न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भाेपाल Published by: उदित दीक्षित Updated Tue, 27 Aug 2024 01: 48 PM IST
वंचित समाज के बौद्धिक जन सम्मेलन में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधन जब तक समाज के हांथ में हैं, तभी तक सुरक्षित हैं। बौद्धिक जन सम्मेलन का आयोजन। – फोटो : Bhopal News
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न्याय, गरिमा और समता जैसे संवैधानिक मूल्यों के लिए आज भी आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग को संघर्ष करना पड़ रहा है। जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधन जब तक समाज के हांथ में हैं, तभी तक सुरक्षित हैं, अन्यथा इसे लूटने और निजी कंपनियों को बेचने के कारण पलायन और गरीबी बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। ऐसे में वंचित समाज को शिक्षित और संगठित होने की जरूरत है। वंचित समाज के बौद्धिक जन सम्मेलन में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि आज कांवड़ यात्रा निकालने वाले भक्तों और सरकार को यह देखने का समय है कि हालिया रिपोर्ट के अनुसार नर्मदा जल अधिक दूषित हो गया है। बौद्धिक जन सम्मेलन की शुरुआत संविधान के प्रस्तावना के सामूहिक वाचन और संविधान गीत से हुई। बौद्धिक सत्र में बोलते हुए पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने कहा कि आज वंचित समाज को अपनी खेती और बीज बचाने की अत्यंत जरूरत है ताकि धरती को बंजर होने से बचाया जा सके। उन्होंने अपने गांव में किए प्रयोग की जानकारी दी।
शिवशंकर यादव ने पिछड़ा वर्ग के युवाओं को झूठे धार्मिक आडंबर के जाल से बाहर आकर वैज्ञानिक और संवैधानिक नजरिए के साथ विकास करने का आह्वान किया। सेवानिवृत्त सचिव विल्फ्रेड लकड़ा ने मनरेगा योजना की स्थिति पर कहा कि इसका उद्देश्य वंचित समुदाय के लिए भूमि और जल का स्थायी रूप से सुधार करना था, इस दिशा में अभी काम की जरूरत है। पूर्व आईपीएस एमडब्ल्यू अंसारी ने अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रही राजनीतिक हिंसा को लेकर सवाल उठाया।
नृत्य नाटिका हूल क्रांति की प्रस्तुति
नाट्यशास्त्र नृत्य अकादमी की संस्थापक साहिल कौर के निर्देशन में नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण हुआ। जिसमें वंचित आदिवासी समाज के गौरव और संघर्ष की गाथा 1855 की हूल क्रांति सिद्धू और कान्हू का वृत्तांत प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर यूपीएससी जैसे लोकसेवा परीक्षाओं की कोचिंग से जुड़े तनाव और उलझनों से बाहर निकलकर छात्रों को तैयारी करने के सूत्र बताते हुए सत्यम जैन ने अपने अनुभव साझा किए। वंचित समाज के बौद्धिक जन सम्मेलन में विविध समाजसेवी संस्थाओं, प्रतिभाओं और लोक कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का समन्वय शरद कुमरे द्वारा किया गया।
इनकी रही भूमिका
कार्यक्रम को आकार देने में पूर्व जिला जज आरडी भलावी, प्रो. किरण वट्टी, आरबी वट्टी, डॉ साहेबराव सदावरते, पोरलाल खरते, डॉ पीडी महंत, कृतिका ठाकुर, मोहिंदर कंवर, प्रकाश ठाकुर, डॉ.मनोज राजे, इनायत अब्बास, विजयश्री रंगारे, रतनलाल बाथम, एडवोकेट बीपी बंसल, सुनीता पंन्द्रो, संघमित्रा गजभिये, सरिता पाटिल,चक्रेश महोबिया, रवीश कुमार, सुरेखा कांबले और युवा चन्दन यादव, आरएन ठाकुर, बलराम कुशवाह, प्रदीप कुशवाहा, सूर्य प्रताप सिंह, राजनंदिनी कुमरे, शरद सिंह कुमरे आदि की प्रमुख भूमिका थी।
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