न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Fri, 23 Aug 2024 05: 26 PM IST
मध्य प्रदेश शासन स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर अलर्ट मोड पर आ गई है। जहां एक तरफ डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर प्लान तैयार किया जा रहे हैं, वही अमानक दवाइयों को लेकर भी विभाग पुख्ता इंतजाम कर रहा है। अब अमानक दवा सप्लायर के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई। जीएमसी के जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन के दौरान – फोटो : अमर उजाला
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कोलकाता में हुई ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद हत्या के मामले के बाद मध्य प्रदेश शासन भी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर अलर्ट मोड पर आ गई है। जहां एक तरफ डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर प्लान तैयार किया जा रहे हैं, वही अमानक दवाइयों को लेकर भी विभाग पुख्ता इंतजाम कर रहा है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा है कि राज्य सरकार आमजन के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर और संवेदनशील है। अस्पताल में सप्लाई होने वाली दवाओं के मापदंड पर खरा नहीं उतरने पर सप्लायर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग की प्रक्रिया भी ऑनलाइन की जाएगी। जिससे पारदर्शिता बढ़ाने के साथ एररलेस काम हो सकेगा।
हॉस्पिटल सिक्योरिटी फोर्स बनाए जाने की मांग
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सरकारी अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इसके साथ ही स्थिति को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। गौरतलब है कि प्रदेश के डॉक्टरों ने सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स की तर्ज पर हॉस्पिटल सिक्योरिटी फोर्स बनाए जाने की प्रदेश सरकार से मांग की है।
डॉक्टरो का स्ट्रेस कम करने के होंगे प्रयास
गंभीर मरीजों की सेवा करते हुए कई बार डॉक्टर अपने लिए समय नहीं निकाल पाते हैं डॉक्टर्स के तनाव को कम करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चल रही है। तनाव कम करने के लिए चल रहे प्रोग्राम और सेमिनार को जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का कहना है कि चिकित्सकों को ज्यादा काम होने पर कई बार स्ट्रेस आ जाता है इसे कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
निजी सिक्योरिटी गार्ड्स के भरोसे डॉक्टरों की सुरक्षा
प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीया ने कहा है कि अभी अस्पतालों में जो निजी सुरक्षा एजेंसियों के कर्मचारी सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं। जिन एजेंसियों को सरकार हर महीने लाखों, करोड़ों का भुगतान करती है। उनके कर्मचारी इतने सक्षम नहीं होते कि अस्पताल में जब कोई बड़ा विवाद या घटना हो तो वे उसे संभाल सकें। उन कर्मचारियों का वेतन भी बहुत कम होता है ऐसे में जब खुद की जान का जोखिम हो तो कम पैसों में नौकरी करने वाला निजी कंपनी का कर्मचारी भाग खड़ा होता है। सरकार यदि चाहती है कि डॉक्टर सुरक्षित रहें तो औद्योगिक सुरक्षा बल की तरह हॉस्पिटल सिक्योरिटी फोर्स का गठन करना चाहिए। डॉ राकेश मालवीय का कहना है कि कोलकाता की घटना ने केवल एक राज्य नहीं, बल्कि पूरे भारत देश और दुनिया भर को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अस्पतालों में मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक अपने परिवार को छोड़ कर अपनी जान दांव पर लगाकर दिन रात इलाज करता है। ऐसे में अब करूरत है कि अस्पतालों के लिए एक डेडिकेटेड सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया जाए।
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