न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sat, 03 Aug 2024 06: 49 PM IST
इस सत्र में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में सात लाख कम बच्चों ने प्रवेश लिया है, जिसे लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश का शिक्षा स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश की सरकारी स्कूलों में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सात लाख कम बच्चों ने प्रवेश लिया है। इसे लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा है कि प्रदेश का शिक्षा स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
पटवारी ने कहा कि वर्ष 2024-25 का शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग अभी तक नींद से नहीं जागा है। पहले से ही 500 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। स्कूल हैं, शिक्षक हैं पर कितनी बड़ी बिडंवना है कि वहां विद्यार्थी नहीं हैं। शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आ रही गिरावट का परिणाम है कि वर्तमान सत्र में सात लाख बच्चे स्कूलों में कम हुए हैं।
गेस्ट फैकल्टी पोर्टल का सर्वर डाउन
पटवारी ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जिनमें एक ही शिक्षक है और वहां अतिथि शिक्षक शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं। प्रदेश भर में इस वर्तमान शिक्षा सत्र में 79,000 अतिथि शिक्षकों की भर्ती होनी है, जिसके लिए 10 अगस्त तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। इन अतिथि शिक्षकों को सरकार द्वारा जारी की गई ऑनलाइन भर्ती के लिए गेस्ट फैकल्टी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना था, लेकिन अतिथि शिक्षकों को आवेदन करने वाला गेस्ट फैकल्टी पोर्टल का सर्वर लगातार उाउन हैं। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षकों के आवेदन सरकार को प्राप्त नहीं हो पाएंगे और भर्ती प्रक्रिया में कहीं न कहीं सरकार इन अतिथि शिक्षकों की भर्ती में युवाओं से फिर छलावा करेगी।
भविष्य के शिल्पकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
पटवारी ने कहा कि जिन स्कूलों में केवल एक शिक्षक पदस्थ है, वहां भी अतिथि शिक्षक की भर्ती न होने से शालाएं बंद पड़ी हैं। भविष्य के शिल्पकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली प्रदेश में भाजपा की अंधी सरकार चल रही है। इस अंधी, बहरी सरकार के सामने बच्चों के अभिभावक, माता-पिता हैरान-परेशान होकर शिक्षा में लगातार आ रही गिरावट पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। शिक्षा में आई गिरावट के कारण पिछले वर्ष की तुलना में स्कूलों में सात लाख बच्चे कम हुए हैं, जिसका खामियाजा बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार को भुगतना पड़ेगा।
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