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अमरवाड़ा से गोंगपा प्रत्याशी नामांकन भरने बैलगाड़ी में सवार होकर पहुंचे - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के छिंदवाड़ा लोकसभा सीट हारने के बाद अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव रोचक होने जा रहा है। यहां पर भाजपा के राजा कमलेश शाह और कांग्रेस के संत इनावती परिवार के आमने-सामने आने और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के प्रत्याशी देव रावेन भलावी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। अमरवाड़ा सीट पर 10 जुलाई को मतदान होगा। यह सीट लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस विधायक कमलेश शाह के भाजपा की सदस्यता लेने और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई थी। अब भाजपा ने कमलेश शाह को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। कमलेश शाह हर्रई राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। शाह के दादा राजा उदयभान शाह और मां रानी शैल कुमारी भी इस सीट से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं। इस क्षेत्र के गोंड आदिवासी आज भी शाह परिवार के वंशज को अपना राजा मानते हैं।  आंचलकुंड धाम के वंशज हैं कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह वहीं, कांग्रेस ने धीरनशाह इनावती को अपना प्रत्याशी बनाया है। 35 वर्षीय धीरनशाह गोंड आदिवासी समाज की आस्था के केंद्र आंचल कुंड धाम की तीसरी पीढ़ी के संत सुखरामदास के बेटे हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने युवा चेहरे देवीराम उर्फ देव रावेन भलावी को प्रत्याशी बनाया है। अमरवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अच्छा प्रभाव है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित अमरवाड़ा सीट के आदिवासी मतदाताओं का हर्रई राजघराना, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आंचल कुंड धाम तीनों से गहरा जुड़ाव है। यही वजह है कि इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।  आंचलकुंड धाम से नाथ ने की राजनीति की शुरुआत  पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में 1980 में पहला चुनाव लड़ा था। उन्होंने आंचल कुंडधाम बटकाखापा से पदयात्रा निकालकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उस समय आंचल कुंडधाम तक सड़क भी नहीं थी। नाथ पांच किमी पैदल यात्रा कर धाम तक पहुंचे थे। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आंचल कुंडधाम के संत सुखराम दास महराज की मौजूदगी में 25 प्रमुख लोगों से मुलाकात की थी। अब सुखराम दाम महराज के बेटे ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा के कमलेश शाह के सामने हैं।   अमरवाड़ा सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा  छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर अब तक कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। 1951 से लेकर अब तक भाजपा यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है। 1990 में भाजपा के मेहमान शाह उईके इस सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे, जबकि 2008 में प्रेम नारायण ठाकुर चुनाव जीते थे। इससे पहले एक बार 1967 में भारतीय जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था।  1951 से 2023 तक यहा 14 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 11 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।  2003 में गोंगपा के मनमोहन शाह बट्टी जीते  वहीं, एक बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरफ से 2003 में मनमोहन शाह बट्टी इस सीट से चुनाव जीते थे। इसके बाद से गोंडवना गणतंत्र पार्टी फिर कभी इस सीट को जीत नहीं पाई। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े कमलेश शाह ने भाजपा की मोनिका शाह बट्टी 25 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हराया था। हालांकि, हर बार गोंगपा मुकाबले को त्रिकोणीय टक्कर में रोचक बना रही है।  कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर  लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट पर हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव से फिर प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। छिंदवाड़ा को कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि अब वे फिर अमरवाड़ा उपचुनाव में एक्टिव हो गए हैं। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज भी उपचुनाव जीतने पूरा जोर लगा रहे हैं।

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अमरवाड़ा से गोंगपा प्रत्याशी नामांकन भरने बैलगाड़ी में सवार होकर पहुंचे – फोटो : सोशल मीडिया

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के छिंदवाड़ा लोकसभा सीट हारने के बाद अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव रोचक होने जा रहा है। यहां पर भाजपा के राजा कमलेश शाह और कांग्रेस के संत इनावती परिवार के आमने-सामने आने और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के प्रत्याशी देव रावेन भलावी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। अमरवाड़ा सीट पर 10 जुलाई को मतदान होगा। यह सीट लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस विधायक कमलेश शाह के भाजपा की सदस्यता लेने और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई थी। अब भाजपा ने कमलेश शाह को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। कमलेश शाह हर्रई राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। शाह के दादा राजा उदयभान शाह और मां रानी शैल कुमारी भी इस सीट से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं। इस क्षेत्र के गोंड आदिवासी आज भी शाह परिवार के वंशज को अपना राजा मानते हैं। 

आंचलकुंड धाम के वंशज हैं कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह
वहीं, कांग्रेस ने धीरनशाह इनावती को अपना प्रत्याशी बनाया है। 35 वर्षीय धीरनशाह गोंड आदिवासी समाज की आस्था के केंद्र आंचल कुंड धाम की तीसरी पीढ़ी के संत सुखरामदास के बेटे हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने युवा चेहरे देवीराम उर्फ देव रावेन भलावी को प्रत्याशी बनाया है। अमरवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अच्छा प्रभाव है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित अमरवाड़ा सीट के आदिवासी मतदाताओं का हर्रई राजघराना, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आंचल कुंड धाम तीनों से गहरा जुड़ाव है। यही वजह है कि इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। 

आंचलकुंड धाम से नाथ ने की राजनीति की शुरुआत 
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में 1980 में पहला चुनाव लड़ा था। उन्होंने आंचल कुंडधाम बटकाखापा से पदयात्रा निकालकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उस समय आंचल कुंडधाम तक सड़क भी नहीं थी। नाथ पांच किमी पैदल यात्रा कर धाम तक पहुंचे थे। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आंचल कुंडधाम के संत सुखराम दास महराज की मौजूदगी में 25 प्रमुख लोगों से मुलाकात की थी। अब सुखराम दाम महराज के बेटे ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा के कमलेश शाह के सामने हैं।  

अमरवाड़ा सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा 
छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर अब तक कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। 1951 से लेकर अब तक भाजपा यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है। 1990 में भाजपा के मेहमान शाह उईके इस सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे, जबकि 2008 में प्रेम नारायण ठाकुर चुनाव जीते थे। इससे पहले एक बार 1967 में भारतीय जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था।  1951 से 2023 तक यहा 14 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 11 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। 

2003 में गोंगपा के मनमोहन शाह बट्टी जीते 
वहीं, एक बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरफ से 2003 में मनमोहन शाह बट्टी इस सीट से चुनाव जीते थे। इसके बाद से गोंडवना गणतंत्र पार्टी फिर कभी इस सीट को जीत नहीं पाई। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े कमलेश शाह ने भाजपा की मोनिका शाह बट्टी 25 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हराया था। हालांकि, हर बार गोंगपा मुकाबले को त्रिकोणीय टक्कर में रोचक बना रही है। 

कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर 
लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट पर हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव से फिर प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। छिंदवाड़ा को कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि अब वे फिर अमरवाड़ा उपचुनाव में एक्टिव हो गए हैं। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज भी उपचुनाव जीतने पूरा जोर लगा रहे हैं।

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