सांकेतिक तस्वीर। – फोटो : अमर उजाला
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बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जाने के लिए आदिवासी किसान द्वारा ढाई साल पहले जमीन दान की गई थी। जमीन दान में मिलने के बावजूद भी आंगनवाड़ी केंद्र का निर्माण नहीं हो सका। इसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार की तरफ से बताया कि आंगनवाड़ी का निर्माण कार्य जारी है। हाईकोर्ट में मई में पेश किए गए जवाब में बताया गया था कि तीन माह में निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। यानी अगस्त तक काम पूरा हो जाएगा। अगली सुनवाई अगस्त के अंतिम सप्ताह में रखी गई है।
गौरतलब है कि समाचार पत्रों में एक खबर आई थी, जिसके अनुसार बड़वानी जिले के ग्राम कलालदा निवासी आदिवासी किसान लालद सिंह डाबर ने अपनी कृषि भूमि का हिस्सा ढाई साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण के लिए दिया था। इतने समय बाद भी आंगनवाड़ी केन्द्र का निर्माण नहीं हुआ है। खबर में स्थानीय अधिकारियों की भूमिका पर भीसवाल उठाए गए हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने खबर को गंभीरता से लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिए थे।
युगलपीठ ने संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव, कलेक्टर तथा सीईओ जिला पंचायत बड़वानी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया था कि तीन माह की निर्धारित समय अवधि में आंगनवाड़ी केंद्र का निर्माण कर दिया जाएगा। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने निर्माण संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि अगस्त में कार्य पूर्ण हो जाएगा। याचिका पर अगली सुनवाई अगस्त के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की गई है।
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