घर वालों के साथ युवा वैज्ञानिक ओम पांडे। - फोटो : Amar Ujala Digital विस्तार Follow Us चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंड कर गया। इस सफलता के साथ ही पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। भारत को मिले इस अद्भुत और ऐतिहासिक पलों में सतना के युवा वैज्ञानिक का भी अहम योगदान है। सतना जिले के करसरा गांव निवासी ओम पांडे पिछले छह महीने से इस अभियान से जुड़े हैं। ओम पांडे सतना के युवा वैज्ञानिक हैं। उनकी टीम ने चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभाई है। ओम उस टीम का हिस्सा हैं, जो चंद्रयान को अंतरिक्ष की कक्षा और प्रक्षेपक की निगरानी के लिए जिम्मा उठा रहे थे। वह चंद्रमा पर लैंडर उतारने की प्रक्रिया में भी शामिल रहे हैं। पांडे 2018 में एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए। परिवार कहता है कि वो हमेशा से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान देना चाहते थे। वो लगभग पांच साल से इसरो में हैं। ओम चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा भी रहे हैं। इन दिनों वो मॉरीसस के इसरो मॉनीटरिंग सेंटर में तैनात हैं। ओम की उपलब्धि पर परिवार, गांव वाले सब खुश हैं। उनके बड़े भाई सूर्य प्रकाश पांडे ने कहा कि मेरे छोटे भाई ओम पांडे पर पूरे गांव को गर्व है। आंखों में खुशी के आंसू लिए मां कुसुम पांडे कहने लगीं कि बेटा कोई परेशानी नहीं होने देता है। हमेशा बात करता है। पत्नी शिखा बताती हैं कि पति को देखकर और बच्चे भी बोल रहे हैं कि इस फील्ड में जाना चाहिए। बहुत सारे लोग उनसे पूछते हैं, इसरो में कैसे जाते हैं। बचपन में हम सब सुनते थे चंदा मामा दूर के... लेकिन देश की इस उपलब्धि से चंदा मामा बहुत पास लगने लगे हैं। सतना का बेटा इस बात का उदाहरण है। जुनून और सपनों से प्रेरित होकर मानवता क्या हासिल कर सकती है। लक्ष्य के लिये शहर मायने नहीं रखता सपने ही मायने रखते हैं।

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घर वालों के साथ युवा वैज्ञानिक ओम पांडे। – फोटो : Amar Ujala Digital

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चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंड कर गया। इस सफलता के साथ ही पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। भारत को मिले इस अद्भुत और ऐतिहासिक पलों में सतना के युवा वैज्ञानिक का भी अहम योगदान है। सतना जिले के करसरा गांव निवासी ओम पांडे पिछले छह महीने से इस अभियान से जुड़े हैं।

ओम पांडे सतना के युवा वैज्ञानिक हैं। उनकी टीम ने चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभाई है। ओम उस टीम का हिस्सा हैं, जो चंद्रयान को अंतरिक्ष की कक्षा और प्रक्षेपक की निगरानी के लिए जिम्मा उठा रहे थे। वह चंद्रमा पर लैंडर उतारने की प्रक्रिया में भी शामिल रहे हैं। पांडे 2018 में एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए।

परिवार कहता है कि वो हमेशा से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान देना चाहते थे। वो लगभग पांच साल से इसरो में हैं। ओम चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा भी रहे हैं। इन दिनों वो मॉरीसस के इसरो मॉनीटरिंग सेंटर में तैनात हैं। ओम की उपलब्धि पर परिवार, गांव वाले सब खुश हैं। उनके बड़े भाई सूर्य प्रकाश पांडे ने कहा कि मेरे छोटे भाई ओम पांडे पर पूरे गांव को गर्व है। आंखों में खुशी के आंसू लिए मां कुसुम पांडे कहने लगीं कि बेटा कोई परेशानी नहीं होने देता है। हमेशा बात करता है। पत्नी शिखा बताती हैं कि पति को देखकर और बच्चे भी बोल रहे हैं कि इस फील्ड में जाना चाहिए। बहुत सारे लोग उनसे पूछते हैं, इसरो में कैसे जाते हैं।

बचपन में हम सब सुनते थे चंदा मामा दूर के… लेकिन देश की इस उपलब्धि से चंदा मामा बहुत पास लगने लगे हैं। सतना का बेटा इस बात का उदाहरण है। जुनून और सपनों से प्रेरित होकर मानवता क्या हासिल कर सकती है। लक्ष्य के लिये शहर मायने नहीं रखता सपने ही मायने रखते हैं।

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