mp-high-court:-फीस-वृद्धि-मामले-में-निजी-स्कूलों-को-हाईकोर्ट-से-अंतरिम-राहत,-अगली-सुनवाई-25-अगस्त-को
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 13 Aug 2024 08: 24 PM IST अपील में प्रमुख सचिव, कलेक्टर, डीईओ तथा जिला कमेटी को अनावेदक बनाया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल फीस वृद्धि तथा रिफंड के मामले में जिला कमेटी के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने जिला कमेटी के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को निर्धारित की गई है। क्राइस्ट चर्च स्कूल, सेंट अलॉयसियस स्कूल, सेंट जॉन्स स्कूल दमोह सहित पांच स्कूलों की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि जिला कमेटी के द्वारा उनके स्कूल की फीस का निर्धारण किया गया है। इसके अलावा साल 2017-18 से की गई फीस वृद्धि की राशि वापस लौटाने के आदेश जारी किए हैं, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एकलपीठ द्वारा याचिका को खारिज किए जाने के कारण उक्त अपील दायर की गई है। अपीलकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) के तहत स्कूल प्रबंधन फीस में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी कर करता है। स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वृद्धि में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी की जाती है तो इसके लिए जिला कमेटी से अनुमति आवश्यक है। फीस में 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी करने पर राज्य कमेटी से अनुमति आवश्यक है। स्कूल प्रबंधन के द्वारा 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि नहीं की गई है। अपवाद स्वरूप अधिकतम 13 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है। अपीलकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि स्कूल प्रबंधन ने फीस वृद्धि के संबंध में नियमानुसार अधिकृत वेबसाइट में जानकारी अपलोड नहीं की। इसके लिए कमेटी निमानुसार स्कूल प्रबंधन पर सिर्फ अर्थदंड की कार्यवाही कर सकती है। अपील में प्रमुख सचिव, कलेक्टर, डीईओ तथा जिला कमेटी को अनावेदक बनाया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।  रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 13 Aug 2024 08: 24 PM IST

अपील में प्रमुख सचिव, कलेक्टर, डीईओ तथा जिला कमेटी को अनावेदक बनाया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल फीस वृद्धि तथा रिफंड के मामले में जिला कमेटी के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने जिला कमेटी के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को निर्धारित की गई है।

क्राइस्ट चर्च स्कूल, सेंट अलॉयसियस स्कूल, सेंट जॉन्स स्कूल दमोह सहित पांच स्कूलों की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि जिला कमेटी के द्वारा उनके स्कूल की फीस का निर्धारण किया गया है। इसके अलावा साल 2017-18 से की गई फीस वृद्धि की राशि वापस लौटाने के आदेश जारी किए हैं, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एकलपीठ द्वारा याचिका को खारिज किए जाने के कारण उक्त अपील दायर की गई है।

अपीलकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) के तहत स्कूल प्रबंधन फीस में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी कर करता है। स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वृद्धि में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी की जाती है तो इसके लिए जिला कमेटी से अनुमति आवश्यक है। फीस में 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी करने पर राज्य कमेटी से अनुमति आवश्यक है। स्कूल प्रबंधन के द्वारा 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि नहीं की गई है। अपवाद स्वरूप अधिकतम 13 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है।

अपीलकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि स्कूल प्रबंधन ने फीस वृद्धि के संबंध में नियमानुसार अधिकृत वेबसाइट में जानकारी अपलोड नहीं की। इसके लिए कमेटी निमानुसार स्कूल प्रबंधन पर सिर्फ अर्थदंड की कार्यवाही कर सकती है। अपील में प्रमुख सचिव, कलेक्टर, डीईओ तथा जिला कमेटी को अनावेदक बनाया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की। 

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