mp-news:-एम्स-में-दवा-की-सप्लाई-का-प्रोसेस-क्या-है?-rti-के-जवाब-में-कंपनी-अमृत-फार्मेसी-ने-कहा-यह-गोपनीय-है
एम्स भोपाल - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us भोपाल एम्स में आने वाले मरीजों को अमृत फार्मेसी से सस्ती कीमतों पर दवाइयां मिलती हैं, लेकिन मरीजों को मिलने वाली दवाइयों की खरीद प्रक्रिया क्या है? इसके बारे में दवा कंपनी ने जानकारी देने से मना कर दिया है। आरटीआई के जवाब में अमृत फार्मेसी ने कहा कि यह गोपनीय है। जानकारी नहीं दे सकते हैं।  सूचना के अधिकार के तहत अर्जी पर सरकारी कंपनी अमृत फार्मेसी ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(डी) के अंतर्गत तीसरे पक्ष के साथ जानकारी शेयर नहीं करने के अनुबंध का हवाला देकर जानकारी देने से मना कर दिया।  28 माह में 80 करोड़ का भुगतान  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत एचएलएल हेल्थकेयर लिमिटेड भारत सरकार का उपक्रम है। इस कंपनी के तहत अमृत फार्मेसी के नाम से एम्स में दवा सप्लाई एवं उसके अतिरिक्त भी काम कर रही है। जैसे भोपाल एम्स में 8 से 10 रिटेल काउंटर है। यह काम सरकारी कंपनी के नाम पर मिला है। जानकारी के अनुसार अप्रैल 2024 से जुलाई 2024 तक अमृत फार्मेसी को भोपाल एम्स ने दवा खरीदी के लिए करीब 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। वहीं, पिछले साल वर्ष 2023-24 में एम्स ने करीब 40 करोड़ रुपये दिए। इसके अलावा वर्ष 2022-23 में 20 करोड़ रुपये का भुगतान किया।  क्या कहते हैं विशेषज्ञ  विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी कंपनी द्वारा एल-1 (निम्नतम दर या सबसे कम कीमत में आपूर्तिकर्ता) के चयन की प्रक्रिया और सप्लायर की जानकारी देने की सरकारी एजेंसियों से अपेक्षा रहती है। इससे न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी बना रहेगा कि सरकारी धन और संसाधनों का सही उपयोग हो रहा है।  बता दें अमृत फार्मेसी के गूगल रिव्यू पर ही लोगों द्वारा यह शिकायत की जा रही है कि कंपनी द्वारा महंगी दरों पर दवाएं बेची जा रही हैं।  यह सरकारी कंपनी है  अमृत फार्मेसी के वरिष्ठ प्रबंधक योगेंद्र शर्मा ने कहना है कि यह सरकारी कंपनी है। आरटीआई लगाकर आप जानकारी ले सकते हैं। इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है। वहां से भी जानकारी ले सकते हैं।  स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर दी जगह  भोपाल एम्स के डॉयरेक्टर अजय सिंह का कहना है कि अमृत फार्मेसी हमारे नियंत्रण में नहीं है। दिल्ली स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय से हमें अमृत फार्मेसी के लिए आउट लेट के लिए जगह देने को कहा जाता है। इसके अनुसार हम जगह आवंटन की कार्यवाही करते हैं।  

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भोपाल एम्स में आने वाले मरीजों को अमृत फार्मेसी से सस्ती कीमतों पर दवाइयां मिलती हैं, लेकिन मरीजों को मिलने वाली दवाइयों की खरीद प्रक्रिया क्या है? इसके बारे में दवा कंपनी ने जानकारी देने से मना कर दिया है। आरटीआई के जवाब में अमृत फार्मेसी ने कहा कि यह गोपनीय है। जानकारी नहीं दे सकते हैं। 

सूचना के अधिकार के तहत अर्जी पर सरकारी कंपनी अमृत फार्मेसी ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(डी) के अंतर्गत तीसरे पक्ष के साथ जानकारी शेयर नहीं करने के अनुबंध का हवाला देकर जानकारी देने से मना कर दिया। 

28 माह में 80 करोड़ का भुगतान 
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत एचएलएल हेल्थकेयर लिमिटेड भारत सरकार का उपक्रम है। इस कंपनी के तहत अमृत फार्मेसी के नाम से एम्स में दवा सप्लाई एवं उसके अतिरिक्त भी काम कर रही है। जैसे भोपाल एम्स में 8 से 10 रिटेल काउंटर है। यह काम सरकारी कंपनी के नाम पर मिला है। जानकारी के अनुसार अप्रैल 2024 से जुलाई 2024 तक अमृत फार्मेसी को भोपाल एम्स ने दवा खरीदी के लिए करीब 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। वहीं, पिछले साल वर्ष 2023-24 में एम्स ने करीब 40 करोड़ रुपये दिए। इसके अलावा वर्ष 2022-23 में 20 करोड़ रुपये का भुगतान किया। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी कंपनी द्वारा एल-1 (निम्नतम दर या सबसे कम कीमत में आपूर्तिकर्ता) के चयन की प्रक्रिया और सप्लायर की जानकारी देने की सरकारी एजेंसियों से अपेक्षा रहती है। इससे न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी बना रहेगा कि सरकारी धन और संसाधनों का सही उपयोग हो रहा है। 

बता दें अमृत फार्मेसी के गूगल रिव्यू पर ही लोगों द्वारा यह शिकायत की जा रही है कि कंपनी द्वारा महंगी दरों पर दवाएं बेची जा रही हैं। 

यह सरकारी कंपनी है 
अमृत फार्मेसी के वरिष्ठ प्रबंधक योगेंद्र शर्मा ने कहना है कि यह सरकारी कंपनी है। आरटीआई लगाकर आप जानकारी ले सकते हैं। इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है। वहां से भी जानकारी ले सकते हैं। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर दी जगह 
भोपाल एम्स के डॉयरेक्टर अजय सिंह का कहना है कि अमृत फार्मेसी हमारे नियंत्रण में नहीं है। दिल्ली स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय से हमें अमृत फार्मेसी के लिए आउट लेट के लिए जगह देने को कहा जाता है। इसके अनुसार हम जगह आवंटन की कार्यवाही करते हैं।
 

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