मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वन विभाग की 12 एकड़ जमीन पर एक बिल्डर ने कब्जा कर लिया है। हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुए चार हफ्ते में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। high court
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भोपाल में वन विभाग की 12 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ, जिसमें कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ शामिल हैं, ने आदेश दिया है कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण रोका जाए। साथ ही, अनावेदकों को चार सप्ताह में हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
भोपाल निवासी चंद्रभान सिंह धाकड़ द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि चंदनवन क्षेत्र में खसरा क्रमांक 73, 84, और 92 की 12 एकड़ वन भूमि पर अतिक्रमण कर जागरण वेलफेयर सोसायटी ने बाउंड्री वॉल का निर्माण किया है। यह जमीन पहले राजस्व विभाग के अंतर्गत आती थी, जिसे बाद में वन विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया था। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन बिल्डर के प्रभाव के कारण कोई कार्यवाही नहीं हुई। बिल्डर ने अपनी जमीन को खुला रखा है और अदला-बदली के लिए आवेदन दायर कर रखा है, जो लंबित है। इससे पहले हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। इसके चलते अवमानना याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से बिल्डर द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने और जमीन की अदला-बदली के लंबित आवेदन को निरस्त करने की मांग की है। इस मामले में प्रमुख सचिव वन विभाग, सीसीएफ, डीएफओ, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और जागरण वेलफेयर सोसायटी को अनावेदक बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ध्रुव वर्मा ने पैरवी की।
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