mp-election-2023:-नरेंद्र-सिंह-तोमर-को-यूं-ही-नहीं-बीजेपी-ने-उतारा-दिमनी-सीट-से,-पढ़ें-उनका-राजनीतिक-जीवन
MP Election 2023 : मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में कुछ ही दिन रह गये हैं. प्रदेश के कई दिग्गज चेहरों की बात इस बीच चुनाव के दौरान हो रही है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर अपनी दूसरी सूची जब जारी की थी तो लोग चौंक गये थे. इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा चार सांसदों का नाम था. नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो वो इस समय वो केंद्रीय कृषि मंत्री के पद पर काबिज हैं. आपको बता दें कि तोमर 2009 से ही केंद्र में हैं और अब पार्टी ने उन्हें वापस मध्य प्रदेश में एक्टिव करने का काम किया है जो एक बड़ा संकेत दे रहा है. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों एक केंद्रीय मंत्री को दिमनी सीट से लड़ाने का फैसला बीजेपी की ओर से लिया गया. आइए एक नजर डालते हैं नरेंद्र सिंह तोमर के राजनीतिक जीवन पर.... नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो वे गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट आपातकाल का समय था, जब तोमर जयप्रकाश नारायण के देशव्यापी आंदोलन में नजर आए. इस दौरान उनकी पढ़ाई छूटी और जेल गये. इसके बाद उनके जीवन में राजनीति ने कदम रखा. तोमर सबसे पहले एसएलपी कॉलेज के अध्यक्ष चुने गये. नरेंद्र सिंह तोमर पहली बार ग्वालियर विधानसभा से चुनाव लड़े, लेकिन बाबू रघुवीर सिंह के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. -नरेंद्र सिंह तोमर 1986 से 1990 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे. -1998 में नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे. -2003 में इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर नरेंद्र सिंह तोमर को उमा भारती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला. -इसके बाद वे बाबूलाल गौर व शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में नजर आए. -कुशल रणनीतिकार होने के कारण नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. -नरेंद्र सिंह तोमर 2007 से 2009 के बीच राज्यसभा सदस्य रहे. तीसरी बार भी शिवराज सिंह की प्रदेश में सरकार बनाने में नरेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही. -2009 में नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना लोकसभा संसदीय क्षेत्र से जीतकर संसद में पहुंचे और फिर 2014 में ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से अशोक सिंह को चुनाव में पराजित करके संसद में पहुंचे. इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा उन्हें मिला. वर्तमान में नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री हैं. दिमनी सीट का क्या रहा है इतिहास जानें मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 1980 से 2008 तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा...लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी को कांग्रेस के हाथों मुंह की खानी पड़ी, खासकर उपचुनाव में...साल 2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. वहीं 2013 के चुनाव में बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया ने जीत का परचम लहराया था. बीजेपी ने अपने गढ़ में फिर से वापसी करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेता पर दांव खेलने का काम किया है. नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने क्यों उतारा मैदान में यहां चर्चा कर दें कि कृषि मंत्री वर्तमान में मुरैना लोकसभा सीट से सांसद हैं. इस क्षेत्र में उनका दबदबा नजर आता है. तोमर की बात करें तो वह 20 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने साल 1998 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और अभी तक वह दो विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं. हर बार उन्हें चुनाव में जीत मिली. नरेंद्र सिंह तोमर ने अपना पहला चुनाव ग्वालियर विधानसभा सीट से लड़ा था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अशोक कुमार शर्मा को 26 हजार 458 वोटों से पराजित किया. उन्हें इस चुनाव में करीब 50 हजार वोट प्राप्त हुए थे, जबकि जबकि शर्मा को 23 हजार 646 वोट ही मिले.

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MP Election 2023 : मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में कुछ ही दिन रह गये हैं. प्रदेश के कई दिग्गज चेहरों की बात इस बीच चुनाव के दौरान हो रही है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर अपनी दूसरी सूची जब जारी की थी तो लोग चौंक गये थे. इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा चार सांसदों का नाम था. नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो वो इस समय वो केंद्रीय कृषि मंत्री के पद पर काबिज हैं. आपको बता दें कि तोमर 2009 से ही केंद्र में हैं और अब पार्टी ने उन्हें वापस मध्य प्रदेश में एक्टिव करने का काम किया है जो एक बड़ा संकेत दे रहा है. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों एक केंद्रीय मंत्री को दिमनी सीट से लड़ाने का फैसला बीजेपी की ओर से लिया गया. आइए एक नजर डालते हैं नरेंद्र सिंह तोमर के राजनीतिक जीवन पर….

नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो वे गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट आपातकाल का समय था, जब तोमर जयप्रकाश नारायण के देशव्यापी आंदोलन में नजर आए. इस दौरान उनकी पढ़ाई छूटी और जेल गये. इसके बाद उनके जीवन में राजनीति ने कदम रखा. तोमर सबसे पहले एसएलपी कॉलेज के अध्यक्ष चुने गये. नरेंद्र सिंह तोमर पहली बार ग्वालियर विधानसभा से चुनाव लड़े, लेकिन बाबू रघुवीर सिंह के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

-नरेंद्र सिंह तोमर 1986 से 1990 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे.

-1998 में नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे.

-2003 में इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर नरेंद्र सिंह तोमर को उमा भारती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला.

-इसके बाद वे बाबूलाल गौर व शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में नजर आए.

-कुशल रणनीतिकार होने के कारण नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया.

-नरेंद्र सिंह तोमर 2007 से 2009 के बीच राज्यसभा सदस्य रहे. तीसरी बार भी शिवराज सिंह की प्रदेश में सरकार बनाने में नरेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही.

-2009 में नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना लोकसभा संसदीय क्षेत्र से जीतकर संसद में पहुंचे और फिर 2014 में ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से अशोक सिंह को चुनाव में पराजित करके संसद में पहुंचे. इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा उन्हें मिला. वर्तमान में नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री हैं.

दिमनी सीट का क्या रहा है इतिहास जानें

मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 1980 से 2008 तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा…लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी को कांग्रेस के हाथों मुंह की खानी पड़ी, खासकर उपचुनाव में…साल 2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. वहीं 2013 के चुनाव में बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया ने जीत का परचम लहराया था. बीजेपी ने अपने गढ़ में फिर से वापसी करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेता पर दांव खेलने का काम किया है.

नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने क्यों उतारा मैदान में

यहां चर्चा कर दें कि कृषि मंत्री वर्तमान में मुरैना लोकसभा सीट से सांसद हैं. इस क्षेत्र में उनका दबदबा नजर आता है. तोमर की बात करें तो वह 20 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने साल 1998 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और अभी तक वह दो विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं. हर बार उन्हें चुनाव में जीत मिली. नरेंद्र सिंह तोमर ने अपना पहला चुनाव ग्वालियर विधानसभा सीट से लड़ा था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अशोक कुमार शर्मा को 26 हजार 458 वोटों से पराजित किया. उन्हें इस चुनाव में करीब 50 हजार वोट प्राप्त हुए थे, जबकि जबकि शर्मा को 23 हजार 646 वोट ही मिले.