मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media विस्तार Follow Us कटनी जिले में सड़क तथा रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को क्लीयरेंस देने की एवज में पचास हजार की रिश्वत लेने के आरोप में आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था। प्रकरण के मुख्य आरोपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अग्रिम जमानत तथा एनएचएआई के डीआरएम और प्रोजेक्ट अधिकारी राम दाढें सहित श्रीजी कंस्ट्रक्शन के दो कर्मचारियों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी। आरोपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका में उम्र तथा बीमारियों का उल्लेख किया था। यह भी तर्क दिया गया था कि वह कंपनी के एमडी नहीं हैं। जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई की तरफ से एकलपीठ को बताया गया था कि कटनी बायपास फोरलेन रोड तथा रेलवे ओवर ब्रिज के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, जिसका ठेका कंपनी को मिला था।  एनएचएआई व रेलवे अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गुणवत्ता से समझौता करते हुए लेन-देन की शिकायतें सामने आईं थी, जिसके बाद श्रीजी कंस्ट्रक्शन के जबलपुर, कटनी व भोपाल के कार्यालयों में छापे मारे गये थे। पचार हजार रुपये की रिश्वत लेने के अपराध में सीबीआई ने 26 जुलाई को डब्ल्यूसीआर के डिप्टी चीफ मैनेजर, एनएचएआई के डीआरएम, कंपनी के दो कर्मचारियों तथा एक रेलवे कर्मचारी को गिरफ्तार किया था।  श्रीजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी ज्ञानेंद्र सिंह फरार है। सीबीआई ने उन्हें उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा था। वह रिश्वत देने वाले कर्मचारियों तथा रिश्वत लेने वाले अधिकारियों से संपर्क था। प्रकरण में उनसे पूछताछ करना आवश्यक है। प्रकरण की जांच जारी है, इसलिए अन्य आरोपियों को जमानत का लाभ नहीं प्रदान किया जाये। जमानत का लाभ मिलने पर वह साक्ष्य प्रभावित कर सकते हैं। एकलपीठ ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। एकलपीठ ने जारी आदेश में चारों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सीबीआई की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे ने पैरवी की।

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कटनी जिले में सड़क तथा रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को क्लीयरेंस देने की एवज में पचास हजार की रिश्वत लेने के आरोप में आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था। प्रकरण के मुख्य आरोपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अग्रिम जमानत तथा एनएचएआई के डीआरएम और प्रोजेक्ट अधिकारी राम दाढें सहित श्रीजी कंस्ट्रक्शन के दो कर्मचारियों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी।

आरोपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका में उम्र तथा बीमारियों का उल्लेख किया था। यह भी तर्क दिया गया था कि वह कंपनी के एमडी नहीं हैं। जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई की तरफ से एकलपीठ को बताया गया था कि कटनी बायपास फोरलेन रोड तथा रेलवे ओवर ब्रिज के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, जिसका ठेका कंपनी को मिला था। 

एनएचएआई व रेलवे अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गुणवत्ता से समझौता करते हुए लेन-देन की शिकायतें सामने आईं थी, जिसके बाद श्रीजी कंस्ट्रक्शन के जबलपुर, कटनी व भोपाल के कार्यालयों में छापे मारे गये थे। पचार हजार रुपये की रिश्वत लेने के अपराध में सीबीआई ने 26 जुलाई को डब्ल्यूसीआर के डिप्टी चीफ मैनेजर, एनएचएआई के डीआरएम, कंपनी के दो कर्मचारियों तथा एक रेलवे कर्मचारी को गिरफ्तार किया था। 

श्रीजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी ज्ञानेंद्र सिंह फरार है। सीबीआई ने उन्हें उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा था। वह रिश्वत देने वाले कर्मचारियों तथा रिश्वत लेने वाले अधिकारियों से संपर्क था। प्रकरण में उनसे पूछताछ करना आवश्यक है। प्रकरण की जांच जारी है, इसलिए अन्य आरोपियों को जमानत का लाभ नहीं प्रदान किया जाये। जमानत का लाभ मिलने पर वह साक्ष्य प्रभावित कर सकते हैं। एकलपीठ ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। एकलपीठ ने जारी आदेश में चारों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सीबीआई की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे ने पैरवी की।

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