mp-news:-भोपाल-के-आश्रय-स्थल-में-गौवंश-की-दुर्दशा-देख-आ-जाएंगे-आंसू,-80-की-क्षमता-में-150-पशु,-रोज-तोड़-रहे-दम
भोपाल स्थित आश्रय स्थल - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us राजधानी भोपाल में घायल और बीमार आवारा पशुओं के लिए संचालित पशु विभाग के आश्रय स्थल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर 80 की क्षमता है, लेकिन 150 बीमार और घायल गौवंश को रखा जा रहा है। 20 साल से संचालित आश्रय स्थल में कोई पशु चिकित्सक का पद स्वीकृत नहीं है। वहीं, मृत पशुओं के शव भी सुबह एक बार उठाए जाते हैं। उसके बाद बीमार पशु मृत जानवरों के साथ ही दिन और रात गुजारते हैं। यह सब तब है जबकि प्रदेश सरकार गौवंश को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है।  Trending Videos अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि 20 साल पहले शुरू हुए इस आश्रय स्थल में गौवंश और कुत्तों की संख्या 200 से 250 के करीब है। हद तो यह है कि इस आश्रय स्थल में कोई डॉक्टर तैनात नहीं है। एक अटैच पशु चिकित्सक के जिम्मे सौ से ढाई सौ बीमार और घायल गौवंश और कुत्तों का इलाज चलता है। जबकि यहां पर एक नोडल अधिकारी, तीन डॉक्टर, तीन कपाउंडर और आठ सफाई कर्मचारी हैं। डॉक्टरों के तीनों पद खाली हैं। रात में सभी बेजुबान पशु एक चौकीदार के भरोसे रहते हैं। ऐसे में कई बार इमरजेंसी में समय पर इलाज और दवा के अभाव में पशुओं की मौत हो जाती है।  मृत पशुओं को लेने एक बार आती है निगम की गाड़ी  आश्रय स्थल में गौवंश के मृत होने पर नगर निगम की गाड़ी ही उनको उठाने आती है। जानकारी के अनुसार आश्रय स्थल में नगर निगम की गाड़ी सिर्फ एक बार दिन में मृत पशुओं को लेने आती है। ऐसे में दिनभर में बीमार और घायल पशुओं की मौत होने पर उनके शव दूसरे जानवरों के बीच ही पड़े रहते हैं। पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से साफ-सफाई की भी समस्या बनी रहती है।  शनिवार रात 15 गौवंश की मौत  शनिवार रात को आश्रय स्थल में करीब 15 गौवंश की मौत हो गई। इनके शव इधर उधर पड़े दिखाई दिए। इसका किसी जागरूक व्यक्ति ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसके बाद आश्रय स्थल की अव्यवस्था की पोल खुल गई। इसमें बीमार गायों के बीच ही मृत गौवंश के शव पड़े दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद पशुपालन और भोपाल नगर निगम की कार्यप्रणाली फिर सवालों के घेरे में आ गई है।  2004 में शुरू हुआ था आश्रय स्थल  भोपाल में पशु आश्रय स्थल की शुरुआत 2004 में माता मंदिर के पास हुई थी। इसका उद्देश्य आवारा पशुओं के घायल और बीमार होने पर उनको इलाज उपलब्ध कराना है। 2010 में आश्रय स्थल राज्य पशु चिकित्सालय जहांगीराबाद शिफ्ट किया गया, इसके बाद से यहीं पर संचालित है।   जिम्मेदार बोले इमरजेंसी में रात में भी डॉक्टर जाते हैं  आश्रय स्थल की इंचार्ज डॉ. सुनीता शरण ने कहा कि हमारे पास गौशाला, शहर के आवारा और कांजी हाउस के बीमार और घायल पशुओं को इलाज के लिए लाया जाता है। सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक स्टाफ आश्रय स्थल पर उपलब्ध रहता है। इसके बाद इमरजेंसी भी डॉक्टर इलाज के लिए रात में जाते है। नगर निगम की गाड़ी हमारे बुलाने पर आती है।  भाजपा सरकार को गायों के प्रति कोई सेवा भाव नहीं : कांग्रेस वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि गायों के नाम पर भाजपा की सरकार सिर्फ अपनी राजनीति चमका रही है। भाजपा की सरकार को ना तो गायों के प्रति कोई सेवा भाव है ना ही किसान, गरीब और आम जनता के प्रति। यह सिर्फ भ्रष्टाचार और भय पैदा करना जानते हैं।  कांग्रेस को सिर्फ राजनीति करना है : भाजपा  वहीं, भाजपा विधायक भगवानदास सबनानी ने कहा कि हमारी सरकार गायों के प्रति संवेदनशील है। सरकार ने गायों के लिए बजट भी बढ़ाया है। ऐसे मामले आते है तो दु:ख होता है। इसको लेकर कड़े कदम उठाए जाएंगे।

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भोपाल स्थित आश्रय स्थल – फोटो : अमर उजाला

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राजधानी भोपाल में घायल और बीमार आवारा पशुओं के लिए संचालित पशु विभाग के आश्रय स्थल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर 80 की क्षमता है, लेकिन 150 बीमार और घायल गौवंश को रखा जा रहा है। 20 साल से संचालित आश्रय स्थल में कोई पशु चिकित्सक का पद स्वीकृत नहीं है। वहीं, मृत पशुओं के शव भी सुबह एक बार उठाए जाते हैं। उसके बाद बीमार पशु मृत जानवरों के साथ ही दिन और रात गुजारते हैं। यह सब तब है जबकि प्रदेश सरकार गौवंश को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है। 

Trending Videos

अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि 20 साल पहले शुरू हुए इस आश्रय स्थल में गौवंश और कुत्तों की संख्या 200 से 250 के करीब है। हद तो यह है कि इस आश्रय स्थल में कोई डॉक्टर तैनात नहीं है। एक अटैच पशु चिकित्सक के जिम्मे सौ से ढाई सौ बीमार और घायल गौवंश और कुत्तों का इलाज चलता है। जबकि यहां पर एक नोडल अधिकारी, तीन डॉक्टर, तीन कपाउंडर और आठ सफाई कर्मचारी हैं। डॉक्टरों के तीनों पद खाली हैं। रात में सभी बेजुबान पशु एक चौकीदार के भरोसे रहते हैं। ऐसे में कई बार इमरजेंसी में समय पर इलाज और दवा के अभाव में पशुओं की मौत हो जाती है। 

मृत पशुओं को लेने एक बार आती है निगम की गाड़ी 
आश्रय स्थल में गौवंश के मृत होने पर नगर निगम की गाड़ी ही उनको उठाने आती है। जानकारी के अनुसार आश्रय स्थल में नगर निगम की गाड़ी सिर्फ एक बार दिन में मृत पशुओं को लेने आती है। ऐसे में दिनभर में बीमार और घायल पशुओं की मौत होने पर उनके शव दूसरे जानवरों के बीच ही पड़े रहते हैं। पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से साफ-सफाई की भी समस्या बनी रहती है। 

शनिवार रात 15 गौवंश की मौत 
शनिवार रात को आश्रय स्थल में करीब 15 गौवंश की मौत हो गई। इनके शव इधर उधर पड़े दिखाई दिए। इसका किसी जागरूक व्यक्ति ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसके बाद आश्रय स्थल की अव्यवस्था की पोल खुल गई। इसमें बीमार गायों के बीच ही मृत गौवंश के शव पड़े दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद पशुपालन और भोपाल नगर निगम की कार्यप्रणाली फिर सवालों के घेरे में आ गई है। 

2004 में शुरू हुआ था आश्रय स्थल 
भोपाल में पशु आश्रय स्थल की शुरुआत 2004 में माता मंदिर के पास हुई थी। इसका उद्देश्य आवारा पशुओं के घायल और बीमार होने पर उनको इलाज उपलब्ध कराना है। 2010 में आश्रय स्थल राज्य पशु चिकित्सालय जहांगीराबाद शिफ्ट किया गया, इसके बाद से यहीं पर संचालित है।  

जिम्मेदार बोले
इमरजेंसी में रात में भी डॉक्टर जाते हैं 
आश्रय स्थल की इंचार्ज डॉ. सुनीता शरण ने कहा कि हमारे पास गौशाला, शहर के आवारा और कांजी हाउस के बीमार और घायल पशुओं को इलाज के लिए लाया जाता है। सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक स्टाफ आश्रय स्थल पर उपलब्ध रहता है। इसके बाद इमरजेंसी भी डॉक्टर इलाज के लिए रात में जाते है। नगर निगम की गाड़ी हमारे बुलाने पर आती है। 

भाजपा सरकार को गायों के प्रति कोई सेवा भाव नहीं : कांग्रेस
वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि गायों के नाम पर भाजपा की सरकार सिर्फ अपनी राजनीति चमका रही है। भाजपा की सरकार को ना तो गायों के प्रति कोई सेवा भाव है ना ही किसान, गरीब और आम जनता के प्रति। यह सिर्फ भ्रष्टाचार और भय पैदा करना जानते हैं। 

कांग्रेस को सिर्फ राजनीति करना है : भाजपा 
वहीं, भाजपा विधायक भगवानदास सबनानी ने कहा कि हमारी सरकार गायों के प्रति संवेदनशील है। सरकार ने गायों के लिए बजट भी बढ़ाया है। ऐसे मामले आते है तो दु:ख होता है। इसको लेकर कड़े कदम उठाए जाएंगे।

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