mp-news:-नर्सिंग-कॉलेज-संबंधित-याचिकाओं-पर-मुख्यपीठ-में-सुनवाई-शुरू,-सरकार-को-जवाब-देने-तीन-सप्ताह-का-समय-मिला
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us नर्सिंग कॉलेज संबंधित स्थानांतरित होकर आईं 40 याचिकाओं की सुनवाई पूर्व में दायर याचिका के साथ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ द्वारा की गयी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से स्थानांतरित होकर आई याचिका पर पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है।   याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य हैं और फैकल्टी भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है। जिस कॉलेज में कार्यरत है उनकी दूरी सैकड़ों किलोमीटर दूर है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन कौसिंल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बावजूद भी सरकार ने प्रशासक को हटाकर रजिस्टार को नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा पूर्व रजिस्टार के खिलाफ सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की गयी है। जिसके बाद युगलपीठ ने डीएमई को तलब किया था। डीएमई अरुण श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मांफी मांगते हुए पूर्व रजिस्टार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार के रवैये के कारण हमारा विचार है कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। युगलपीठ ने ग्वालियर पीठ में नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं को मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किये थे। याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को उन याचिका पर पक्ष प्रस्तुत करने समय प्रदान किया है।

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नर्सिंग कॉलेज संबंधित स्थानांतरित होकर आईं 40 याचिकाओं की सुनवाई पूर्व में दायर याचिका के साथ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ द्वारा की गयी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से स्थानांतरित होकर आई याचिका पर पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है।

 
याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।

याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य हैं और फैकल्टी भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है। जिस कॉलेज में कार्यरत है उनकी दूरी सैकड़ों किलोमीटर दूर है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन कौसिंल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बावजूद भी सरकार ने प्रशासक को हटाकर रजिस्टार को नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा पूर्व रजिस्टार के खिलाफ सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की गयी है। जिसके बाद युगलपीठ ने डीएमई को तलब किया था।

डीएमई अरुण श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मांफी मांगते हुए पूर्व रजिस्टार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार के रवैये के कारण हमारा विचार है कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। युगलपीठ ने ग्वालियर पीठ में नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं को मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किये थे। याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को उन याचिका पर पक्ष प्रस्तुत करने समय प्रदान किया है।

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