mp-news:-डेढ़-महीने-से-नर्मदा-नदी-में-खड़ी-हैं-300-से-अधिक-नावें,-ओंकारेश्वर-बांध-बनने-से-मजबूर-नाव-खेवैया
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, खंडवा Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 09 Sep 2024 08: 16 AM IST ओंकारेश्वर नाविक संघ ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हम आंदोलन करेंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, इंदौर कमिश्नर और खंडवा कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया है। प्रदर्शन करते नाव खेवैया - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us 18 साल से आर्थिक संकट का सामना कर रहे ओंकारेश्वर (खंडवा) के नाविकों के परिवारों का नर्मदा नदी में तीन सौ से अधिक नावे केवट और मांझी समाज के लोगों द्वारा संचालित की जा रही हैं। इसमें तीन हजार से अधिक लोगों को रोजी-रोटी मिलती है। पांच सौ युवाओं को रोजगार उपलब्ध होता है। लेकिन ओंकारेश्वर बांध बनने के बाद इन नाविकों के सामने हर साल रोजी-रोटी की समस्या बनी रहती है। बीते दिन साल से नाविकों के सामने यह समस्या विकराल रूप धारण की हुई है। बता दें कि मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री मोहन यादव, कमिश्नर इंदौर और कलेक्टर खंडवा से गुहार लगाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। मजबूर होकर ओंकारेश्वर नाविक संघ ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है, जो हमारी मांग है, उसे नहीं मानी गई तो हमें आंदोलन करना होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, इंदौर कमिश्नर और खंडवा कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि ओंकारेश्वर में 350 नावें हैं, जिसमें ढाई सौ नावें लाइसेंस धारी हैं, बाकी जो अवैध हैं, उन्हें बंद किया जाए। क्योंकि किसी भी प्रकार की नर्मदा नदी में घटना-दुर्घटना अवैध नाम से होती है तो उसका परिणाम सभी वैध नाव वालों को भुगतना पड़ता है। ओंकारेश्वर बांध से नर्मदा नदी का जल कम ज्यादा होने के कारण नौकाओं को बंद कर दिया जाता है। पूरे वर्षा काल में तो स्थिति यह हो जाती है कि जब तक गेट खुले रहते हैं, आठ टर्बाइनों की विद्युत उत्पादन के लिए संचालन किया जाता है। जब ओंकारेश्वर में अत्यधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, तब भी नाव चलाने की अनुमति प्रशासन नाविकों को नहीं देता है। नाविक संघ के अध्यक्ष भोलाराम केवट ने बताया कि ओंकारेश्वर में केवट एवं माझी समाज के पांच हजार लोगों का जीवन आने वाले पर्यटकों पर ही निर्भर है। नर्मदा नदी में नौका संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। लेकिन ओंकारेश्वर बांध का निर्माण 2006 में हुआ और धीरे-धीरे यह समस्या विकराल रूप धारण करती चली गई। वर्ष 2023 में बड़ी मुश्किल से तीन महीने नर्मदा नदी में नौकाएं संचालित हो पाई थी। विगत वर्ष पूरे प्रदेश में अधिक वर्षा होने के कारण ओंकारेश्वर बांध के गेट पूरे वर्षा काल तक खुले रहे। अनेकों माह तक नावें बंद रहीं। विशेष महापर्व पर प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर नौका बंद कर देता है। बड़ी मुश्किल से ठंड के मौसम में तीन महीने नर्मदा नदी में नौकाओं का संचालन कर पाते हैं। इस वर्ष भी बारिश हुई है, जब से सभी नौकाएं नर्मदा नदी में खड़ी हैं। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध दोनों लबालब भर गए हैं। ऊपर थोड़ी सी बरसात भी होगी तो पानी छोड़ा जाएगा, तब भी नौकाओं का नर्मदा में संचालन नहीं कर पाएंगे। प्रत्येक वर्ष के अनुसार, इस वर्ष भी तीन से चार माह नर्मदा नदी में नौका संचालन नहीं हो पाएगा। नाविकों के सामने अपने बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है। नाविक संघ के सचिव कमल वर्मा ने कहा कि कई बार नाविक संघ ने आंदोलन किए हैं। आश्वासन मिला, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ। बारिश के मौसम में लगातार नावों का संचालन नर्मदा नदी में प्रशासन ने प्रतिबंध कर दिया। नाविक संघ द्वारा पहले भी अनेकों बार धरना आंदोलन भूख हड़ताल के माध्यम से शासन-प्रशासन तक आवाज पहुंचाई। अपनी मांगों में लिखा था, संघ के जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उनकी फीस माफ करना, राशन की दुकान से वर्षा काल में निशुल्क खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना एवं समाज की महिला युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना और ओंकारेश्वर नगर परिषद नाव का बाकी टैक्स माफ करना मांगें रखी थी। तब तत्कालीन कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने नाविक संघ को लिखित में दिया था कि स्कूलों में बच्चों की फीस माफ करवा दी जाएगी। खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा दी जाएगी। शासन के माध्यम से कुछ ऐसे रोजगार महिला एवं समाज के लोगों को उपलब्ध करवाए जाएंगे, जिससे वह अपना जीवन यापन कर सकें। लेकिन जो आश्वासन नाविक संघ को दिए थे, वह थोथे साबित हुए। 45 दिनों से नर्मदा नदी के पानी में खड़ी हैं 300 से अधिक नावें नर्मदा नदी में नौकाओं का संचालन प्रतिबंधित है। आगामी संपूर्ण वर्षा काल तक बंद रहेगा। डेढ़ माह से अधिक नाविक संघ के युवा बेरोजगार होकर बैठे हुए लोगों के सामने अपने भूखे मरने की नौबत आ गई है। शासन-प्रशासन ने जल्द ही नाविकों की मदद नहीं की तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।  अगर संघ को शासन-प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है, आगे भी यह स्थिति जब तक नर्मदा नदी में नौका संचालन नहीं होता, तब तक बनी रहेगी। संघ के अध्यक्ष भोलाराम केवट, सचिव कमल वर्मा, कड़वा वर्मा, अमृत केवट और दीपू केवट ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, मांधाता विधानसभा के विधायक नारायण पटेल और खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार से मांग की है कि ओंकारेश्वर नाविकों की समस्या का स्थाई समाधान किया जाए। समाज की महिलाओं को घरेलू उद्योग खुलवाए जाएं। बड़े उद्योगपतियों से मिलकर ओंकारेश्वर क्षेत्र में फैक्ट्रियां खुलवाएं। आसपास जितने भी उद्योग डल रहे, एनएचडीसी बेड़िया के समीप पावर प्लांट पर्यटन विभाग मंदिर ट्रस्ट में नगर परिषद में युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि जब-जब भी नौका संचालन प्रतिबंध हो, नगर के हजारों नाविकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न न हो। ओंकारेश्वर नगर परिषद के सीएमओ संजय गीते ने कहा, नर्मदा नदी में बाढ़ आने एवं ओंकारेश्वर बांध के गेट खोलने के कारण जलस्तर बढ़ा था। जिला पशासन ने नावों के संचालक पर प्रतिबंध लगा रखा है, नाविक संघ में भी अवैधनाओं पर प्रतिबंध लगाने की शिकायत खंडवा कलेक्टर को की थी। जो भी होगा, जिला प्रशासन के द्वारा ही आदेश मिलते ही गांव का संचालन शुरू करवा देंगे। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, खंडवा Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 09 Sep 2024 08: 16 AM IST

ओंकारेश्वर नाविक संघ ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हम आंदोलन करेंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, इंदौर कमिश्नर और खंडवा कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया है। प्रदर्शन करते नाव खेवैया – फोटो : अमर उजाला

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18 साल से आर्थिक संकट का सामना कर रहे ओंकारेश्वर (खंडवा) के नाविकों के परिवारों का नर्मदा नदी में तीन सौ से अधिक नावे केवट और मांझी समाज के लोगों द्वारा संचालित की जा रही हैं। इसमें तीन हजार से अधिक लोगों को रोजी-रोटी मिलती है। पांच सौ युवाओं को रोजगार उपलब्ध होता है। लेकिन ओंकारेश्वर बांध बनने के बाद इन नाविकों के सामने हर साल रोजी-रोटी की समस्या बनी रहती है। बीते दिन साल से नाविकों के सामने यह समस्या विकराल रूप धारण की हुई है।

बता दें कि मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री मोहन यादव, कमिश्नर इंदौर और कलेक्टर खंडवा से गुहार लगाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। मजबूर होकर ओंकारेश्वर नाविक संघ ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है, जो हमारी मांग है, उसे नहीं मानी गई तो हमें आंदोलन करना होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, इंदौर कमिश्नर और खंडवा कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि ओंकारेश्वर में 350 नावें हैं, जिसमें ढाई सौ नावें लाइसेंस धारी हैं, बाकी जो अवैध हैं, उन्हें बंद किया जाए। क्योंकि किसी भी प्रकार की नर्मदा नदी में घटना-दुर्घटना अवैध नाम से होती है तो उसका परिणाम सभी वैध नाव वालों को भुगतना पड़ता है।

ओंकारेश्वर बांध से नर्मदा नदी का जल कम ज्यादा होने के कारण नौकाओं को बंद कर दिया जाता है। पूरे वर्षा काल में तो स्थिति यह हो जाती है कि जब तक गेट खुले रहते हैं, आठ टर्बाइनों की विद्युत उत्पादन के लिए संचालन किया जाता है। जब ओंकारेश्वर में अत्यधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, तब भी नाव चलाने की अनुमति प्रशासन नाविकों को नहीं देता है। नाविक संघ के अध्यक्ष भोलाराम केवट ने बताया कि ओंकारेश्वर में केवट एवं माझी समाज के पांच हजार लोगों का जीवन आने वाले पर्यटकों पर ही निर्भर है। नर्मदा नदी में नौका संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

लेकिन ओंकारेश्वर बांध का निर्माण 2006 में हुआ और धीरे-धीरे यह समस्या विकराल रूप धारण करती चली गई। वर्ष 2023 में बड़ी मुश्किल से तीन महीने नर्मदा नदी में नौकाएं संचालित हो पाई थी। विगत वर्ष पूरे प्रदेश में अधिक वर्षा होने के कारण ओंकारेश्वर बांध के गेट पूरे वर्षा काल तक खुले रहे। अनेकों माह तक नावें बंद रहीं। विशेष महापर्व पर प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर नौका बंद कर देता है। बड़ी मुश्किल से ठंड के मौसम में तीन महीने नर्मदा नदी में नौकाओं का संचालन कर पाते हैं।

इस वर्ष भी बारिश हुई है, जब से सभी नौकाएं नर्मदा नदी में खड़ी हैं। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध दोनों लबालब भर गए हैं। ऊपर थोड़ी सी बरसात भी होगी तो पानी छोड़ा जाएगा, तब भी नौकाओं का नर्मदा में संचालन नहीं कर पाएंगे। प्रत्येक वर्ष के अनुसार, इस वर्ष भी तीन से चार माह नर्मदा नदी में नौका संचालन नहीं हो पाएगा। नाविकों के सामने अपने बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है।

नाविक संघ के सचिव कमल वर्मा ने कहा कि कई बार नाविक संघ ने आंदोलन किए हैं। आश्वासन मिला, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ। बारिश के मौसम में लगातार नावों का संचालन नर्मदा नदी में प्रशासन ने प्रतिबंध कर दिया। नाविक संघ द्वारा पहले भी अनेकों बार धरना आंदोलन भूख हड़ताल के माध्यम से शासन-प्रशासन तक आवाज पहुंचाई। अपनी मांगों में लिखा था, संघ के जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उनकी फीस माफ करना, राशन की दुकान से वर्षा काल में निशुल्क खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना एवं समाज की महिला युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना और ओंकारेश्वर नगर परिषद नाव का बाकी टैक्स माफ करना मांगें रखी थी। तब तत्कालीन कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने नाविक संघ को लिखित में दिया था कि स्कूलों में बच्चों की फीस माफ करवा दी जाएगी। खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा दी जाएगी। शासन के माध्यम से कुछ ऐसे रोजगार महिला एवं समाज के लोगों को उपलब्ध करवाए जाएंगे, जिससे वह अपना जीवन यापन कर सकें। लेकिन जो आश्वासन नाविक संघ को दिए थे, वह थोथे साबित हुए।

45 दिनों से नर्मदा नदी के पानी में खड़ी हैं 300 से अधिक नावें
नर्मदा नदी में नौकाओं का संचालन प्रतिबंधित है। आगामी संपूर्ण वर्षा काल तक बंद रहेगा। डेढ़ माह से अधिक नाविक संघ के युवा बेरोजगार होकर बैठे हुए लोगों के सामने अपने भूखे मरने की नौबत आ गई है। शासन-प्रशासन ने जल्द ही नाविकों की मदद नहीं की तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।  अगर संघ को शासन-प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है, आगे भी यह स्थिति जब तक नर्मदा नदी में नौका संचालन नहीं होता, तब तक बनी रहेगी।

संघ के अध्यक्ष भोलाराम केवट, सचिव कमल वर्मा, कड़वा वर्मा, अमृत केवट और दीपू केवट ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, मांधाता विधानसभा के विधायक नारायण पटेल और खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार से मांग की है कि ओंकारेश्वर नाविकों की समस्या का स्थाई समाधान किया जाए। समाज की महिलाओं को घरेलू उद्योग खुलवाए जाएं। बड़े उद्योगपतियों से मिलकर ओंकारेश्वर क्षेत्र में फैक्ट्रियां खुलवाएं। आसपास जितने भी उद्योग डल रहे, एनएचडीसी बेड़िया के समीप पावर प्लांट पर्यटन विभाग मंदिर ट्रस्ट में नगर परिषद में युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि जब-जब भी नौका संचालन प्रतिबंध हो, नगर के हजारों नाविकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न न हो।

ओंकारेश्वर नगर परिषद के सीएमओ संजय गीते ने कहा, नर्मदा नदी में बाढ़ आने एवं ओंकारेश्वर बांध के गेट खोलने के कारण जलस्तर बढ़ा था। जिला पशासन ने नावों के संचालक पर प्रतिबंध लगा रखा है, नाविक संघ में भी अवैधनाओं पर प्रतिबंध लगाने की शिकायत खंडवा कलेक्टर को की थी। जो भी होगा, जिला प्रशासन के द्वारा ही आदेश मिलते ही गांव का संचालन शुरू करवा देंगे।

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