mp-news:-मध्य-प्रदेश-में-बाघों-की-मौत-पर-लापरवाही-उजागर,-विभाग-ने-कहा-काम-को-लेकर-अधिकारियों-में-रुचि-की-कमी
मध्यप्रदेश में बाघों की मौत की जांच। - फोटो : social media विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश में बाघों की मौत पर उठे सवालों के बाद राज्य के वन्यजीव विभाग ने अधिकारियों की लापरवाही और बाघ संरक्षण में रुचि की कमी को स्वीकार किया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) और शहडोल वन मंडल में 2021 से 2023 के बीच 43 बाघों की मौत के संबंध में वन्यजीव विभाग ने अपनी गलती स्वीकारते हुए अधिकारियों के लापरवाही उजागर की है। विभाग का कहना है कि कुछ अधिकारी अपने कार्य के प्रति लापरवाह थे।  बता दें कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने राज्य के वन्यजीव विभाग से स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) द्वारा बाघों की मौतों पर उठाए गए सवालों के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा था, जिस पर ये बात सामने आई। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले तीन सालों में 34 बाघों की मौत और शहडोल में 9 मौतों के बाद मध्य प्रदेश के बाघ संरक्षण पर सवाल उठाए गए। इस दौरान गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कई खामियों का उल्लेख किया गया। इसमें वन विभाग की लापरवाही मुख्य रूप से सामने आई। जांच में बाघों की मौतों के पीछे शिकारियों का हाथ होने का भी अंदेशा जताया गया था। पाया गया कि कई मामलों में तो पोस्टमार्टम ही नहीं किया गया। न ही शिकारियों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कार्रवाई की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 से 2023 के बीच बंधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल वन क्षेत्र में 43 बाघों की मौत हुई। इनमें से अधिकांश की जांच में वन्यजीव अधिकारियों की लापरवाही पाई गई। वन्यजीव अधिकारियों की शिथिल जांच, शिकार के मामलों की अनदेखी, पोस्टमार्टम प्रक्रिया में गड़बड़ियां और चिकित्सा लापरवाही के कारण हुई बाघों की मौतें एसआईटी द्वारा उठाए गए मुद्दों में शामिल थे। इन मुद्दों पर एनटीसीए ने वन्यजीव विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था। वन्यजीव विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुभरंजन सेन ने एनटीसीए को लिखे पत्र में स्वीकार किया कि कुछ मामलों में वन्यजीव मुख्यालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जांच में यह भी था कि बंधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 34 बाघों की मौत हुई, जबकि शहडोल वन क्षेत्र में नौ बाघों की मौत दर्ज की गई। ये मौते तब हुईं, जब संबंधित क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक अपने पद पर तैनात थे और कोताही बरती गई थी। इस पूरे मामले के बाद, वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे, जिन्होंने राज्य में बाघों के शिकार की घटनाओं को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी, ने कहा कि वे अब इस मामले में CBI जांच के लिए उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।

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मध्यप्रदेश में बाघों की मौत की जांच। – फोटो : social media

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मध्यप्रदेश में बाघों की मौत पर उठे सवालों के बाद राज्य के वन्यजीव विभाग ने अधिकारियों की लापरवाही और बाघ संरक्षण में रुचि की कमी को स्वीकार किया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) और शहडोल वन मंडल में 2021 से 2023 के बीच 43 बाघों की मौत के संबंध में वन्यजीव विभाग ने अपनी गलती स्वीकारते हुए अधिकारियों के लापरवाही उजागर की है। विभाग का कहना है कि कुछ अधिकारी अपने कार्य के प्रति लापरवाह थे। 

बता दें कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने राज्य के वन्यजीव विभाग से स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) द्वारा बाघों की मौतों पर उठाए गए सवालों के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा था, जिस पर ये बात सामने आई।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले तीन सालों में 34 बाघों की मौत और शहडोल में 9 मौतों के बाद मध्य प्रदेश के बाघ संरक्षण पर सवाल उठाए गए। इस दौरान गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कई खामियों का उल्लेख किया गया। इसमें वन विभाग की लापरवाही मुख्य रूप से सामने आई। जांच में बाघों की मौतों के पीछे शिकारियों का हाथ होने का भी अंदेशा जताया गया था। पाया गया कि कई मामलों में तो पोस्टमार्टम ही नहीं किया गया। न ही शिकारियों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कार्रवाई की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 से 2023 के बीच बंधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल वन क्षेत्र में 43 बाघों की मौत हुई। इनमें से अधिकांश की जांच में वन्यजीव अधिकारियों की लापरवाही पाई गई। वन्यजीव अधिकारियों की शिथिल जांच, शिकार के मामलों की अनदेखी, पोस्टमार्टम प्रक्रिया में गड़बड़ियां और चिकित्सा लापरवाही के कारण हुई बाघों की मौतें एसआईटी द्वारा उठाए गए मुद्दों में शामिल थे।

इन मुद्दों पर एनटीसीए ने वन्यजीव विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था। वन्यजीव विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुभरंजन सेन ने एनटीसीए को लिखे पत्र में स्वीकार किया कि कुछ मामलों में वन्यजीव मुख्यालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जांच में यह भी था कि बंधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 34 बाघों की मौत हुई, जबकि शहडोल वन क्षेत्र में नौ बाघों की मौत दर्ज की गई। ये मौते तब हुईं, जब संबंधित क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक अपने पद पर तैनात थे और कोताही बरती गई थी।

इस पूरे मामले के बाद, वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे, जिन्होंने राज्य में बाघों के शिकार की घटनाओं को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी, ने कहा कि वे अब इस मामले में CBI जांच के लिए उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।

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