ाया जाए। साथ ही बाबा महाकाल का शिवलिंग सूखा रहे इसीलिए गर्भगृह में ड्रायर व पंखे भी लगाने के आदेश दिए गए थे।
 

2021 में जांची गई थी शिवलिंग की गोलाई-ऊंचाई
महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के लिए वर्ष 2021 में शिवलिंग की जांच के लिए एएसआई (आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) और जीएसआई की टीम आई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आठ सदस्यीय दल ने शिवलिंग की गोलाई, ऊंचाई नापने के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैम्पल लिया था। मंदिर परिसर में स्थित ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी जायजा लिया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और जीएसआई की टीम ने इसकी पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर प्रवीण कुमार ने डायरेक्टर साइंस राम निगम, जीएसआई से तपन पाल डायरेक्टर, जीएसआई के वीपी गौर सहित अन्य टीम के सदस्यों ने महाकाल मंदिर का स्ट्रक्चर देखकर इसकी रिपोर्ट तैयार की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हर साल शिवलिंग और महाकाल मंदिर के ढांचे की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए।

2018 में आया था आदेश बाबा महाकाल को चढ़ेगा सिर्फ आरओ का पानी
महाकाल मंदिर से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में आदेश दिया था कि शिवलिंग पर केवल आरओ का पानी ही चढ़ाया जाएगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में किस तरह से पूजा-अर्चना हो यह तय करना हमारा काम नहीं है। हम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए चिंतित हैं। याद रहे कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरओ के पानी से महाकाल शिवलिंग का अभिषेक किया जाना चाहिए। इससे पहले इस पर फैसला होना था कि अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, शहद, शकर और घी) से अभिषेक हो या नहीं और कितनी मात्रा में हो। दरअसल, चढ़ावे से शिवलिंग के आकार का छोटा (क्षरण) होने के चलते कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसके बाद जांच के लिए एएसआई और जीएसआई की कमेटी सर्वे के लिए गई थी।

Posted in MP