मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला
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जबलपुर हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा 87ः13 फार्मूले के आधार पर पात्रता परीक्षा यानी स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) का परिणाम जारी किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने एमपीपीएससी के चेयरमैन से 13 प्रतिशत रिजल्ट होल्ड किए जाने के संबंध में जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 22 मई को निर्धारित की गई है।
रीवा निवासी शिवेन्द्र कुमार की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था। उसके लिए सेट एक अनिवार्य पात्रता परीक्षा है। एमपीपीएससी ने परीक्षा का आयोजन करवाया हुए रिजल्ट जारी किया। आयोग ने सेट का रिजल्ट 87ः13 के अनुपात में जारी किया। आयोग ने सामान्य व ओबीसी वर्ग के 13 प्रतिशत रिजल्ट रोक दिए, जिसके कारण कारण कई योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।
याचिका में कहा गया था कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की तरफ से 13 प्रतिशत रिजल्ट रोकने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। आयोग ने मनमाने तरीके से 13 प्रतिशत रिजल्ट को होल्ड किया है। आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर व लाइब्रेरियन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने आयोग के अध्यक्ष से पूछा है कि किस नियम के तहत 13 प्रतिशत रिजल्ट को होल्ड किया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश सिंह चौहान ने पैरवी की।
नियुक्ति विज्ञापन के बाद जारी हुआ बीपीएल कार्ड मान्य नहीं, हाईकोर्ट का आदेश
जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि नियुक्ति विज्ञापन के बाद जारी हुआ बीपीएल कार्ड मान्य नहीं है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने उक्त आदेश के साथ बीपीएल कार्ड होने के कारण महिला अभ्यर्थी को दस अतिरिक्त अंक प्रदान किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया है।
याचिकाकर्ता सविता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसने निमाड़ी जिले के काका देही ग्राम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में आवेदन किया था। अनावेदक शांति कुशवाहा को बीपीएल कार्ड का लाभ प्रदान करते हुए दस अंक प्रदान कर दिए। याचिका में कहा गया था कि विज्ञापन जारी होने की तिथि पर उपलब्ध दस्तावेज का अभ्यर्थियों का लाभ मिलता है। अनावेदक महिला के पास विज्ञापन जारी होने की तिथि तक बीपीएल कार्ड नहीं था। इसलिए उसे अतिरिक्त दस अंक नहीं मिलने चाहिए थे।
एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि नियुक्ति के लिए 16 मार्च 2021 को विज्ञापन जारी किया गया था और आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च थी। अनावेदिका को 24 मार्च 2021 को बीपीएल कार्ड जारी हुआ था। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए।
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