मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला
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सामूहिक दु्ष्कर्म और पॉक्सो सहित अन्य धाराओं के तहत दी गई सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सामान्य समुदाय के आरोपी पर एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप तय किए जाने के खिलाफ संबंधित न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा था। संबंधित न्यायाधीश ने स्पष्टीकरण में अपनी गलती स्वीकार किया। एकलपीठ ने संबंधित न्यायाधीश की गलती को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें अत्याचार अधिनियम के विशिष्ट पहलुओं का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अकादमी भेजने तथा उनकी सर्विस बुक में इसका उल्लेख करने के आदेश जारी किए हैं।
सागर जिला न्यायालय द्वारा आरोपी बॉबी खंगार तथा जॉनी खान को पॉक्सो, सामूहिक दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं के तहत अधिकतम 20 साल के कारावास की सजा से दंडित किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। न्यायालय ने दोनों आरोपियों को एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषमुक्त कर दिया था।
अपील की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया था कि आरोपी बॉबी खंगार पीड़ित के सामान्य समुदाय का था। इसके बावजूद भी जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश दीपाली शर्मा ने एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप तय किए थे। एकलपीठ ने इस संबंध में संबंधित न्यायाधीश का स्पष्टीकरण मांगा था। संबंधित महिला न्यायाधीश के स्पष्टीकरण के अवलोकन करने के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। एकलपीठ ने सह आरोपी जॉनी खान को भी जमानत का लाभ प्रदान किया है।
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