mp-news:-कांग्रेस-प्रदेश-भर-में-20-सितंबर-को-निकालेगी-किसान-न्याय-यात्रा,-कलेक्टर-कार्यालयों-का-करेंगे-घेराव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Fri, 06 Sep 2024 06: 42 PM IST पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सोयाबीन, गेहूं और धान के दाम बढ़ाए जाने की मांग को लेकर  20 सितंबर को प्रदेशभर में किसान न्याय यात्रा निकालेगी। जीतू पटवारी की प्रेसवार्ता - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us कांग्रेस लगातार बेरोजगार युवाओं की लड़ाई सड़कों पर लड़ रही है अब किसानों की लड़ाई में उतरने की तैयारी है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सोयाबीन, गेहूं और धान के दाम बढ़ाए जाने की मांग को लेकर  20 सितंबर को प्रदेशभर में किसान न्याय यात्रा निकालेगी। ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। इसके अलावा, बिजली बिल वसूली को लेकर कलेक्टर कार्यालयों का घेराव कर ज्ञापन दिया जाएगा। जीतू पटवारी कहा कि जल्द ही उनकी टीम की घोषणा की जाएगी। पूर्व सीएम शिवराज का झूठ हो गया उजागर पटवारी ने कहा कि जो सरकारी एजेंसी सूचकांक को निर्धारित करती है, उसके आधार पर बता रहा हूं कि प्रदेश में किसान की आमदनी 27 रुपए प्रतिदिन है, जबकि प्रति किसान औसत कर्ज 74 हजार रुपए है। देश में 10 साल से बीजेपी की सरकार है। मप्र में 25 साल यानी पांच पंचवर्षीय योजना में केवल डेढ़ साल का पीरियड छोड़ दें, तो मध्यप्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। देश और प्रदेश के नेताओं ने किसानों की आंखों में धूल झोंकी है, इसका उदाहरण सामने है। हाल में शिवराज सिंह ने कृषि मंत्री बनने के बाद लोकसभा में कहा कि हमने मध्य प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी कर दी। किसानों से लूट, मोदी जी का दोगुनी आमदनी वाला झूठ, उजागर हो गया है। शिवराज सिंह चौहान ने बार-बार यह बात कही। इसके उलट, 2022 में संसदीय समिति रिपोर्ट दी कि मध्य प्रदेश के किसानों की आय घट गई है। 2015-16 में एक किसान की आय 9740 रुपए थी। यह 2017-18 में घटकर 8,339 रुपए हो गई। किसानों पर लगातार कर्ज बढ़ रहा है। तीन राज्यों में सोयाबीन के दाम बढ़ाने की घोषणा एमपी को भूले पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते बीजेपी के घोषणा पत्र में 2700 गेहूं और को धान का दाम 3100 देने की बात कही थी। तीन दिन पहले सरकार की ओर से एक्स हैंडल पर बयान सामने आया। इसमें कहा गया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन का दाम बढ़ा कर देंगे। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम बढ़ाने की बात नहीं की गई। मप्र के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है। क्या इसलिए महाराष्ट्र के लिए घोषणा की गई? क्योंकि, वहां चुनाव है।  किसानों की औसत आमदनी 27 रूपये प्रतिदिन रह गई पटवारी ने कहा कि आज समूचे प्रदेश के किसान कह रहे हैं कि किसानों की आमदनी पर कर रही है वार शिवराज-मोहन-मोदी सरकार। फरवरी 2016 में देश के प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश की बरेली की रैली में कहा कि किसान भाईयों वर्ष 2022 तक मैं आपकी आमदनी दोगुना कर दूंगा। मगर मोदी सरकार के ही नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश के किसानों की औसत आमदनी 27 रूपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74 हजार रूपये हो गया है। यह इसलिए हुआ कि बीते दस वर्षों में खेती की लागत 25 हजार रूपये हेक्टेयर बढ़ा दी गई। टेक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी, खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत, डीजल की कीमत 35 रूपये प्रति लीटर बढ़ गई।     किसानों से अपने घोषणा-पत्र में झूठ बोला पटवारी ने कहा कि मोदी सरकार की फैक्ट्री में बनने वाले झूठ के सबसे बड़े डीलर शिवराज सिंह चौहान जी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी है। मध्यप्रदेश का चुनाव जीतने के लिए प्रदेश के किसानों से अपने घोषणा-पत्र में झूठ बोला कि चुनाव जीतने पर गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रूपये प्रति क्विंटल और धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये प्रति क्विंटल किया जायेगा। चुनाव जीतते ही किसानों को धोखा दे दिया।  लागत से भी कम मिल रहे हैं सोयाबीन के दाम  पटवारी ने कहा कि आज मध्यप्रदेश में सोयाबीन का भाव लगभग 4000 रूपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। जबकि उसका समर्थन मूल्य 4892 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि पहले ही अपर्याप्त है। मोदी सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य तय करते वक्त इसका लागत मूल्य 3261 रूपये निर्धारित किया है। जबकि मध्यप्रदेश ने लागत और मूल्य आयोग को पहले ही सूचित किया था कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 4455 रूपये प्रति क्विंटल आती है, वहीं महाराष्ट्र में यह लागत 6039 रूपये प्रति क्विंटल बतायी थी।लागत और मूल्य आयोग ने खुद अपनी 2024-25 की खरीफ की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में औसत सोयाबीन का कास्ट ऑफ प्रोडक्शन (ए 2 $ एफएल) 4853 रूपये वर्ष 2022-23 के लिए मूल्यांकित किया गया था। समर्थन मूल्य तय करने वाला आयोग खुद कहता है कि लागत निकालने के लिए जो सैम्पल साईज लिया जाता है, वह अपर्याप्त है, इसलिए लागत मूल्य सहीं नहीं निकलता। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Fri, 06 Sep 2024 06: 42 PM IST

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सोयाबीन, गेहूं और धान के दाम बढ़ाए जाने की मांग को लेकर  20 सितंबर को प्रदेशभर में किसान न्याय यात्रा निकालेगी। जीतू पटवारी की प्रेसवार्ता – फोटो : अमर उजाला

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कांग्रेस लगातार बेरोजगार युवाओं की लड़ाई सड़कों पर लड़ रही है अब किसानों की लड़ाई में उतरने की तैयारी है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सोयाबीन, गेहूं और धान के दाम बढ़ाए जाने की मांग को लेकर  20 सितंबर को प्रदेशभर में किसान न्याय यात्रा निकालेगी। ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। इसके अलावा, बिजली बिल वसूली को लेकर कलेक्टर कार्यालयों का घेराव कर ज्ञापन दिया जाएगा। जीतू पटवारी कहा कि जल्द ही उनकी टीम की घोषणा की जाएगी।

पूर्व सीएम शिवराज का झूठ हो गया उजागर
पटवारी ने कहा कि जो सरकारी एजेंसी सूचकांक को निर्धारित करती है, उसके आधार पर बता रहा हूं कि प्रदेश में किसान की आमदनी 27 रुपए प्रतिदिन है, जबकि प्रति किसान औसत कर्ज 74 हजार रुपए है। देश में 10 साल से बीजेपी की सरकार है। मप्र में 25 साल यानी पांच पंचवर्षीय योजना में केवल डेढ़ साल का पीरियड छोड़ दें, तो मध्यप्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। देश और प्रदेश के नेताओं ने किसानों की आंखों में धूल झोंकी है, इसका उदाहरण सामने है। हाल में शिवराज सिंह ने कृषि मंत्री बनने के बाद लोकसभा में कहा कि हमने मध्य प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी कर दी। किसानों से लूट, मोदी जी का दोगुनी आमदनी वाला झूठ, उजागर हो गया है। शिवराज सिंह चौहान ने बार-बार यह बात कही। इसके उलट, 2022 में संसदीय समिति रिपोर्ट दी कि मध्य प्रदेश के किसानों की आय घट गई है। 2015-16 में एक किसान की आय 9740 रुपए थी। यह 2017-18 में घटकर 8,339 रुपए हो गई। किसानों पर लगातार कर्ज बढ़ रहा है।

तीन राज्यों में सोयाबीन के दाम बढ़ाने की घोषणा एमपी को भूले
पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते बीजेपी के घोषणा पत्र में 2700 गेहूं और को धान का दाम 3100 देने की बात कही थी। तीन दिन पहले सरकार की ओर से एक्स हैंडल पर बयान सामने आया। इसमें कहा गया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन का दाम बढ़ा कर देंगे। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम बढ़ाने की बात नहीं की गई। मप्र के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है। क्या इसलिए महाराष्ट्र के लिए घोषणा की गई? क्योंकि, वहां चुनाव है।

 किसानों की औसत आमदनी 27 रूपये प्रतिदिन रह गई
पटवारी ने कहा कि आज समूचे प्रदेश के किसान कह रहे हैं कि किसानों की आमदनी पर कर रही है वार शिवराज-मोहन-मोदी सरकार। फरवरी 2016 में देश के प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश की बरेली की रैली में कहा कि किसान भाईयों वर्ष 2022 तक मैं आपकी आमदनी दोगुना कर दूंगा। मगर मोदी सरकार के ही नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश के किसानों की औसत आमदनी 27 रूपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74 हजार रूपये हो गया है। यह इसलिए हुआ कि बीते दस वर्षों में खेती की लागत 25 हजार रूपये हेक्टेयर बढ़ा दी गई। टेक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी, खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत, डीजल की कीमत 35 रूपये प्रति लीटर बढ़ गई।    

किसानों से अपने घोषणा-पत्र में झूठ बोला
पटवारी ने कहा कि मोदी सरकार की फैक्ट्री में बनने वाले झूठ के सबसे बड़े डीलर शिवराज सिंह चौहान जी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी है। मध्यप्रदेश का चुनाव जीतने के लिए प्रदेश के किसानों से अपने घोषणा-पत्र में झूठ बोला कि चुनाव जीतने पर गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रूपये प्रति क्विंटल और धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये प्रति क्विंटल किया जायेगा। चुनाव जीतते ही किसानों को धोखा दे दिया। 

लागत से भी कम मिल रहे हैं सोयाबीन के दाम 
पटवारी ने कहा कि आज मध्यप्रदेश में सोयाबीन का भाव लगभग 4000 रूपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। जबकि उसका समर्थन मूल्य 4892 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि पहले ही अपर्याप्त है। मोदी सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य तय करते वक्त इसका लागत मूल्य 3261 रूपये निर्धारित किया है। जबकि मध्यप्रदेश ने लागत और मूल्य आयोग को पहले ही सूचित किया था कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 4455 रूपये प्रति क्विंटल आती है, वहीं महाराष्ट्र में यह लागत 6039 रूपये प्रति क्विंटल बतायी थी।लागत और मूल्य आयोग ने खुद अपनी 2024-25 की खरीफ की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में औसत सोयाबीन का कास्ट ऑफ प्रोडक्शन (ए 2 $ एफएल) 4853 रूपये वर्ष 2022-23 के लिए मूल्यांकित किया गया था। समर्थन मूल्य तय करने वाला आयोग खुद कहता है कि लागत निकालने के लिए जो सैम्पल साईज लिया जाता है, वह अपर्याप्त है, इसलिए लागत मूल्य सहीं नहीं निकलता।

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