मध्यप्रदेश हाईकोर्ट – फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सख्त टिप्पणी करते हुए कहा हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार का रवैया देखते हुए हमारा विचार है कि जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामेल में सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि ग्वालियर खंडपीठ के आदेशानुसार सीबीआई जांच जारी है। युगलपीठ ने ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेज से संबंधित 40 याचिकाओं को मुख्यपीठ में स्थानातंरित करने के आदेश जारी किए हैं। याचिकाओं पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट को बताई थी हकीकत
बता दें कि याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से याचिका दायर की गई है। इसमें प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कालेज संचालित होने को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल पर बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं हैं। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज में ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम कर रखा है। दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है। टीचिंग स्टाफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में सेवा दे रहा था। माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाड़ी किए जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था।
पहले भी नाराजगी जाहिर कर चुका हाईकोर्ट
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बावजूद भी सरकार ने प्रशासक को हटाकर रजिस्ट्रार को नियुक्त कर दिया है। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि सुनीता सिजू के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए डीएमई को उसी दिन शाम 4 बजे तक तलब होने के आदेश जारी किए थे। देर से पहुंचने के कारण उस दिन डीएमई न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाए थे। डीएमई अरुण श्रीवास्तव अगली सुनवाई दौरान पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत करते हुए माफी मांगी थी। सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया कि दो सप्ताह के भीतर नव पदस्थ रजिस्ट्रार को हटा दिया जाएगा।
याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उक्त तल्ख टिप्पणी की। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि ग्वालियर खंडपीठ ने सिर्फ 364 नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में 670 नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।
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