mp-cm-father:-मिल-में-काम-किया,-दुकान-भी-लगाई,-बेटा-cm-बना-पर-वे-नहीं-बदले;-मोहन-यादव-के-पिता-पूनमचंद-की-कहानी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: उदित दीक्षित Updated Wed, 04 Sep 2024 04: 28 PM IST मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का 100 साल उम्र में निधन हो गया। वे करीब एक हफ्ते से बीमार चल रहे थे। मंगलवार रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। आज उज्जैन में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। स्वर्गीय पूनमचंद यादव भले ही दुनिया से अलविदा कह गए, लेकिन वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए। उनका एक बेटा प्रदेश का सीएम है, बेटी शहर की कमान संभाल रहीं हैं। वहीं, अग्रज बेटा भी सामाजिक जीवन में काम कर रहा है। दरअसल, पूनमचंद यादव के सबसे छोटे बेटे डॉ मोहन यादव मध्य प्रदेश के सीएम हैं। उनकी बेटी कलावती यादव नगर निगम में सभापति हैं। वहीं, मोहन यादव के बड़े भाई नंदलाल यादव और नारायण यादव समाजसेवी हैं। वहीं, एक और बेटी शांती देवी हैं। पूनमचंद यादव किसी नामी खानदान और मजबूत आर्थिक स्थिति वाली पृष्ठभूमि से नहीं थे। उन्होंने और उनके बच्चों ने जो भी पाया वह अपनी लगन और मेहनत से ही पाया है।  Trending Videos मजदूरी की और दुकान लगाई बताया जाता है कि कई साल पहले पूनमचंद्र यादव रतलाम से उज्जैन में आकर बस गए और फिर उनके संघर्षों की शुरुआत हुई। शुरुआत के दिनों में उन्होंने शहर की एक बड़ी टेक्सटाइल मिल में नौकरी की, यहां उन्होंने बतौर मजदूर काम की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दुकानें लगाई और जीवन में संघर्ष करते रहे। इस दौरान वे अपने चारों बच्चों की पढ़ाई पर जोर देते रहे और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई। आज उनके तीन बेटों और एक बेटी समाज में अगल पहचान है, वे लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। सीएम के पिता, लेकिन सदगी ऐसी कड़े संघर्ष के बाद समाज के एक अलग पहचान और अपने बच्चों को कामयाबी के सही रास्ते पर चलाने वाले पूनमचंद यादव एक साधारण व्यक्ति थे। डॉ. मोहन यादव के मप्र का सीएम बनने के बाद भी उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया था। सीएम के पिता होने के बाद भी उन्हें दिन-दिन भर चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर पेड़ों की ओट में उनके ग्रामीण परिवेश के मित्रों के साथ हंसी-ठिठोली करते कभी भी देखा जा सकता था। जब सीएम यादव ने पूछा बैंक में कितने रुपये हैं? बीते फादर्स डे पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिता पूनमचंद यादव से आशीर्वाद लिया था। इस दौरान मुख्यमंत्री यादव ने पिता के पैर छूकर उनसे पैसे मांगे तो उन्होंने 500 रुपए के नोटों की गड्डी जेब से निकालकर दे दी। इस दौरान सीएम यादव ने 500 रुपये का एक नोट गड्डी से निकालकर रख लिया और बाकी उन्हें लौटा दिए। इस दौरान पिता ने बेटे मोहन को ट्रैक्टर सुधरवाने का एक बिल दे दिया। इस पर सीएम यादव ने उनसे पूछा कि बैंक में कितने रुपये हैं, इस बात पर दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगे थे। 

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: उदित दीक्षित Updated Wed, 04 Sep 2024 04: 28 PM IST

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का 100 साल उम्र में निधन हो गया। वे करीब एक हफ्ते से बीमार चल रहे थे। मंगलवार रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। आज उज्जैन में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। स्वर्गीय पूनमचंद यादव भले ही दुनिया से अलविदा कह गए, लेकिन वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए। उनका एक बेटा प्रदेश का सीएम है, बेटी शहर की कमान संभाल रहीं हैं। वहीं, अग्रज बेटा भी सामाजिक जीवन में काम कर रहा है।

दरअसल, पूनमचंद यादव के सबसे छोटे बेटे डॉ मोहन यादव मध्य प्रदेश के सीएम हैं। उनकी बेटी कलावती यादव नगर निगम में सभापति हैं। वहीं, मोहन यादव के बड़े भाई नंदलाल यादव और नारायण यादव समाजसेवी हैं। वहीं, एक और बेटी शांती देवी हैं। पूनमचंद यादव किसी नामी खानदान और मजबूत आर्थिक स्थिति वाली पृष्ठभूमि से नहीं थे। उन्होंने और उनके बच्चों ने जो भी पाया वह अपनी लगन और मेहनत से ही पाया है। 

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मजदूरी की और दुकान लगाई
बताया जाता है कि कई साल पहले पूनमचंद्र यादव रतलाम से उज्जैन में आकर बस गए और फिर उनके संघर्षों की शुरुआत हुई। शुरुआत के दिनों में उन्होंने शहर की एक बड़ी टेक्सटाइल मिल में नौकरी की, यहां उन्होंने बतौर मजदूर काम की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दुकानें लगाई और जीवन में संघर्ष करते रहे। इस दौरान वे अपने चारों बच्चों की पढ़ाई पर जोर देते रहे और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई। आज उनके तीन बेटों और एक बेटी समाज में अगल पहचान है, वे लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं।

सीएम के पिता, लेकिन सदगी ऐसी
कड़े संघर्ष के बाद समाज के एक अलग पहचान और अपने बच्चों को कामयाबी के सही रास्ते पर चलाने वाले पूनमचंद यादव एक साधारण व्यक्ति थे। डॉ. मोहन यादव के मप्र का सीएम बनने के बाद भी उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया था। सीएम के पिता होने के बाद भी उन्हें दिन-दिन भर चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर पेड़ों की ओट में उनके ग्रामीण परिवेश के मित्रों के साथ हंसी-ठिठोली करते कभी भी देखा जा सकता था।

जब सीएम यादव ने पूछा बैंक में कितने रुपये हैं?
बीते फादर्स डे पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिता पूनमचंद यादव से आशीर्वाद लिया था। इस दौरान मुख्यमंत्री यादव ने पिता के पैर छूकर उनसे पैसे मांगे तो उन्होंने 500 रुपए के नोटों की गड्डी जेब से निकालकर दे दी। इस दौरान सीएम यादव ने 500 रुपये का एक नोट गड्डी से निकालकर रख लिया और बाकी उन्हें लौटा दिए। इस दौरान पिता ने बेटे मोहन को ट्रैक्टर सुधरवाने का एक बिल दे दिया। इस पर सीएम यादव ने उनसे पूछा कि बैंक में कितने रुपये हैं, इस बात पर दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगे थे। 

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