न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Fri, 14 Apr 2023 07: 13 PM IST
सार
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एक साल पहले नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पर चार एजेंसियों के ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) स्थापित करने आवेदन आने के बावजूद काम नहीं दिया गया। अब परिवहन विभाग दोबारा से ओपन टेंडर कर पीपीपी मोड पर एजेंसी का चयन करने की तैयारी कर रहा है। वल्लभ भवन- भोपाल – फोटो : अमर उजाला
विस्तार प्रदेश में ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) एक साल बाद भी शुरू नहीं हो सके है। अब परिवहन विभाग के जिम्मेदार नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पर आए एजेंसियों के आवेदनों को रद्द कर नए सिरे से ओपन टेंडर बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। एक साल तक कागजों में प्रक्रिया को लटकाने के चलते जिम्मेदार ही अब सवालों के घेरे में आ गए हैं।
केंद्र सरकार ने ओटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन स्थापित करने सितंबर 2021 में अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके बाद सभी राज्यों को वाहन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने ओटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन स्थापित करने निर्देश जारी कर दिये थे। इसे लागू करने एक अप्रैल 2023 से आटोमैटिक टेस्टिंग शुरू करने को कहा गया था। हालांकि अब केंद्र सरकार ने यह समय सीमा बढ़ाकर 1 अक्टूबर 2024 कर दी है। मध्य प्रदेश में आटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की पात्रता शर्तों के अनुसार चार एजेंसियों ने नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पर आवेदन भी कर दिया, लेकिन परिवहन विभाग के जिम्मेदार पिछले एक साल से कार्रवाई को कागजों में ही इधर उधर बढ़ाते रहे। ना तो एजेंसियों को काम दिया ना ही ओपन टेंडर की प्रक्रिया शुरू की। एक साल तक प्रक्रिया को लटकाने के चलते अब जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।
ईसीयू तकनीक की जांच मशीन से संभव
ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) वाहन की फिटनेस की जांच के लिए जरूरी विभिन्न परीक्षणों को स्वचालित करने के लिए मैकेनिकल उपकरण का इस्तेमाल करता है। अभी आरटीओ पर मैन्युअल टेस्टिंग होती है। गाड़ी के इंजन, ब्रेक, टायर, हेडलाइट, स्टेयरिंग समेत अन्य कलपुर्जे ठीक से काम कर रहे है या नहीं। अब नई तकनीक से अपग्रेड गाड़ियां इंजन कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) आधारित आ रही हैं। इनको मैन्यूअली सटिक जांच संभव नहीं है। इनकी जांच मशीन से ही संभव हैं।
पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा
भोपाल और इंदौर शहर में तेजी से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा हैं। अभी आरटीओ में गाड़ियों की टेस्टिंग में गड़बड़ी को लेकर भी सवाल उठते हैं। वाहन मालिकों की शिकायत रहती है कि आरटीओ में उनको दलालों की मदद लेनी पड़ती है। वहीं, दूसरी तरफ अनफिट वाहनों को भी अभी फिट होने के सर्टिफिकेट जारी करने की भी शिकायत आती रही है। इससे प्रदूषण फैलाने वाले और अनफिट वाहन बेरोक टोक कागजों के आधार पर सड़क पर दौड़ते है। इससे प्रदूषण के साथ ही उनके द्वारा दुर्घटनाओं की संभावना भी ज्यादा रहती है। ऑटोमैटिक जांच में इस तरह की गड़बड़ी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। यहां खुलने थे सेंटर – भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर, होशंगाबाद, रीवा, शहडोल, मुरैना, बैतूल, रायसेन में ऑटोमैटिक सेंटर खुलने थे।
जिम्मेदार बोले
प्रमुख सचिव बोले- हम 15 दिन में निर्णय ले लेंगे
परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने कहा कि हम इस पर काम कर रहे हैं। कुछ दिनों में तय कर लिया जाएगा कि फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के तहत नेशनल विंडो पोर्टल पर आवेदन करने वाली एजेंसियों को काम देना है या फिर ओपन टेंडर बुलाकर। इस पर 15 दिन में निर्णय लिया जाएगा।
आयुक्त बोले- जल्द होंगे स्टेशन स्थापित
वहीं, परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा ने कहा कि सेंटर स्थापित करने को लेकर कुछ बदलाव सामने आए थे। इसके चलते थोड़ा समय लगा है। अब कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही स्टेशन प्रदेश में स्थापित होंगे।
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