विदिशा के नजदीकी गांव में शवों को इस तरह पानी से होकर ले जाना मजबूरी है। – फोटो : सोशल मीडिया
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला कहलाने वाले विदिशा की कुछ तस्वीरे देखने वाले को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। कहा जा रहा है कि जिस प्रदेश के मुखिया के गृह जिले का ये हाल हो, वहां विकास की बातें करना बेईमानी होगी। दरअसल शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक ले जाने वाला रास्ता खराब है। नदी से होकर गुजरना पड़ता है। चंद मिनटों की दूरी तय करने में घंटों का समय लगता है।
हम बात कर रहे हैं कि विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर करारिया गांव की। यहां रहने वाले सरपंच प्रतिनिधि एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया है कि एक दिन पहले गांव में शहजाद खान की मौत हो गई, हर बार की तरह इस बार भी जनाजा बहती नदी से पार करके निकलना पड़ा। बारिश के चार महीने हम गांव के लोग ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारे गांव में किसी की मौत ना हो, क्योंकि गांव और श्मशान के बीच से एक नदी गुजरती है। इस नदी को पार करके हिंदू हो या मुसलमान उनके जनाजे को बारिश के मौसम में इसी तरह निकालकर ले जाना पड़ता है। महज 100 मीटर चौड़ी इस नदी को पार करने में जनाजे के साथ लगभग तीन घंटे का समय गुजर जाता है इस दौरान जान का भी खतरा बना रहता है।
मतदान का करेंगे बहिष्कार
सिंह ने बताया कि श्मशान घाट की तरफ अब धीरे-धीरे बस्ती भी बढ़ने लगी है। उसी बस्ती से बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए नदी पार करके आते हैं या फिर बच्चे तेज बहाव की वजह से स्कूल ही नहीं आ पाते। कई वर्षों से हम पंचायत के माध्यम से मांग करते चले जा रहे हैं। एक बड़ा पुल या पुलिया का निर्माण हो जाए तो हमारी मुश्किल आसान हो जाए। प्रशासन को इस मामले की पूरी जानकारी पंचायत की तरफ से भी बताई गई है। कई बार जिले के कलेक्टर, पीडब्ल्यूडी के मंत्री गोपाल भार्गव सहित स्थानीय विधायक और सांसद को भी इस मामले से अवगत कराया गया है, लेकिन नतीजा आप सबके सामने है। अब कुछ ही समय के बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं, करारिया के ग्रामीणों ने इस बार चुनाव में मतदान के बहिष्कार करने का मन बना लिया है।
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