चीता – फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार नामीबिया से लाए चीतों को जंगल में छोड़ने का निर्णय हो गया है। इसमें पहले दो चीता भाई को जंगल में पहले छोड़ा जाएगा। इनको एक सप्ताह बाद कभी भी जंगल में छोड़ा जा सकता है। इस बारे में वन विभाग के अधिकारियों को कहना है कि जंगल में छोड़ने को लेकर अभी तारीख तय नहीं है।
नामीबिया से आठ चीतों को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीतों को 17 सितंबर को क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ा था। इसके बाद आठ चीतों को बड़े बाड़े में रखा गया है। जहां चीतें खुद अपना शिकार कर रहे हैं। इनमें से पांच चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इसमें सबसे पहले दो चीता भाई को छोड़ा जाएगा। वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ जेएस चौहान ने कहा कि पांच चीतों को जंगल में छोड़ना है, लेकिन अभी छोड़ने की तारीख तय नहीं है।
ऐसी रखी जाएंगी नजर
वन विभाग जंगल में भी चीतों की मॉनीटरिंग सेटेलाइट कॉलर आईडी से की जाएगी। यह आईडी सेटेलाइट से चीतों की लोकेशन ईमेल पर भेजते है। इस लोकेशन से चीतों के इंसानी आबादी की तरफ जाने से रोकने की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, वन विभाग के सामने स्टाफ की कमी चीतों की मॉनीटरिंग में एक बड़ी चुनौती होगी।
दक्षिण अफ्रीका से लाए चीते पूरी तरह स्वस्थ्य
वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीते अभी क्वारंटाइन बाड़े में छोड़े गए हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सभी चीते पूरी तरह स्वस्थ्य है और खाना खां रहे है। उनकी हर गतिविधियों पर वन विभाग का स्टाफ नजर रख रहा है।
1952 में चीते विलुप्त घोषित
देश में 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। आखिरी चीते की मौत मौजूदा छत्तीसगढ़ में 1947 में हो गई थी। सितंबर में नामीबिया से भारत लाए चीतों में पांच मादा और तीन नर चीता है। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से भी 12 चीतों को लाया गया है। इनको भी कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है।
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