ग्वालियर हाईकोर्ट – फोटो : सोशल मीडिया
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर एमपी नर्सिंग काउंसिल की ओर से सरकारी कॉलेजों में सत्र 2022 -23 के लिए आयोजित कराई गई प्री-नर्सिंग प्रवेश परीक्षा पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि क्या सरकार ने यह तय कर लिया है कि जो मन चाहेगा वही करेंगे? हाईकोर्ट ने कहा कि नर्सिंग कॉलेजों की CBI जांच चल रही है। इसके बाद भी आप खुराफात से बाज नहीं आ रहे। इसी टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा पर रोक लगा दी है।
प्राइवेट नर्सिंग इंस्टिट्यूट एसोसिएशन की जनहित याचिका पर ग्वालियर हाईकोर्ट में लगातार दो दिन सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नर्सिंग कॉलेजों की CBI जांच चल रही है। सच सामने दिख रहा है। फिर ऐसी कौन-सी मजबूरी है कि जो सत्र बीत चुका है, उसमें प्रवेश के लिए जुलाई 2023 में परीक्षा कराई जा रही है। हाईकोर्ट ने शासन से पूछा कि जिन 25 शासकीय कॉलेजों में प्रवेश के लिए परीक्षा कराई गई है, क्या उनकी CBI जांच चल रही है और जांच का क्या असर पड़ेगा? पुराने सत्र के प्रवेश विलंब से क्यों किए जा रहे हैं?
याचिकाकर्ता जितेंद्र शर्मा ने बताया कि शासन को हाईकोर्ट के इस सवाल का जवाब देना था, लेकिन शासन का कोई जवाब पेश नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने 31 अक्टूबर 2022 को प्रवेश बंद कर दिए थे। बीते सत्र में प्रवेश के लिए टेस्ट 7-9 जुलाई 2023 को लिया गया है। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की 1050 सीटों के लिए 66 हज़ार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी।
फिर प्रदेश सरकार ने आईएनसी यानी इंडियन नर्सिंग काउंसिल के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया? एमपी नर्सिंग काउंसिल अपनी ओर से कोई भी तिथि निर्धारित नहीं कर सकती है। अब सरकार की जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो अगस्त तक का समय दिया गया है। उसी दिन सुनवाई होगी। तब तक प्रवेश परीक्षा पर रोक रहेगी।
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