mp-news:-ग्वालियर-में-phe-घोटाले-के-मामले-में-कलेक्टर-की-कार्रवाई,-74-और-लोगों-पर-fir-दर्ज-करने-के-दिए-आदेश
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 02 Jul 2024 07: 47 PM IST ग्वालियर में पीएचई घोटाले के मामले में कलेक्टर का बड़ा आदेश सामने आया है। 74 और लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। रुचिका सिंह चौहान, कलेक्टर - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कितनी भी लगाम लगाने की बात करे, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी मिलकर आज भी शासकीय धनराशि में सेंध लगा रहे हैं। ऐसा ग्वालियर के PHE डिपार्मेंट में हुआ है। जहां 84 करोड़ की राशि भ्रष्टाचार के पलीते चढ़ गई। शुरुआत में इस भ्रष्टाचार को लेकर सिर्फ नौ आरोपी बनाए गए थे, लेकिन अब ग्वालियर कलेक्टर ने 74 लोगों पर मामला दर्ज करने के आर्डर जारी कर दिए हैं। ग्वालियर के पीएचई डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारियों ने सरकार की ऐसी किरकिरी कराई है कि कलेक्टर को 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने पड़े। क्योंकि इन कर्मचारियों ने 84 करोड़ की राशि फर्जी तरीके से बंदर बांट कर ली और वह भी ऐसे कर्मचारियों के नाम से जिनमें कई तो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। शिकायत के बाद जब इसकी फाइनेंशियल टीम ने जांच की तो इसमें कुछ PHE विभाग के अधिकारी, कुछ ट्रेजरी ऑफिसर और कुछ फर्म के नाम पर भुगतान कर दिया गया। दरअसल, यह भ्रष्टाचार तब सामने आया जब PHE विभाग के इंजीनियर संजय सोलंकी ने सरकारी धनराशि मरे हुए लोगों के खाते में ट्रांसफर करने की शिकायत क्राइम ब्रांच में की थी। पुलिस ने शुरुआती जांच में नौ लोगों पर मामला दर्ज किया था, जिसमें फरियादी संजय सोलंकी भी शामिल है। 84 करोड़ की राशि को दूसरों के खाते में ट्रांसफर करने के लिए फर्जी दस्तावेज और अकाउंट खुलवाए गए। इस पूरे घोटाले में वैसे तो मुख्य आरोपी संजय सोलंकी और हीरालाल हैं। लेकिन उन सभी लोगों को आरोपी बनाया जा रहा है, जिनके खाते में रकम ट्रांसफर की गई और जिन्होंने ट्रांसफर की। यानी डिपार्टमेंट के अधिकारियों से लेकर ट्रेजरी ऑफिसर तक इसमें शामिल हैं। इस घोटाले के मास्टरमाइंड संजय सोलंकी ने कर्मचारियों के नाम पर अलग खाते खुलवा लिए और राशि उन खातों में ट्रांसफर करवाई गई। लेकिन जांच में पाया गया कि जिस मद में राशि ट्रांसफर करवानी थी, उसके बिल ही नहीं लगाए गए और फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर राशि खातों में ट्रांसफर करने की आर्डर जारी कर दिए गए। यह राशि एक बार नहीं, बल्कि कई बार ट्रांसफर की गई, जिनके खातों में पैसा गया उनमें कुछ कर्मचारियों का वेतन बताया गया। कुछ विभागीय कार्य करने वाली फर्म बताई गई और कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं। हैरानी की बात तो यह है कि दर्जनों खाते ऐसे हैं, जिनमें पांच लाख से ऊपर की मिलती-जुलती एक जैसी रकम उनके खातों में ट्रांसफर की गई। इसीलिए जांच टीम को यह मामला संदिग्ध लगा। फिलहाल तो पुलिस ने इस घोटाले में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अब इसमें 74 और लोगों को चिन्हित किया गया है, अब जल्दी इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 02 Jul 2024 07: 47 PM IST

ग्वालियर में पीएचई घोटाले के मामले में कलेक्टर का बड़ा आदेश सामने आया है। 74 और लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। रुचिका सिंह चौहान, कलेक्टर – फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कितनी भी लगाम लगाने की बात करे, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी मिलकर आज भी शासकीय धनराशि में सेंध लगा रहे हैं। ऐसा ग्वालियर के PHE डिपार्मेंट में हुआ है। जहां 84 करोड़ की राशि भ्रष्टाचार के पलीते चढ़ गई। शुरुआत में इस भ्रष्टाचार को लेकर सिर्फ नौ आरोपी बनाए गए थे, लेकिन अब ग्वालियर कलेक्टर ने 74 लोगों पर मामला दर्ज करने के आर्डर जारी कर दिए हैं।

ग्वालियर के पीएचई डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारियों ने सरकार की ऐसी किरकिरी कराई है कि कलेक्टर को 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने पड़े। क्योंकि इन कर्मचारियों ने 84 करोड़ की राशि फर्जी तरीके से बंदर बांट कर ली और वह भी ऐसे कर्मचारियों के नाम से जिनमें कई तो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। शिकायत के बाद जब इसकी फाइनेंशियल टीम ने जांच की तो इसमें कुछ PHE विभाग के अधिकारी, कुछ ट्रेजरी ऑफिसर और कुछ फर्म के नाम पर भुगतान कर दिया गया।

दरअसल, यह भ्रष्टाचार तब सामने आया जब PHE विभाग के इंजीनियर संजय सोलंकी ने सरकारी धनराशि मरे हुए लोगों के खाते में ट्रांसफर करने की शिकायत क्राइम ब्रांच में की थी। पुलिस ने शुरुआती जांच में नौ लोगों पर मामला दर्ज किया था, जिसमें फरियादी संजय सोलंकी भी शामिल है। 84 करोड़ की राशि को दूसरों के खाते में ट्रांसफर करने के लिए फर्जी दस्तावेज और अकाउंट खुलवाए गए।

इस पूरे घोटाले में वैसे तो मुख्य आरोपी संजय सोलंकी और हीरालाल हैं। लेकिन उन सभी लोगों को आरोपी बनाया जा रहा है, जिनके खाते में रकम ट्रांसफर की गई और जिन्होंने ट्रांसफर की। यानी डिपार्टमेंट के अधिकारियों से लेकर ट्रेजरी ऑफिसर तक इसमें शामिल हैं। इस घोटाले के मास्टरमाइंड संजय सोलंकी ने कर्मचारियों के नाम पर अलग खाते खुलवा लिए और राशि उन खातों में ट्रांसफर करवाई गई। लेकिन जांच में पाया गया कि जिस मद में राशि ट्रांसफर करवानी थी, उसके बिल ही नहीं लगाए गए और फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर राशि खातों में ट्रांसफर करने की आर्डर जारी कर दिए गए। यह राशि एक बार नहीं, बल्कि कई बार ट्रांसफर की गई, जिनके खातों में पैसा गया उनमें कुछ कर्मचारियों का वेतन बताया गया। कुछ विभागीय कार्य करने वाली फर्म बताई गई और कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं।

हैरानी की बात तो यह है कि दर्जनों खाते ऐसे हैं, जिनमें पांच लाख से ऊपर की मिलती-जुलती एक जैसी रकम उनके खातों में ट्रांसफर की गई। इसीलिए जांच टीम को यह मामला संदिग्ध लगा। फिलहाल तो पुलिस ने इस घोटाले में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अब इसमें 74 और लोगों को चिन्हित किया गया है, अब जल्दी इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी।

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