mp-news:-इंडस्ट्रियल-एरिया-में-सोलर-पैनल-लगने-से-होगा-क्लाइमेट-कंट्रोल,-कटनी-में-भी-तैयार-होगा-सोलर-पार्क
कटनी में आयोजित सोलर पावर बढ़ाने के लिए आयोजित कार्यक्रम - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश के कटनी जिले में उद्योग विभाग ने सोलर पावर प्लांट को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए टाटा और हैवेल्स जैसी कंपनियां भी शामिल हुई। अपने पैनल की खूबी बताकर व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करते नजर आए। ऊर्जा विभाग के स्टेट नोडल अधिकारी सुरेंद्र बाजपाई भोपाल से कटनी पहुंचे। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रीज में ऊर्जा संरक्षण और अपारंपरिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। बिजली का सबसे ज्यादा उपयोग इंडस्ट्रियल एरिया में होता है, इसलिए हम लोगों ने इंडस्ट्रीज को ध्यान में रखते हुए उन्हें कम ऊर्जा का उपयोग को कहा है। जिसके बाद वो आसानी से रिन्यूएबल एनर्जी में शिफ्ट कर सकते है। वहीं, कटनी में जो इंडस्ट्रीज का रेस्पांस मिला है वो बहुत ही पॉजिटिव है। एक नई सोच के साथ सोलर एनर्जी को स्वीकार करने का काम करेंगे। प्रधानमंत्री का नारा 2070 तक नेट जीरो एमिशन वाला भारत हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक विश्व के सामने नेट जीरो एमिशन का नारा दिया है। एमिशन कम करने से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे और एक अच्छा वातावरण बनेगा। इसी के लिए आज कटनी जिले की अरिंदम होटल में कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में 150 बड़े कारोबारी शामिल होकर सोलर पॅावर को समझा। इसको लेकर कारोबारी पॅाजिटिव भी नजर आए। कटनी बनेगा सोलर पॅावर हब आपको बता दें, जिला उद्योग विभाग द्वारा कटनी के धीमरखेड़ा इलाके के करीब 60 एकड़ जमीन पर सोलर पॉवर प्लांट लगाने का मन बनाया है, जिसे लेकर काम भी तेजी से होने लगा है। मंच साझा करते हुए भोपाल से आए अधिकारी ने बताया कि कटनी में भी रीवा की तर्ज पर सोलर पावर पार्क डेवलप करने के प्रयास किए जा रहे है। क्या है नेट जीरो एमिशन नेट जीरो एमिशन का मतलब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य करना नहीं है, बल्कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को दूसरे कामों से बैलेंस करना। एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना, जिसमें फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल न के बराबर हो। कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल भी बहुत ही कम हो। कह सकते हैं कि इस समय जितना कार्बन आप पैदा कर रहे हैं, उतना ही उसे एब्जॉर्ब करने का इंतजाम आपके पास होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर पेड़-पौधे हवा से कार्बन डाईऑक्साइड एब्जॉर्ब करते हैं।

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कटनी में आयोजित सोलर पावर बढ़ाने के लिए आयोजित कार्यक्रम – फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश के कटनी जिले में उद्योग विभाग ने सोलर पावर प्लांट को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए टाटा और हैवेल्स जैसी कंपनियां भी शामिल हुई। अपने पैनल की खूबी बताकर व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करते नजर आए।

ऊर्जा विभाग के स्टेट नोडल अधिकारी सुरेंद्र बाजपाई भोपाल से कटनी पहुंचे। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रीज में ऊर्जा संरक्षण और अपारंपरिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। बिजली का सबसे ज्यादा उपयोग इंडस्ट्रियल एरिया में होता है, इसलिए हम लोगों ने इंडस्ट्रीज को ध्यान में रखते हुए उन्हें कम ऊर्जा का उपयोग को कहा है। जिसके बाद वो आसानी से रिन्यूएबल एनर्जी में शिफ्ट कर सकते है। वहीं, कटनी में जो इंडस्ट्रीज का रेस्पांस मिला है वो बहुत ही पॉजिटिव है। एक नई सोच के साथ सोलर एनर्जी को स्वीकार करने का काम करेंगे।

प्रधानमंत्री का नारा 2070 तक नेट जीरो एमिशन वाला भारत
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक विश्व के सामने नेट जीरो एमिशन का नारा दिया है। एमिशन कम करने से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे और एक अच्छा वातावरण बनेगा। इसी के लिए आज कटनी जिले की अरिंदम होटल में कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में 150 बड़े कारोबारी शामिल होकर सोलर पॅावर को समझा। इसको लेकर कारोबारी पॅाजिटिव भी नजर आए।

कटनी बनेगा सोलर पॅावर हब
आपको बता दें, जिला उद्योग विभाग द्वारा कटनी के धीमरखेड़ा इलाके के करीब 60 एकड़ जमीन पर सोलर पॉवर प्लांट लगाने का मन बनाया है, जिसे लेकर काम भी तेजी से होने लगा है। मंच साझा करते हुए भोपाल से आए अधिकारी ने बताया कि कटनी में भी रीवा की तर्ज पर सोलर पावर पार्क डेवलप करने के प्रयास किए जा रहे है।

क्या है नेट जीरो एमिशन
नेट जीरो एमिशन का मतलब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य करना नहीं है, बल्कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को दूसरे कामों से बैलेंस करना। एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना, जिसमें फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल न के बराबर हो। कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल भी बहुत ही कम हो। कह सकते हैं कि इस समय जितना कार्बन आप पैदा कर रहे हैं, उतना ही उसे एब्जॉर्ब करने का इंतजाम आपके पास होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर पेड़-पौधे हवा से कार्बन डाईऑक्साइड एब्जॉर्ब करते हैं।

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