mp-news:-जूडा-की-हड़ताल-वापस,-जीएमसी-की-डॉ.-अरुणा-कुमार-अटैच,-अब-दो-साल-होगा-एचओडी-का-कार्यकाल
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ जूडा की बैठक - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ शनिवार को बैठक के बाद प्रमुख मांग मान ली गई। इसके बाद डॉ. बाला सरस्वती की खुदकुशी को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली। सारंग ने बैठक के पांच घंटे बाद ही जीएमसी की गायनिक विभाग की पूर्व एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में अटैच कर दिया। वहीं, विभागाध्यक्ष के दो साल के तय कार्यकाल को लेकर भी आदेश जारी कर दिया गया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने कहा कि सकारात्मक माहौल में जूडा के पदाधिकारियों से बातचीत हुई। हमने उनकी मांगों पर विचार करके निर्णय लेने का आश्वासन दिया। सारंग ने अधिकारियों की जूडा की मांगों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग से परिपत्र जारी किया गया। इसमें शासकीय मेडिकल कॉलेज के विभागों के एचओडी की नियुक्ति दो साल में रोटेशन के आधार पर करने के दिशा निर्देश जारी किए गए। अब विभाग में वरिष्ठ प्राध्यापक/ प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष एक बार में अधिकतम दो वर्ष के लिए ही बनाया जाएगा। वर्तमान कार्यरत विभागाध्यक्ष नियुक्ति तिथि से दो वर्ष तक कार्य कर सकेंगे। यदि विभाग में एक ही वरिष्ठ प्राध्यापक है तो दूसरा वरिष्ठ प्राध्यापक उपलब्ध होने तक कार्यकाल में वृद्धि की जाएगी। वहीं, विभागाध्यक्ष बनने में अनिच्छा प्रकट करने, विभागीय जांच चलने, अधिष्ठाता द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी करने या राज्य सरकार द्वारा आरोप पत्र जारी किए गए हैं तो संबंधित विभाग में कार्यरत अगले वरिष्ठ प्राध्यापक/प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। गैर चिकित्सा क्षेत्र के व्यक्ति को विभागाध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र के व्यक्ति की अनुपलब्धता होने पर दोबारा वही क्रम दोहराया जाएगा। विभागाध्यक्ष का प्राध्यापक होना अनिवार्य होगा। उत्पीड़न की शवयात्रा निकाली इस बीच जूनियर डॉक्टरों ने जीएमसी में उत्पीड़न की शवयात्रा निकाली और उसका दाह संस्कार किया। इसके बाद शाम को जूनियर डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मुलाकात के बाद हड़ताल वापस ले ली। भोपाल जूडा के अध्यक्ष डॉ. संकेत शिते ने बयान जारी कर कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने हमारी मांगों पर शीघ्र ही जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। हम तत्काल प्रभाव से हमारी हड़ताल वापस लेते हैं।  परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप  वहीं, डॉ. बाला सरस्वती के माता-पिता और बहन लक्ष्मी ने जीएमसी के गायनिक विभाग की एचओडी और सीनियर डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए। डॉ. सरस्वती की बहन लक्ष्मी ने बताया कि वह मानसिक दबाव में थी। वह कुछ समय से वह डॉ. अरुणा कुमार, डॉ. पल्लवी और एक अन्य डॉक्टर के द्वारा प्रताड़ित करने की बात कहती थी। वहीं, डॉ. सरस्वती के पिता पी. वेंकटेश्वर ने आरोप लगाया कि उनकी शिकायत पर अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। पुलिस आरोपी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।  दिग्विजय सिंह बोले-मामले की जांच हो  वहीं, इस पूरे मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी जूनियर डॉक्टरों की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच होना चाहिए। ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ जूडा की बैठक – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ शनिवार को बैठक के बाद प्रमुख मांग मान ली गई। इसके बाद डॉ. बाला सरस्वती की खुदकुशी को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली। सारंग ने बैठक के पांच घंटे बाद ही जीएमसी की गायनिक विभाग की पूर्व एचओडी डॉ. अरुणा कुमार को चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में अटैच कर दिया। वहीं, विभागाध्यक्ष के दो साल के तय कार्यकाल को लेकर भी आदेश जारी कर दिया गया।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने कहा कि सकारात्मक माहौल में जूडा के पदाधिकारियों से बातचीत हुई। हमने उनकी मांगों पर विचार करके निर्णय लेने का आश्वासन दिया। सारंग ने अधिकारियों की जूडा की मांगों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग से परिपत्र जारी किया गया। इसमें शासकीय मेडिकल कॉलेज के विभागों के एचओडी की नियुक्ति दो साल में रोटेशन के आधार पर करने के दिशा निर्देश जारी किए गए। अब विभाग में वरिष्ठ प्राध्यापक/ प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष एक बार में अधिकतम दो वर्ष के लिए ही बनाया जाएगा। वर्तमान कार्यरत विभागाध्यक्ष नियुक्ति तिथि से दो वर्ष तक कार्य कर सकेंगे।

यदि विभाग में एक ही वरिष्ठ प्राध्यापक है तो दूसरा वरिष्ठ प्राध्यापक उपलब्ध होने तक कार्यकाल में वृद्धि की जाएगी। वहीं, विभागाध्यक्ष बनने में अनिच्छा प्रकट करने, विभागीय जांच चलने, अधिष्ठाता द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी करने या राज्य सरकार द्वारा आरोप पत्र जारी किए गए हैं तो संबंधित विभाग में कार्यरत अगले वरिष्ठ प्राध्यापक/प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। गैर चिकित्सा क्षेत्र के व्यक्ति को विभागाध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र के व्यक्ति की अनुपलब्धता होने पर दोबारा वही क्रम दोहराया जाएगा। विभागाध्यक्ष का प्राध्यापक होना अनिवार्य होगा।

उत्पीड़न की शवयात्रा निकाली
इस बीच जूनियर डॉक्टरों ने जीएमसी में उत्पीड़न की शवयात्रा निकाली और उसका दाह संस्कार किया। इसके बाद शाम को जूनियर डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मुलाकात के बाद हड़ताल वापस ले ली। भोपाल जूडा के अध्यक्ष डॉ. संकेत शिते ने बयान जारी कर कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने हमारी मांगों पर शीघ्र ही जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। हम तत्काल प्रभाव से हमारी हड़ताल वापस लेते हैं। 

परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप 
वहीं, डॉ. बाला सरस्वती के माता-पिता और बहन लक्ष्मी ने जीएमसी के गायनिक विभाग की एचओडी और सीनियर डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए। डॉ. सरस्वती की बहन लक्ष्मी ने बताया कि वह मानसिक दबाव में थी। वह कुछ समय से वह डॉ. अरुणा कुमार, डॉ. पल्लवी और एक अन्य डॉक्टर के द्वारा प्रताड़ित करने की बात कहती थी। वहीं, डॉ. सरस्वती के पिता पी. वेंकटेश्वर ने आरोप लगाया कि उनकी शिकायत पर अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। पुलिस आरोपी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। 

दिग्विजय सिंह बोले-मामले की जांच हो 
वहीं, इस पूरे मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी जूनियर डॉक्टरों की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच होना चाहिए। ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

Posted in MP