(सांकेतिक तस्वीर) – फोटो : सोशल मीडिया
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पूर्व में दायर याचिका को स्वैच्छा से वापस लेने के बाद पुनः उसी मामले में याचिका दायर करने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अपने आदेश में कहा है कि ऐसी प्रथा को सख्ती से रोकना आवश्यक है। एकलपीठ ने दस हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें कि कुंडम जनपद में पदस्थ पुष्पराज केसरवानी की तरफ से दायर की गई याचिका में सर्विस बुक में दर्ज जन्म तिथि में सुधार की राहत चाही गई थी। याचिका में कहा गया था कि उसका जन्म 26 जनवरी 1962 को हुआ था। सर्विस बुक में त्रुटिवश उसकी जन्म तिथि 26 जनवरी 1961 दर्ज हो गई। जन्म तिथि में सुधार के लिए उसने विभागीय स्तर पर अभ्यावेदन दिया था। जिसका निराकरण नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पूर्व में इसी संबंध में याचिकाकर्ता ने दायर याचिका स्वैच्छा से वापस ली थी। अभ्यावेदन लंबित होने को आधार बनाकर पुनः याचिका दायर कर दिया। एकलपीठ ने नियम का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा कि सर्विस बुक में एक बार दर्ज जन्म तिथि को अंतिम माना जाएगा। लिपिक त्रुटि होने के कारण सुधार किया जा सकता है। जन्म तिथि सुधार के संबंध में पारित अन्य न्याय सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सेवाकाल के अंतिम समय में सुधार नहीं किया जा सकता। एकलपीठ कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
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