मंत्रालय – फोटो : अमर उजाला
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डिंडोरी के हंसापुर और रीवा में जलाशय निर्माण के करोड़ों रुपये के टेंडर में भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे (एमजी चौबे) और कार्यपालन अधिकारी शिखर जैन के खिलाफ अब मुकदमा चलाया जाएगा। करोड़ों के टेंडर में फर्जीवाड़ा कर गबन करने पर मप्र आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 2013 में प्रकरण दर्ज किया था, लेकिन विभाग ने कोर्ट में केस चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दी थी। अब दोनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 11 वर्ष बाद जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। डॉ. राजौरा के निर्देश पर उप सचिव आशीष तिवारी के हस्ताक्षर से दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ अब कोर्ट में केस चलाने की अनुमति मिल गई है।
सरकारी योजनाओं में किया था भ्रष्टाचार
जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए एमजी चौबे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया था। शिखरचंद जैन रिटायर्ड एसडीओ कुंडम सब डिवीजन-3 और प्रभारी कार्यपालन यंत्री हिरन जल संसाधन संभाग जबलपुर भी आरोपी बनाए गए हैं। प्रमुख अभियंता चौबे इस दौरान तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग डिंडोरी पदस्थ थे। ईओडब्ल्यू द्वारा 2013 में प्रकरण दर्ज करने के बाद अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी, लेकिन विभाग ने स्वीकृति नहीं प्रदान की। विभाग ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं देते हुए कहा था कि ठेकेदार संतोष कुमार मिश्रा के टेंडर के मामले में हुई गड़बड़ी पर पूर्व एसडीओ जैन और पूर्व कार्यपालन यंत्री जिम्मेदार नहीं हैं। अनुभव प्रमाण पत्र जारी करना और उसका सत्यापन करना टेंडर प्रक्रिया का एक शुरुआती पार्ट है। इसे आधार बनाकर ईओडब्ल्यू द्वारा इन अफसरों को वित्तीय नुकसान के लिए जिम्मेदार बताया गया है। यह उचित प्रतीत नहीं होता है। हंसा जलाशय और रीवा जलाशय के ठेके के काम के मामले में फर्जी और कूटरचित दस्तावेज बनान में इन अफसरों की भूमिका को लेकर अभियोजन स्वीकृति नहीं दी थी।
विधि विभाग से मिल चुकी है अनुमति
करोड़ों का अनुचित लाभ ठेकेदारों को पहुंचाने के मामले में विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा सरकार के मांगे जाने पर अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसके बाद राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग ने इन रिटायर्ड अफसरों के विरुद्ध न्यायालय में केस दायर करने की अनुमति दे दी है।
संविदा नियुक्ति को लेकर चर्चाओं में रहे चौबे
एमजी चौबे प्रमुख अभियंता रहने के दौरान सेवानिवृत्त हुए। लेकिन राजय सरकार द्वारा बार-बार अनुभवी और वरिष्ठ होने के कारण सेवावृद्धि देती चली गई। बार-बार सेवा वृद्धि दिए जाने के कारण चौबे हमेशा चर्चा में रहते थे। कई बार कैबिनेट में जब चौबे को सेवावृद्धि देने का प्रस्ताव आता तो वरिष्ठ मंत्री आपत्ति भी लेते थे, लेकिन विभागीय अधिकारी तर्क देते की कर्मठ और अनुभवी होने के कारण चौबे को सेवावृद्धि देना जरूरी है।
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