मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जेल में निरुद्ध पिता की रिहाई के लिए बेटी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पिता की जमानत अर्जी गलत तथ्यों के आधार पर निरस्त कर दी गई है, जिससे स्पष्ट है कि उसके पिता को अवैध तरीके से कारागार में बंद रखा गया है। इसलिए रिहाई का आदेश पारित किया जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता के पिता जिबराखन साहू सुविधा लैंड डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड में प्रमोटर थे। इस कंपनी ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की। याचिकाकर्ता के पिता ने छले गए निवेशकों के साथ शिकायत की। इसके बावजूद उन्हें कंपनी के छह डायरेक्टर में से एक निरूपित कर 2021 में आरोपित बना लिया गया। इस वजह से जेल में बंद हैं।
पिता के जेल में बंद होने से याचिकाकर्ता बेटी सहित परिवार के अन्य सदस्य परेशान हैं। उनके भरण-पोषण का मुख्य आधार ही छिन गया है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के याचिकाकर्ता से पूछा कि नियमानुसार अपील निरस्त होने पर ऊपर वाली कोर्ट में नए सिरे से जमानत अर्जी के जरिए अपील का प्रावधान है। क्या आपने ऐसा किया है, इस पर अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने दलील दी कि नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता के पिता को गलत तरीके से जेल में बंद रखा गया है। इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का आधार बनता था। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
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