mp-news:-दमोह-के-भिलौनी-गांव-में-मिली-जंगली-जानवरों-की-आकृति-जैसी-गुफाएं,-इन-पर-किया-जा-रहा-अध्ययन
जंगली जानवर की तरह दिख रही चट्टान विस्तार Follow Us दमोह जिले में कई ऐसी पुरातत्व की धरोहरें हैं जो देखते ही बनती है। जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर हटा ब्लॉक के भिलौनी गांव के आसपास का क्षेत्र भी पुरातत्व धरोहरों से भरा पड़ा है। यहां पर पहाड़ों के बीच अनेक गुफाएं हैं जो जंगली जानवरों की तरह दिखाई देती हैं। इन गुफाओं में शैलचित्र बने हुए हैं। इसी स्थान पर जंगल में खुदना नाला के पास भिलौनी किले के पास ऊंची-ऊंची चट्टानें हैं। जिनकी आकृति दूर से देखने पर किसी जंगली जानवर की आकृति जैसे प्रतीत होती है। ये चट्टाने को गौर से देखने पर सियार, भालू और अन्य जानवरों की शक्ल की तरह दिखाई देती हैं। इनमें नजदीक जाने पर ठंडक का एहसास होता है जो गर्मी के समय में काफी राहत देती है। रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय के परिचायक डॉ. सुरेंद्र चौरसिया ने बताया कि यहां बनी गुफाओं और उनके अंदर बने शैलचित्रकला (रॉकपेंटिंग) आदिमानव कालीन कलाकृतियों से मिलते जुलते हैं। संभवतः हजारों साल पहले आदिमानव इन्हीं गुफाओं में निवास करते होंगे। फिलहाल इनका अध्ययन किया जा रहा है। मिल चुकी कई प्राचीन बावड़ी दमोह जिले में कई प्राचीन बावड़ी भी कुछ समय पहले देखने मिली हैं। जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी न होने पर वह उपेक्षा का शिकार होती रही। लेकिन अब उन्हें सहेजने की बात कही जा रही है। हटा ब्लाक में एक 400 साल प्राचीन बावड़ी मिली है, जिसके अंदर 20 कमरे बने हैं। माना जा रहा है कि यह बावड़ी राजा-महाराजों के दौर में बनवाई गई होगी। 

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जंगली जानवर की तरह दिख रही चट्टान

विस्तार Follow Us

दमोह जिले में कई ऐसी पुरातत्व की धरोहरें हैं जो देखते ही बनती है। जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर हटा ब्लॉक के भिलौनी गांव के आसपास का क्षेत्र भी पुरातत्व धरोहरों से भरा पड़ा है। यहां पर पहाड़ों के बीच अनेक गुफाएं हैं जो जंगली जानवरों की तरह दिखाई देती हैं। इन गुफाओं में शैलचित्र बने हुए हैं। इसी स्थान पर जंगल में खुदना नाला के पास भिलौनी किले के पास ऊंची-ऊंची चट्टानें हैं। जिनकी आकृति दूर से देखने पर किसी जंगली जानवर की आकृति जैसे प्रतीत होती है। ये चट्टाने को गौर से देखने पर सियार, भालू और अन्य जानवरों की शक्ल की तरह दिखाई देती हैं। इनमें नजदीक जाने पर ठंडक का एहसास होता है जो गर्मी के समय में काफी राहत देती है।

रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय के परिचायक डॉ. सुरेंद्र चौरसिया ने बताया कि यहां बनी गुफाओं और उनके अंदर बने शैलचित्रकला (रॉकपेंटिंग) आदिमानव कालीन कलाकृतियों से मिलते जुलते हैं। संभवतः हजारों साल पहले आदिमानव इन्हीं गुफाओं में निवास करते होंगे। फिलहाल इनका अध्ययन किया जा रहा है।

मिल चुकी कई प्राचीन बावड़ी
दमोह जिले में कई प्राचीन बावड़ी भी कुछ समय पहले देखने मिली हैं। जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी न होने पर वह उपेक्षा का शिकार होती रही। लेकिन अब उन्हें सहेजने की बात कही जा रही है। हटा ब्लाक में एक 400 साल प्राचीन बावड़ी मिली है, जिसके अंदर 20 कमरे बने हैं। माना जा रहा है कि यह बावड़ी राजा-महाराजों के दौर में बनवाई गई होगी। 

Posted in MP