mp-news:-कमलनाथ-बोले-जल,जंगल,जमीन-का-असली-हकदार-आदिवासी,-विदेशी-बताना-अपमान,-हम-असली-पेसा-कानून-लागू-करेंगे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 09 Aug 2023 10: 38 PM IST लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें नाथ बोले वन से संबंधित लोगों के लिए 'चरण पादुका' किसी सरकारी योजना के अहसान का नाम नहीं बल्कि कृतज्ञता भरे मन का सच्चा भाव होना चाहिए! 'वन की बात' नाम से भी एक कार्यक्रम होना चाहिए। पीसीसी चीफ कमलनाथ - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश में आदिवासियों को लेकर सियासत तेज है। बुधवार को विश्व आदिवसी दिवस पर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि आदिवासी समाज हमारे प्रदेश के मूल निवासी है, जल, जंगल, जमीन का असली हकदार यही समाज है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को विदेशी बताना आदिवासियों को अपमान है। प्रदेश में आदिवासी वर्ग पर अत्याचार में नंबर वन पर है। उन्होंने कहा कि मैं वचन देता हूं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आदिवासी समाज सबसे सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश का चित्र हमारे सामने है। भाजपा क्या कहेगी आज, भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पूरा भारत मना रहा है, पर भाजपा छोड़ो दिवस भी मना रहा है। प्रदेश को कहां घसीटा जा रहा है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने इससे पहले आदिवासियों के नाम एक संदेश भी जारी किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों को हक दिलाने का काम किया। 15 महीने की सरकार में कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के हित में हर काम किया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि पेसा कानून कांग्रेस ने बनाया, वन अधिकारों का कानून भी कांग्रेस की देन है। आदिवासी समाज और कांग्रेस पार्टी एक परिवार है। उन्होंने कहा कि भाजपा से आग्रह है कि कम-से-कम वनों की नैसर्गिकता को तो दूषित व संक्रमित न करें और वनों के वातावरण को स्वस्थ और स्वच्छ रहने दें। वन से संबंधित लोगों के लिए 'चरण पादुका' किसी सरकारी योजना के अहसान का नाम नहीं बल्कि कृतज्ञता भरे मन का सच्चा भाव होना चाहिए! 'वन की बात' नाम से भी एक कार्यक्रम होना चाहिए। आखिरी पांच माह में सब याद आए कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह तो बाज नहीं आएंगे रोज नई-नई घोषणां करेंगे। आज उन्हें बहनों की याद आ गई, कर्मचारियों की याद आ गई। आखरी पांच महीने में सब याद आ गया है। सोचते हैं जो बचा है, सब समेट लो। जब तक झूठ नहीं बोलेंगे उनका खाना हजम नहीं होगा। लेकिन जनता अब शिवराज और भाजपा को विदा करने के लिए तैयार बैठी है। ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक चुनाव है। यह आने वाली पीढ़ी के भविष्य का चुनाव है। यह मप्र के भविष्य का चुनाव है। प्रदेश को किस पटरी पर ले जाना चाहते है। प्रदेश का कैसा भविष्य चाहते हैं, आने वाली पीढ़ी का कैसा भविष्य चाहते हैं? आज नौजवानों का भविष्य अंधकार में है और यदि उनका ही भविष्य अंधकार में रहेगा मो प्रदेश का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा।  लूट खसोट की राजनीति  मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कांग्रेस ने आदिवासी भाईयों के हितों के लिए हमेशा कार्य किए। लेकिन आज भाजपा सरकार में लूट खसोट की राजनीति चल रही है।  आदिवासी भय व आतंक के साये में   पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने कहा कि आज आदिवासी वर्ग पर भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, आदिवासी ऐसा कोई जिला नहीं बचा होगा, जहां दबंगों द्वारा उन पर बर्बरता और शर्मनाक कृत्य न किए गए हों। नेमावर, सीधी, खंडवा, खरगोन, विदिशा नीमच, गुना, सिवनी और इंदौर में आदिवासियों के साथ की गई क्रूरता से प्रदेश का आदिवासी भय और आतंक के साये में जी रहा है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 09 Aug 2023 10: 38 PM IST

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नाथ बोले वन से संबंधित लोगों के लिए ‘चरण पादुका’ किसी सरकारी योजना के अहसान का नाम नहीं बल्कि कृतज्ञता भरे मन का सच्चा भाव होना चाहिए! ‘वन की बात’ नाम से भी एक कार्यक्रम होना चाहिए। पीसीसी चीफ कमलनाथ – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश में आदिवासियों को लेकर सियासत तेज है। बुधवार को विश्व आदिवसी दिवस पर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि आदिवासी समाज हमारे प्रदेश के मूल निवासी है, जल, जंगल, जमीन का असली हकदार यही समाज है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को विदेशी बताना आदिवासियों को अपमान है। प्रदेश में आदिवासी वर्ग पर अत्याचार में नंबर वन पर है। उन्होंने कहा कि मैं वचन देता हूं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आदिवासी समाज सबसे सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश का चित्र हमारे सामने है। भाजपा क्या कहेगी आज, भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पूरा भारत मना रहा है, पर भाजपा छोड़ो दिवस भी मना रहा है। प्रदेश को कहां घसीटा जा रहा है।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने इससे पहले आदिवासियों के नाम एक संदेश भी जारी किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों को हक दिलाने का काम किया। 15 महीने की सरकार में कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के हित में हर काम किया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि पेसा कानून कांग्रेस ने बनाया, वन अधिकारों का कानून भी कांग्रेस की देन है। आदिवासी समाज और कांग्रेस पार्टी एक परिवार है। उन्होंने कहा कि भाजपा से आग्रह है कि कम-से-कम वनों की नैसर्गिकता को तो दूषित व संक्रमित न करें और वनों के वातावरण को स्वस्थ और स्वच्छ रहने दें। वन से संबंधित लोगों के लिए ‘चरण पादुका’ किसी सरकारी योजना के अहसान का नाम नहीं बल्कि कृतज्ञता भरे मन का सच्चा भाव होना चाहिए! ‘वन की बात’ नाम से भी एक कार्यक्रम होना चाहिए।

आखिरी पांच माह में सब याद आए
कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह तो बाज नहीं आएंगे रोज नई-नई घोषणां करेंगे। आज उन्हें बहनों की याद आ गई, कर्मचारियों की याद आ गई। आखरी पांच महीने में सब याद आ गया है। सोचते हैं जो बचा है, सब समेट लो। जब तक झूठ नहीं बोलेंगे उनका खाना हजम नहीं होगा। लेकिन जनता अब शिवराज और भाजपा को विदा करने के लिए तैयार बैठी है। ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक चुनाव है। यह आने वाली पीढ़ी के भविष्य का चुनाव है। यह मप्र के भविष्य का चुनाव है। प्रदेश को किस पटरी पर ले जाना चाहते है। प्रदेश का कैसा भविष्य चाहते हैं, आने वाली पीढ़ी का कैसा भविष्य चाहते हैं? आज नौजवानों का भविष्य अंधकार में है और यदि उनका ही भविष्य अंधकार में रहेगा मो प्रदेश का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। 

लूट खसोट की राजनीति 
मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कांग्रेस ने आदिवासी भाईयों के हितों के लिए हमेशा कार्य किए। लेकिन आज भाजपा सरकार में लूट खसोट की राजनीति चल रही है। 

आदिवासी भय व आतंक के साये में  
पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने कहा कि आज आदिवासी वर्ग पर भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, आदिवासी ऐसा कोई जिला नहीं बचा होगा, जहां दबंगों द्वारा उन पर बर्बरता और शर्मनाक कृत्य न किए गए हों। नेमावर, सीधी, खंडवा, खरगोन, विदिशा नीमच, गुना, सिवनी और इंदौर में आदिवासियों के साथ की गई क्रूरता से प्रदेश का आदिवासी भय और आतंक के साये में जी रहा है।

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