मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला
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जबलपुर न्यायालय में फर्जी हलफनामा प्रस्तुत करने के मामले में न्यायालय द्वारा धोखाधड़ी व जालसाजी के तहत तय किए गए आरोपी के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि संबंधित न्यायालय ने आरोप तय करने में कोई गलती नहीं की है।
भोपाल निवासी लालजी शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि वह ऋषि नगर में रहता है। उसके कॉलोनी से लगी हुए सूर्या नगर में अनावेदक अधिवक्ता रहता है। ऋषि नगर में होने वाले पानी तथा बिजली की सप्लाई के लिए स्थापित ढांचा अनावेदक के घर के सामने है, जिस स्थान पर वह ढांचा बना है, वह सूर्य नगर की जमीन है। याचिकाकर्ता पानी का अत्याधिक उपयोग करता है, जिसके कारण ऋषि नगर के निवासियों को पर्याप्त जल कर आपूर्ति नहीं हो पाती है। जिसके याचिकाकर्ता द्वारा विरोध किया गया था।
उसके बाद अनावेदक अधिवक्ता ने सिविल कोर्ट में केस दायर कर दिया था। याचिकाकर्ता सहित अन्य अनावेदकों को नोटिस प्राप्त हुए थे। प्रकरण की सुनवाई के दौरान महेश अहिरवार न्यायालय में प्रस्तुत हलफनामा से मुकर गया। उसका कहना था कि याचिकाकर्ता ने उससे कोरे कागज में हस्ताक्षर लिये थे। प्रकरण तथा हलफनामा के संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है। संबंधित न्यायालय ने साक्ष्य का मामला होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद अनावेदन अधिवक्ता ने फर्जी हलफनामा पेश करने का आरोप लगाते हुए सीजेएम भोपाल के समक्ष परिवाद दायर कर दिया। न्यायालय ने उसके खिलाफ धारा- 420, 467, 468, 471 तथा 120-बी के तहत आरोप तय कर दिए है। याचिकाकर्ता की तरफ कहा गया था कि हलफनामा के संबंध में संबंधित न्यायालय ने कोई आदेश नहीं जारी किए। एकलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि न्यायालय के बाहर जाली दस्तावेज तैयार किए गए हैं। न्यायालय ने आरोप तय करने में कोई गलती नहीं की है।
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