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जीएमसी में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us गांधी मेडिकल कॉलेज की डॉ. सरस्वती के आत्महत्या मामले में अस्पताल प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। जूनियर डॉक्टर (जूडा) ने तीसरी दिन भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल जारी रखी। अब जूनियर डॉक्टरों ने गायनी विभाग की पूर्व एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को किसी दूसरे इंस्टीट्यूट में ट्रांसफर करने की मांग सामने रख दी है। इसको लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद राय को मांग पत्र दिया है। वहीं, डीन डॉ. अरविंद राय का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों का मांग पत्र मिला है। जिसमें पूर्व एचओडी को दूसरे इंस्टीट्यूट भेजने की मांग की है। यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हमने जूडा का मांग पत्र शासन को भेज दिया है।  डॉ. भारती की नियुक्ति पर भी उठाए सवाल  डॉ. सरस्वती के आत्महत्या मामले में गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ने गायनी विभाग की एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को बुधवार को हटा दिया था। उनकी जगह पर पर डॉ. भारती सिंह परिहार को नया एचओडी बनाया गया है। वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने नई एचओडी डॉ. भारती सिंह की नियुक्ति पर भी आपत्ति जताई है। जूडा का कहना है कि बुधवार को डॉ. भारती सिंह ने उनको हड़ताल करने से रोका था और गायनी विभाग के जूनियर डॉक्टरों को व्यक्तिगत रूप से देख लेने की धमकी दी थी।  मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल पर रहेंगे जूडा  जूडा ने अपने पत्र में डॉ. सरस्वती आत्महत्या मामले में डॉ. अरुणा कुमार को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने का भी जिक्र किया है। जूडा का कहना है कि जब तब मांगे पूरी नहीं होती उनकी हड़ताल जारी रहेंगी। जूडा ने पूरी मामले की न्यायिक जांच करने की मांग की है। साथ ही घटना के लिए जिम्मेदारों को निलंबित करने, एक कमेटी का गठन कर सभी विभागों का दौरा कर जूनियर डॉक्टर समेत अन्य स्टाफ से कामकाज की जानकार लने, छुट्टी स्वीकृत करने का अधिकार सिर्फ मेडिकल कॉलेज के डीन को देने और थिसिस साइन न करने की स्थिति में लिखित स्पष्टीकरण विभागाध्यक्ष से लेने की मांग की है।  सीनियर रेजिडेंट भी कल से कर सकते है हड़ताल  जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में शुक्रवार से मेडिकल कॉलेज के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी हड़ताल पर जा सकते है। वहीं, जूडा को पहले ही प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेज की जूडा एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है।   मरीज हो रहे परेशान, 100 से ज्यादा ऑपरेशन टाले  जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल आने वाले मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। तीन दिन से जारी हड़ताल में जूनियर डॉक्टर ओपीडी और आईपीडी में ड्यूटी नहीं कर रहे है। इससे दूसरे शहरों से आने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। वहीं, अब तक हड़ताल के चलते अस्पताल में करीब 100 के करीब ऑपरेशन टाले गए है।    फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसो. ने किया समर्थन  फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन भी जूडा की मांगों के समर्थन में आ गया है। एसोसिएशन ने सीएम, चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखा है। इसमें पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रर्वा करने की मांग की है। इसके अलावा अस्पताल में काम करने के लिए सौहार्द महौल बनाने की पहल करने की मांग की है।  श्रद्धांजलि सभा से पहले मौन मार्च निकाला  मेडिकल डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से गुरुवार को गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ. सरस्वती को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा का आयोजन किया गया। मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित सभा में डॉ. अरुणा कुमार भी शामिल हुई। इस सभा से पहले जूनियर डॉक्टरों ने ऑडिटोरियम से अस्पताल की नई बिल्डिंग तक मौन मार्च निकाला।  

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जीएमसी में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी – फोटो : अमर उजाला

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गांधी मेडिकल कॉलेज की डॉ. सरस्वती के आत्महत्या मामले में अस्पताल प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। जूनियर डॉक्टर (जूडा) ने तीसरी दिन भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल जारी रखी। अब जूनियर डॉक्टरों ने गायनी विभाग की पूर्व एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को किसी दूसरे इंस्टीट्यूट में ट्रांसफर करने की मांग सामने रख दी है। इसको लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद राय को मांग पत्र दिया है। वहीं, डीन डॉ. अरविंद राय का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों का मांग पत्र मिला है। जिसमें पूर्व एचओडी को दूसरे इंस्टीट्यूट भेजने की मांग की है। यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हमने जूडा का मांग पत्र शासन को भेज दिया है। 

डॉ. भारती की नियुक्ति पर भी उठाए सवाल 
डॉ. सरस्वती के आत्महत्या मामले में गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ने गायनी विभाग की एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को बुधवार को हटा दिया था। उनकी जगह पर पर डॉ. भारती सिंह परिहार को नया एचओडी बनाया गया है। वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने नई एचओडी डॉ. भारती सिंह की नियुक्ति पर भी आपत्ति जताई है। जूडा का कहना है कि बुधवार को डॉ. भारती सिंह ने उनको हड़ताल करने से रोका था और गायनी विभाग के जूनियर डॉक्टरों को व्यक्तिगत रूप से देख लेने की धमकी दी थी। 

मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल पर रहेंगे जूडा 
जूडा ने अपने पत्र में डॉ. सरस्वती आत्महत्या मामले में डॉ. अरुणा कुमार को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने का भी जिक्र किया है। जूडा का कहना है कि जब तब मांगे पूरी नहीं होती उनकी हड़ताल जारी रहेंगी। जूडा ने पूरी मामले की न्यायिक जांच करने की मांग की है। साथ ही घटना के लिए जिम्मेदारों को निलंबित करने, एक कमेटी का गठन कर सभी विभागों का दौरा कर जूनियर डॉक्टर समेत अन्य स्टाफ से कामकाज की जानकार लने, छुट्टी स्वीकृत करने का अधिकार सिर्फ मेडिकल कॉलेज के डीन को देने और थिसिस साइन न करने की स्थिति में लिखित स्पष्टीकरण विभागाध्यक्ष से लेने की मांग की है। 

सीनियर रेजिडेंट भी कल से कर सकते है हड़ताल 
जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में शुक्रवार से मेडिकल कॉलेज के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी हड़ताल पर जा सकते है। वहीं, जूडा को पहले ही प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेज की जूडा एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है।  

मरीज हो रहे परेशान, 100 से ज्यादा ऑपरेशन टाले 
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल आने वाले मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। तीन दिन से जारी हड़ताल में जूनियर डॉक्टर ओपीडी और आईपीडी में ड्यूटी नहीं कर रहे है। इससे दूसरे शहरों से आने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। वहीं, अब तक हड़ताल के चलते अस्पताल में करीब 100 के करीब ऑपरेशन टाले गए है।   

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसो. ने किया समर्थन 
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन भी जूडा की मांगों के समर्थन में आ गया है। एसोसिएशन ने सीएम, चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखा है। इसमें पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रर्वा करने की मांग की है। इसके अलावा अस्पताल में काम करने के लिए सौहार्द महौल बनाने की पहल करने की मांग की है। 

श्रद्धांजलि सभा से पहले मौन मार्च निकाला 
मेडिकल डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से गुरुवार को गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ. सरस्वती को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा का आयोजन किया गया। मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित सभा में डॉ. अरुणा कुमार भी शामिल हुई। इस सभा से पहले जूनियर डॉक्टरों ने ऑडिटोरियम से अस्पताल की नई बिल्डिंग तक मौन मार्च निकाला।  

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