mp-news:-मध्यप्रदेश-को-टाइगर-स्टेट-का-दर्जा-दिलाने-में-नौरादेही-अभ्यारण्य-के-16-बाघों-का-अहम-योगदान
नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सागर जिले में स्थित नौरादेही अभ्यारण्य को रानी दुर्गावती अभ्यारण्य से जोड़कर जल्द नया टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी भी चल रही है, जिसकी केंद्र से स्वीकृति भी मिल चुकी है। ऐसे में नौरादेही और पन्ना टाइगर रिजर्व को मिलाकर बुंदेलखंड बाघों के मामले में देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र बन जाएगा। बुंदेलखंड को बाघों ने नई पहचान दी है। वहीं, नौरादेही भी अब टाइगर स्टेट में अपनी नई पहचान गढ़ रहा है। यहां 16 बाघ हैं, यहां की जैव विविधता के बीच बाघों के अनुकूलन और उनके कुनबे के विस्तार पर अध्ययन के लिए देश भर से वन्यजीव विशेषज्ञ यहां डेरा डालते हैं। टाइगर स्टेट में 7वां टाइगर रिजर्व बनने जा रहे नौरादेही अभयारण्य प्रदेश के प्रमुख रिजर्व के बीच प्राकृतिक कॉरीडोर बनाता है, जिससे पन्ना, बांधवगढ़, सतपुड़ा और सिवनी का पेंच रिजर्व आपस में एक-दूसरे से जुड़ता है। यानी नौरादेही उस स्पॉट के रूप में भी विकसित होगा, जहां संख्या अधिक होने पर दूसरे रिजर्व से टाइगरों को शिफ्ट करना आसान होगा। नौरादेही अभ्यारण्य इकलौता रिजर्व होगा, जहां प्रदेश के पांच रिजर्व से बाघों को बिना किसी मुश्किल के ला और ले जा सकेंगे। नौरादेही में पांच साल में दो से 16 बाघ हो गए बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर स्थित नौरादेही वन्य प्राणी अभयारण्य के जंगलों में वर्तमान में बाघ परिवार में 16 बाघ मौजूद हैं। जबकि एक बाघ किशन एन2 की पिछले महीने टेरेटरी फाइट में मौत हो चुकी है। बता दें कि बाघ विहीन हो चुके नौरादेही में बाघ पुनर्स्थापन प्रोजेक्ट के तहत साल 2018 में बाघ-बाघिन को लाया गया था। पहली बार में बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था। धीरे-धीरे बढ़कर इनकी संख्या 16 हो गई है। जहर खिलाने के कारण मां बनने की उम्मीद कम थी वन विभाग के अनुसार सात साल पहले पेंच अभ्यारण्य में शिकारियों ने बाघिन राधा के पूरे परिवार को जहरीला पदार्थ खिलाकर मार दिया था। तब यह बाघिन छह महीने की थी, लेकिन जहर की ज्यादा खुराक नहीं खाने के कारण इसे बचा लिया गया। बाद में दूध की बॉटल के जरिए बाघिन को कान्हा अभ्यारण्य में पाला गया। बाघिन को नौरादेही लाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन के शरीर पर जहर के असर को देखते हुए उसके मां बनने की कम उम्मीद थी, लेकिन इसने 2018 में एक साथ तीन शावकों को जन्म देकर यह सिद्ध कर दिया है कि बाघों के लिए नौरादेही उपयुक्त और वहां का वातावरण अनुकूल है। साल 2018 तक पन्ना को छोड़कर पूरे बुंदेलखंड में बाघ का अस्तित्व नहीं था। यहां बाघों की चर्चा कहानियों तक सिमट चुकी थी। ऐसे में नौरादेही में टाइगर प्रोजेक्ट शुरू होने के साथ उम्मीद जागी। बांधवगढ़ और कान्हा से आए बाघ-बाघिन के जोड़े ने नौरादेही को अपना ठिकाना बनाया। यहां के अनुकूल पर्यावरण, घने छिछले जंगल और पर्याप्त आहार ने बाघों को संरक्षण दिया। नतीजा आज यहां 16 बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है। यहां बाघ इतने सुरक्षित हैं कि शिकार की एक भी कोशिश नहीं हुई है। बुंदेलखंड के मुख्यालय सागर सहित पूरे क्षेत्र को बाघों का कुनबा बढ़ने और इको टूरिज्म के विकास का लाभ होगा। नौरादेही-रानी दुर्गावती अभ्यारण्य की जैव विविधता के बीच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा इस अंचल में इको टूरिज्म को नई दिशा देने वाला मेंटर होगा। यानि बाघों के सहारे पूरा बुंदेलखंड नया स्वरूप लेगा। तीन जिलों में फैला है अभ्यारण्य नौरादेही अभ्यारण्य सागर, दमोह और नरसिंहपुर तीन जिले की सीमा में फैला हुआ है और प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य कहलाता है। नौरादेही अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इस अभ्यारण्य में वन्यजीवों की भरमार है, जिनमें तेंदुआ मुख्य है। ऐसा माना जाता है कि नौरादेही अभ्यारण्य प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से भेड़ियों का प्राकृतिक आवास है। एक समय था, जब इस इलाके में भेड़ियों की संख्या अधिक थी। इसी कारण अभ्यारण्य को भेड़ियों के आवास का दर्जा दिया गया है। अभ्यारण्य में बाघों का बढ़ता कुनबा साथ ही अन्य वन्यजीव और छेवला तालाब अभ्यारण्य का मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। विविध प्रकार के सुंदर पक्षी, वन्यजीवों की अटखेलियां आसानी से देखी जा सकती है। नौरादेही उपवनमंडल अधिकारी सेवाराम मलिक ने बताया की बाघ गणना चार साल में एक बार होती है। वर्ष 2018 में यह गणना हुई थी उस समय नोरादेही में कोई बाघ नहीं था, लेकिन इस बार बाघ हैं, जिनको स्टेट कार्यक्रम में शामिल किया गया है।

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नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ – फोटो : अमर उजाला

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सागर जिले में स्थित नौरादेही अभ्यारण्य को रानी दुर्गावती अभ्यारण्य से जोड़कर जल्द नया टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी भी चल रही है, जिसकी केंद्र से स्वीकृति भी मिल चुकी है। ऐसे में नौरादेही और पन्ना टाइगर रिजर्व को मिलाकर बुंदेलखंड बाघों के मामले में देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र बन जाएगा। बुंदेलखंड को बाघों ने नई पहचान दी है। वहीं, नौरादेही भी अब टाइगर स्टेट में अपनी नई पहचान गढ़ रहा है। यहां 16 बाघ हैं, यहां की जैव विविधता के बीच बाघों के अनुकूलन और उनके कुनबे के विस्तार पर अध्ययन के लिए देश भर से वन्यजीव विशेषज्ञ यहां डेरा डालते हैं।

टाइगर स्टेट में 7वां टाइगर रिजर्व बनने जा रहे नौरादेही अभयारण्य प्रदेश के प्रमुख रिजर्व के बीच प्राकृतिक कॉरीडोर बनाता है, जिससे पन्ना, बांधवगढ़, सतपुड़ा और सिवनी का पेंच रिजर्व आपस में एक-दूसरे से जुड़ता है। यानी नौरादेही उस स्पॉट के रूप में भी विकसित होगा, जहां संख्या अधिक होने पर दूसरे रिजर्व से टाइगरों को शिफ्ट करना आसान होगा। नौरादेही अभ्यारण्य इकलौता रिजर्व होगा, जहां प्रदेश के पांच रिजर्व से बाघों को बिना किसी मुश्किल के ला और ले जा सकेंगे।

नौरादेही में पांच साल में दो से 16 बाघ हो गए
बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर स्थित नौरादेही वन्य प्राणी अभयारण्य के जंगलों में वर्तमान में बाघ परिवार में 16 बाघ मौजूद हैं। जबकि एक बाघ किशन एन2 की पिछले महीने टेरेटरी फाइट में मौत हो चुकी है। बता दें कि बाघ विहीन हो चुके नौरादेही में बाघ पुनर्स्थापन प्रोजेक्ट के तहत साल 2018 में बाघ-बाघिन को लाया गया था। पहली बार में बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था। धीरे-धीरे बढ़कर इनकी संख्या 16 हो गई है।

जहर खिलाने के कारण मां बनने की उम्मीद कम थी
वन विभाग के अनुसार सात साल पहले पेंच अभ्यारण्य में शिकारियों ने बाघिन राधा के पूरे परिवार को जहरीला पदार्थ खिलाकर मार दिया था। तब यह बाघिन छह महीने की थी, लेकिन जहर की ज्यादा खुराक नहीं खाने के कारण इसे बचा लिया गया। बाद में दूध की बॉटल के जरिए बाघिन को कान्हा अभ्यारण्य में पाला गया। बाघिन को नौरादेही लाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन के शरीर पर जहर के असर को देखते हुए उसके मां बनने की कम उम्मीद थी, लेकिन इसने 2018 में एक साथ तीन शावकों को जन्म देकर यह सिद्ध कर दिया है कि बाघों के लिए नौरादेही उपयुक्त और वहां का वातावरण अनुकूल है।

साल 2018 तक पन्ना को छोड़कर पूरे बुंदेलखंड में बाघ का अस्तित्व नहीं था। यहां बाघों की चर्चा कहानियों तक सिमट चुकी थी। ऐसे में नौरादेही में टाइगर प्रोजेक्ट शुरू होने के साथ उम्मीद जागी। बांधवगढ़ और कान्हा से आए बाघ-बाघिन के जोड़े ने नौरादेही को अपना ठिकाना बनाया। यहां के अनुकूल पर्यावरण, घने छिछले जंगल और पर्याप्त आहार ने बाघों को संरक्षण दिया। नतीजा आज यहां 16 बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है। यहां बाघ इतने सुरक्षित हैं कि शिकार की एक भी कोशिश नहीं हुई है।

बुंदेलखंड के मुख्यालय सागर सहित पूरे क्षेत्र को बाघों का कुनबा बढ़ने और इको टूरिज्म के विकास का लाभ होगा। नौरादेही-रानी दुर्गावती अभ्यारण्य की जैव विविधता के बीच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा इस अंचल में इको टूरिज्म को नई दिशा देने वाला मेंटर होगा। यानि बाघों के सहारे पूरा बुंदेलखंड नया स्वरूप लेगा।

तीन जिलों में फैला है अभ्यारण्य
नौरादेही अभ्यारण्य सागर, दमोह और नरसिंहपुर तीन जिले की सीमा में फैला हुआ है और प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य कहलाता है। नौरादेही अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इस अभ्यारण्य में वन्यजीवों की भरमार है, जिनमें तेंदुआ मुख्य है। ऐसा माना जाता है कि नौरादेही अभ्यारण्य प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से भेड़ियों का प्राकृतिक आवास है।

एक समय था, जब इस इलाके में भेड़ियों की संख्या अधिक थी। इसी कारण अभ्यारण्य को भेड़ियों के आवास का दर्जा दिया गया है। अभ्यारण्य में बाघों का बढ़ता कुनबा साथ ही अन्य वन्यजीव और छेवला तालाब अभ्यारण्य का मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। विविध प्रकार के सुंदर पक्षी, वन्यजीवों की अटखेलियां आसानी से देखी जा सकती है। नौरादेही उपवनमंडल अधिकारी सेवाराम मलिक ने बताया की बाघ गणना चार साल में एक बार होती है। वर्ष 2018 में यह गणना हुई थी उस समय नोरादेही में कोई बाघ नहीं था, लेकिन इस बार बाघ हैं, जिनको स्टेट कार्यक्रम में शामिल किया गया है।

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