राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने भाजपा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेराबंदी तेज कर दी है। सोमवार को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, मप्र नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और अन्य नेताओं के साथ मध्यप्रदेश के लोकायुक्त को प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की है। कांग्रेस ने दोनों के खिलाफ लोकायुक्त संगठन से जांच कराकर प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए विवेक तन्खा ने कहा कि मप्र के महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन में 500 करोड़ से अधिक का घोटाले का आरोप है। सीएजी की रिपोर्ट में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किए जाने वाले पोषण आहर में भारी भ्रष्टाचार किया है। पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्रियों से पोषण आहार के उत्पादन, वितरण में भारी अनियमिताएं पाई गई हैं। सीएजी ने आठ जिलों की रिपोर्ट में लिखा है कि कंपनियों से फेक उत्पादन, स्कूटर और ऑटो के वाहन नंबर को ट्रक का नंबर बताकर पोषण आहार का परिवहन करना बताया गया है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पोषण आहार मामले की स्वतंत्र विजलेंस एजेंसी से जांच कराई जाए। लेकिन प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त को जांच करने की जिम्मेदारी नहीं दी।
कांग्रेस के निशाने पर क्यों आए सीएस बैंस
विवेक तन्खा ने कहा कि पोषण आहार मामले में आठ जिलों में करीब 500 करोड़ रुपए के घोटाले की बात सीएजी की रिपोर्ट में आई है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस इस पूरे मामले में संदेह के दायरे में इसलिए आ रहे हैं, क्योंकि मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं। वे रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी हैं। आईएस बैंस 2014 में सीएम के सचिव बने और बेलवाल को आपना सीईओ बनाकर एमपी एग्रो कॉर्पोरेशन के अधीन कार्य करने वाली सातों फैक्ट्रियों को ग्रामीण विकास विभाग के दूसरे विभाग में ट्रांसफर कर दिया। यह व्यवस्था 2018 तक चलती रही। दिसंबर 2018 में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद जब उन्हें करप्शन की भनक लगी तो कमलनाथ ने सातों कंपनियों का एमपी एग्रो में ट्रांसफर कर दिया। कमलनाथ सरकार जाने के कुछ दिन बाद ही इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बन जाते हैं और बेलवाल को दोबारा कांट्रेक्ट पर वापस रख लेते हैं। और कुछ दिनों बाद सातों कंपनियों फिर से वापस ला लेते हैं।
500 करोड़ का फेक प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन
विवेक तन्खा ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में सातों कंपनियों में बेलवाल के कार्यकाल में पोषण आहार में 500 करोड़ का फेक प्रोडक्शन, फेक डिस्ट्रीब्यूशन आया है। सीएजी ने सैंपल के आधार पर यह जांच की थी। इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों की जांच कराने को कहा था, लेकिन सरकार ने जांच नहीं कराई।
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