mp-high-court:-अवमानना-के-दोषी-छतरपुर-के-तत्कालीन-कलेक्टर-शीलेंद्र-सिंह-की-सजा-पर-फैसला-17-को,-पेश-होने-को-कहा
शीलेंद्र सिंह - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और तत्कालीन एडिशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को अवमानना का दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आलुवालिया की एकलपीठ के सामने गुरुवार को दोनों अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। बताया कि उनकी तरफ से ओआईसी ने जवाब प्रस्तुत किया था। एकल पीठ ने सजा पर सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है। एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे आदेश जारी किए हैं।    छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक रचना द्विवेदी का ट्रांसफर बड़ा मलहरा कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई 2020 को स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में जॉइनिंग नहीं देने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके कारण याचिकाकर्ता ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान शीलेन्द्र सिंह और अमर बहादुर सिंह हाजिर हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने के लिए ओआईसी नियुक्त किया गया था। ओआईसी ने जवाब भी प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने कहा कि अवमानना प्रकरण में संबंधित अवमाननाकर्ता को ही व्यक्तिगत हलफनामे पर जवाब-दावा पेश करना होता है। कोर्ट ने कहा कि ओआईसी नियुक्त करके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। चूंकि कोर्ट का स्थगन आदेश था, इसलिए उक्त अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवाएं जारी रखने देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं कर अधिकारियों ने अदालत के आदेश का खुला उल्लंघन किया है। 

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और तत्कालीन एडिशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को अवमानना का दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आलुवालिया की एकलपीठ के सामने गुरुवार को दोनों अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। बताया कि उनकी तरफ से ओआईसी ने जवाब प्रस्तुत किया था। एकल पीठ ने सजा पर सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है। एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे आदेश जारी किए हैं। 

 
छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक रचना द्विवेदी का ट्रांसफर बड़ा मलहरा कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई 2020 को स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में जॉइनिंग नहीं देने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके कारण याचिकाकर्ता ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।

इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान शीलेन्द्र सिंह और अमर बहादुर सिंह हाजिर हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने के लिए ओआईसी नियुक्त किया गया था। ओआईसी ने जवाब भी प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने कहा कि अवमानना प्रकरण में संबंधित अवमाननाकर्ता को ही व्यक्तिगत हलफनामे पर जवाब-दावा पेश करना होता है। कोर्ट ने कहा कि ओआईसी नियुक्त करके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। चूंकि कोर्ट का स्थगन आदेश था, इसलिए उक्त अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवाएं जारी रखने देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं कर अधिकारियों ने अदालत के आदेश का खुला उल्लंघन किया है। 

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