mp-news:-कौन-बनेगा-शिवराज-का-उत्तराधिकारी?-विजयपुर-में-भाजपा-के-सामने-अपनों-की-चुनौती
भाजपा और कांग्रेस - फोटो : अमर उजाला। विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव में मिली जीत से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने पहले टेस्ट में सफल रहे हैं। इससे पार्टी भी उत्साहित है। अब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीहोर जिले की बुधनी सीट और हाल ही में प्रदेश में मंत्री बनाए गए रामनिवास रावत की श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पर उपचुनाव होने हैं। सवाल यह है कि शिवराज की विरासत को कौन संभालेगा? दोनों ही सीटों पर उपचुनावों की तारीखों का एलान नहीं हुआ है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है।  निर्वाचन आयोग जल्द ही विजयपुर और बुधनी में उपचुनाव की तारीख का एलान कर सकता है। विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत भाजपा में शामिल होकर मंत्री बन चुके हैं। इसके बाद उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा। वहीं, बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं। इससे उनकी सीट भी खाली हो गई है। यह दोनों ही सीटें कांग्रेस के लिए चुनौती रहने वाली है। विजयपुर में कांग्रेस अब तक रामनिवास रावत को प्रत्याशी बना रही थी और वह जीत भी रहे थे। अब रावत के भाजपा में जाने से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ गई है। सीहोर जिले की बुधनी सीट पर कांग्रेस 1998 से चुनाव नहीं जीती है। भाजपा के लिए यह दोनों सीटें मुश्किल तो नहीं है लेकिन अपने ही समस्या बन सकते हैं। विजयपुर सीट पर भाजपा को अपने नाराज नेताओं को मनाना होगा।  मेरवा ने की टिकट की दावेदारी विजयपुर सीट से पूर्व विधायक रामनिवास रावत को भाजपा से टिकट मिलना लगभग तय है। इसके बाद भी 2023 में भाजपा प्रत्याशी रहे बाबूलाल मेवरा ने टिकट की दावेदारी पेश की है। मेवरा के साथ ही पूर्व विधायक सीताराम भी रावत के भाजपा में शामिल होने से नाराज बताए जा रहे हैं। इसे देखते हुए छह बार के विधायक रावत के लिए विजयपुर विधानसभा उपचुनाव आसान नहीं होगा। पार्टी ने विजयपुर उपचुनाव के लिए एंदल सिंह कसाना को प्रभारी और पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह बिरथरे को सह-प्रभारी बनाया है। दोनों के लिए ही विजयपुर भाजपा के नाराज और असंतुष्ठ नेताओं को मनाना चुनौती भरा होगा। सत्ता और संगठन ने भी नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है।  बुधनी में भाजपा की राह आसान  सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट पर भाजपा की राह आसान रहने की उम्मीद है। भाजपा ने मंत्री करण सिंह वर्मा को प्रभारी और रामपाल सिंह सह-प्रभारी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद बनने के बुधनी विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय, पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह को दावेदार माना जा रहा है।  कांग्रेस के लिए राह दिख रही मुश्किल  कांग्रेस ने 1998 के बाद से बुधनी सीट नहीं जीती है। इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस ने जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया है। विजयपुर का प्रभारी लाखन सिंह को बनाया है। दोनों सीटों पर कांग्रेस से कई प्रत्याशी दावेदार हैं। इसके बाद भी कोई मजबूत नाम अब तक सामने नहीं आया है। बुधनी में शिवराज सिंह चौहान के सामने विक्रम मस्ताल ने चुनाव लड़ा था और एक लाख से अधिक वोटों से हारे थे।   बीना सीट पर असमंजस कायम लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा से कमलेश शाह, विजयपुर से रामनिवास रावत और बीना से निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। अमरवाड़ा में कमलेश शाह भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीत चुके हैं। रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अभी तक निर्मला सप्रे ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से बीना में उपचुनाव को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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भाजपा और कांग्रेस – फोटो : अमर उजाला।

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मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव में मिली जीत से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने पहले टेस्ट में सफल रहे हैं। इससे पार्टी भी उत्साहित है। अब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीहोर जिले की बुधनी सीट और हाल ही में प्रदेश में मंत्री बनाए गए रामनिवास रावत की श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पर उपचुनाव होने हैं। सवाल यह है कि शिवराज की विरासत को कौन संभालेगा? दोनों ही सीटों पर उपचुनावों की तारीखों का एलान नहीं हुआ है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। 

निर्वाचन आयोग जल्द ही विजयपुर और बुधनी में उपचुनाव की तारीख का एलान कर सकता है। विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत भाजपा में शामिल होकर मंत्री बन चुके हैं। इसके बाद उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा। वहीं, बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं। इससे उनकी सीट भी खाली हो गई है। यह दोनों ही सीटें कांग्रेस के लिए चुनौती रहने वाली है। विजयपुर में कांग्रेस अब तक रामनिवास रावत को प्रत्याशी बना रही थी और वह जीत भी रहे थे। अब रावत के भाजपा में जाने से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ गई है। सीहोर जिले की बुधनी सीट पर कांग्रेस 1998 से चुनाव नहीं जीती है। भाजपा के लिए यह दोनों सीटें मुश्किल तो नहीं है लेकिन अपने ही समस्या बन सकते हैं। विजयपुर सीट पर भाजपा को अपने नाराज नेताओं को मनाना होगा। 

मेरवा ने की टिकट की दावेदारी
विजयपुर सीट से पूर्व विधायक रामनिवास रावत को भाजपा से टिकट मिलना लगभग तय है। इसके बाद भी 2023 में भाजपा प्रत्याशी रहे बाबूलाल मेवरा ने टिकट की दावेदारी पेश की है। मेवरा के साथ ही पूर्व विधायक सीताराम भी रावत के भाजपा में शामिल होने से नाराज बताए जा रहे हैं। इसे देखते हुए छह बार के विधायक रावत के लिए विजयपुर विधानसभा उपचुनाव आसान नहीं होगा। पार्टी ने विजयपुर उपचुनाव के लिए एंदल सिंह कसाना को प्रभारी और पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह बिरथरे को सह-प्रभारी बनाया है। दोनों के लिए ही विजयपुर भाजपा के नाराज और असंतुष्ठ नेताओं को मनाना चुनौती भरा होगा। सत्ता और संगठन ने भी नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है। 

बुधनी में भाजपा की राह आसान 
सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट पर भाजपा की राह आसान रहने की उम्मीद है। भाजपा ने मंत्री करण सिंह वर्मा को प्रभारी और रामपाल सिंह सह-प्रभारी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद बनने के बुधनी विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय, पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह को दावेदार माना जा रहा है। 

कांग्रेस के लिए राह दिख रही मुश्किल 
कांग्रेस ने 1998 के बाद से बुधनी सीट नहीं जीती है। इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस ने जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया है। विजयपुर का प्रभारी लाखन सिंह को बनाया है। दोनों सीटों पर कांग्रेस से कई प्रत्याशी दावेदार हैं। इसके बाद भी कोई मजबूत नाम अब तक सामने नहीं आया है। बुधनी में शिवराज सिंह चौहान के सामने विक्रम मस्ताल ने चुनाव लड़ा था और एक लाख से अधिक वोटों से हारे थे।  

बीना सीट पर असमंजस कायम
लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा से कमलेश शाह, विजयपुर से रामनिवास रावत और बीना से निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। अमरवाड़ा में कमलेश शाह भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीत चुके हैं। रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अभी तक निर्मला सप्रे ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से बीना में उपचुनाव को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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